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सीरत कपूर : फिल्मी पृष्ठभूमि से आए लोगों को कुछ विशेषाधिकार हैं और मुझे लगता है कि यह काफी स्वाभाविक है।
बॉलीवुड में नेपोटिज्म कोई नया शब्द नहीं है, यह हमेशा से ही मनोरंजन इंडस्ट्री में चर्चा का विषय बना हुआ होता है, चाहे वह बॉलीवुड हो या टॉलीवुड। सीरत कपूर जिन्होंने हाल ही में अपनी फिल्म “कृष्ण एंड हिज लीला” के साथ एक बड़ी हिट दी, ने नेपोटिज़्म के बारे में अपने एक्सपीरियंस शेयर किए और साथ ही यह भी बताया कि मनोरंजन उद्योग में इसका क्या अस्तित्व है।
सीरत कपूर ने एक लंबा सफर तय किया है और टॉलीवुड इंडस्ट्री में अपना एक नाम कमाया है। अभिनेत्री ने कोरियोग्राफर के रूप में शुरुआत की और टॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में एक बेहतरीन अभिनेत्री के रूप में अपनी पहचान बनाई है।
नेपोटिज्म के बारे में बात करते हुए सीरत कपूर ने कहा, “मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि अवसर सभी के लिए समान होना चाहिए चाहे वह अंदर का व्यक्ति हो या बाहरी व्यक्ति हो, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो। बेशक, ऐसे लोगों के लिए कुछ विशेषाधिकार हैं जो फिल्मी पृष्ठभूमि से आते हैं। और मुझे लगता है कि यह काफी स्वाभाविक है। हममें से प्रत्येक को अपने आसपास के माहौल को ईमानदार रखने और मशहूर हस्तियों के बच्चों के साथ नई प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।”
सीरत कपूर बहुत जल्द अपनी आगामी फिल्म “मां विधा गढ़ा विनुमा” में दिखाई देंगी। उन्होंने 2014 में “रन राजा रन” से टॉलीवुड में एक अभिनेत्री के रूप में अपनी शुरुआत की। भारतीय सिनेमा में उनकी पहली शुरुआत के बाद, उन्होंने टॉलीवुड में टाइगर्स (2015), कोलंबस (2015), राजू गारी गाधी 2 (2017), ओक्का कशनम (2017) और टच चेसि चुडु (2018) जैसी कई शानदार फिल्मे की है।