लेप्रोस्कोपी के जरिए बिना बड़े चीरे के गंभीर बीमारियों के होंगे ऑपरेशन

  • तीन दिनी एंडोगायन कॉन्क्लेव 2019

इंदौर। एक समय था जब किसी भी तरह की गायनिक समस्या के लिए महिलाओं को पेट पर बड़ा-सा चीरा लगाकर ऑपरेशन करना पड़ता था। बिना चीरा लगाए ना तो ठीक-ठीक बीमारी का पता लग पता था न ही उसका इलाज संभव होता था।

बड़ा ऑपरेशन यानि बड़ा खतरा, ज्यादा खून बहने,दूसरे अंगों के क्षतिग्रस्त होने और संक्रमण के डर के साथ ही जीवन भर के लिए पेट पर मिलता था एक भद्दा-सा दाग। इसके बाद रिकवरी में भी समय लगता था यानि पूरा घर प्रभावित। पर अब तकनीक काफी उन्नत हो चुकी है। यही कारण है कि बच्चेदानी के कैंसर जैसी बड़ी बीमारी को भी लेप्रोस्कोपी के जरिए ठीक किया जा सकता है।

गायनिक बीमारियों में लेप्रोस्कोपी के ऐसे ही कई फायदों और इसकी तकनिकी जानकारी देने के लिए शहर में शुक्रवार से इंडियन एसोसिएशन ऑफ गायनेकोलॉजिकल एंडोस्कोपिस्ट एवं इंदौर ऑब्स गायनिक सोसाइटी द्वारा संयुक्त रूप से तीन दिनी एंडोगायन कॉन्क्लेव 2019 का आगाज हुआ है।

कॉन्फ्रेंस की कन्वेनर डॉ आशा बक्शी और ऑर्गेनाइजिंग चेयरपर्सन डॉ शेफाली जैन ने कहती है कि हमने कॉन्फ्रेंस की थीम सर्जिकल स्ट्राइक रखी है क्योकि लेप्रोस्कोपी के जरिए हम सीधे बीमारी की जड़ पर वार करते हैं। हम चाहते हैं कि महिलाएं स्वस्थ्य भी रहें और सुंदर भी। लेप्रोस्कोपी में बिना चीरफाड़ के बड़ी आसानी से कम समय में बड़ी बीमारियों का इलाज संभव है। इसमें खतरा भी कम होता है और रिकवरी भी तेज़ी से होती है।

सर्जरी के बाद कोई बड़ा और ख़राब दिखने वाला निशान भी नहीं रहता इसलिए हम चाहते हैं कि सभी गायनेकोलॉजिस्ट इस तकनीक को सीखे और ज्यादा से ज्यादा बीमारियों का इलाज लेप्रोस्कोपी के जरिए ही करें। यही इस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य है।

पहले दिन हुई पांच हैंड्स-ऑन वर्कशॉप्स

कॉन्फ्रेंस के पहले शुक्रवार को पांच हैंड्स-ऑन वर्कशॉप्स हुई, जिसमें सभी डेलीगेट्स को डमी पर ऑपरेशन करके देखने का मौका भी दिया गया। मदरहुड अस्पताल में हुई वर्कशॉप में डॉ आशा बक्शी और मुंबई से आए डॉ हरीश बगासिया ने हिस्ट्रोस्कोपी विषय पर जानकारी दी। डॉ आशा बक्शी ने बताया कि पहले गर्भाशय में होने वाली तकलीफों को देखने-समझने के लिए कोई अच्छी तकनीक नहीं थी।

चीरा लगाकर बड़ा ऑपरेशन करने पर ही समस्या का पता लगता था जबकि अब दूरबीन की मदद से गर्भाशय में होने वाली गठान, पर्दा, जाले और पार्टीशन जैसी समस्याओं का आसानी से पता लग जाता है। इसमें हम गर्भाशय में टार्गेटेड एरिया में बायोप्सी करते हैं, जिससे मेनोपॉज के दौरान ज्यादा रक्त निकलने की समस्या लेकर आने वाली महिलाओं में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी तक का पता लग जाता है। पहले ये संभव नहीं था।

चॉपस्टिक जैसे इंस्ट्रूमेंट से लगते हैं टांके

एलसीएच अस्पताल में दो वर्कशॉप हुई। पहली वर्कशॉप लेप्रोस्कोपी एंड स्विचेरिंग विषय पर थी और दूसरी वर्कशॉप का विषय युरोगायनेकोलोजी एंड पैल्विकफ्लोर था। इसमें डॉ पूनम माथुर और मुंबई से आई डॉ मीता ठाकरे ने चॉपस्टिक जैसे लम्बे इंस्ट्रूमेंट से टांके लगाने की तकनीक सिखाई। साथ ही महिलाओं में यूरिन संबंधी समस्याओं जैसे खांसने पर यूरिन होना, यूरिन करते वक्त बच्चादानी का बाहर आ जाना आदि के बारे में गायनेकोलॉजिस्ट को बताया कि शिशुजन्म के वक्त माँ को यदि ठीक से टांके नहीं लगाए जाए तो बाद में इस तरह की समस्या होती है इसलिए वजाइनल स्टिचेस लगते वक्त विशेष ध्यान रखने की जरुरत होती है।

आईयूआई तकनीक के बारे में जानकारी दी गई

सीएचएल अस्पताल में हुई वर्कशॉप के दौरान डॉक्टर्स को आईवीएफ के पहले प्रेगनेंसी के लिए की जाने वाली आईयूआई तकनीक के बारे में जानकारी दी गई। डॉ गजेंद्र तोमर और पुणे से आई डॉ सुनीता तेन्दुलवाड़कर ने इस प्रक्रिया को करने का तरीका विस्तारपूर्वक बताया।

वही ब्रिलिएंट कवेंशन सेंटर में हुई वर्कशॉप के दौरान मुंबई से आई डॉ सेजल देसाई और डॉ विद्या पंचोलिया ने वजाइनल टाइटनिंग, कलर लाइटनिंग और पैचेज रिमूवल जैसी कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट्स के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कई बार इन कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट को करने के दौरान मरीज की यूरिन संबंधी समस्यों का भी निदान हो जाता है।

आज होगा 22  सर्जरीस का लाइव टेलीकॉस्ट

शनिवार को मदरहुड अस्पताल में होने वाली 22  सर्जरीस को 500  से अधिक डेलीगेट्स ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर में बैठकर देख पाएंगे। कॉन्फ्रेंस ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ धवल बक्शी और डॉ सुमित्रा यादव ने बताया कि इस दौरान दूरबीन की मदद से बच्चेदानी के कैंसर, लाइनिंग बाहर आने, दर्द और ब्लीडिंग जैसी समस्याओं का निदान लेप्रोस्कोपी से करना बताया जाएगा। कॉन्फ्रेंस का औपचारिक शुभारम्भ एमपी फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन की मैनेजिंग डायरेक्टर स्मिता भरद्वाज (आईएएस) शाम 6 बजे ब्रिलिएंट कन्वेशन सेंटर में करेंगी।

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