स्कूल संचालकों ने कलेक्टोरेट पर किया प्रदर्शन

इंदौर. सोमवार को एमपी बोर्ड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के नेतृत्व में एमपी बोर्ड के कई निजी स्कूल संचालक कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और प्रदर्शन किया. एसोसिएशन ने प्रशासन और शिक्षा विभाग के सामने अपनी पीड़ा व्यक्त की है. उन्होंने स्कूल खोले जाने के साथ ही अन्य मांगे भी रखी है.

एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण खरात, महासचिव सुबोध शर्मा सहित कई पदाधिकारी और स्कूल संचालक कलेक्टर कार्यालय पहुंचे. स्कूल संचालकों का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण स्कूल बंद होने से निजी स्कूल संचालकों को अब स्कूल के खर्च भारी पड़ रहे हैं. मध्यप्रदेश बोर्ड में अधिकतर आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे ही पढ़ते हैं. इनमें से कई के पास एंड्रायड फोन भी नहीं होता है. ऐसे में आनलाइन पढ़ाई कराना भी मुश्किल हो रहा है. बच्चों का भारी नुकसान हो रहा है.

एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कलेक्टर मनीषसिंह और जिला शिक्षा अधिकारी रविकुमार सिंह से मुलाकात कर मांग रखी कि या तो हमें स्कूल खोलने की अनुमति दी जाए या स्कूल की चाबी ले लीजिए. बच्चों की फीस हमने आधी कर दी है, वह भी नहीं आ पा रही है. हमारे लिए स्कूल भवन का बिजली, संपत्ति कर आदि का खर्च वहन करना भी मुश्किल हो रहा है. कुछ स्कूल संचालकों ने जिला शिक्षा अधिकारी को स्कूल की चाबियां भी सौंपी.

पदाधिकारियों ने कहा कि एमपी बोर्ड के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को हम पढ़ाई के लिए सामग्री वाट्सएप पर या आनलाइन भेजते हैं तो कई बच्चों को यह मिल ही नहीं पाती. उनकी पारिवारिक आर्थिक स्थिति ठीक न होने से आनलाइन पढ़ाई में मुश्किल आ रही है. इससे बच्चों की शिक्षा का स्तर लगातार गिर रहा है. हम चाहते हैं कोविड नियमों का पालन करते हुए स्कूल लगाने की अनुमति दी जाए. इसमें छोटी कक्षा के बच्चों का स्कूल सप्ताह में दो दिन और बड़ी कक्षा के बच्चों को सप्ताह में सभी दिन या एक दिन छोड़कर बुलाया जा सकता है.

लाकडाउन में बंद पड़े स्कूलों का दो साल का बिजली बिल, संपत्ति कर और कचरा प्रबंधन शुल्क माफ किया जाए. विद्यालय संचालन के लिए संचालकों द्वारा लिए गए बैंक लोन की किश्त विद्यालय खुलने तक नहीं ली जाए. इसके लिए सरकार बैंकों को निर्देश जारी करे. निजी स्कूलों के लिए आर्थिक पैकेज के रूप में सहायता प्रदान की जाए. शिक्षा का अधिकार कानून की फीस यथाशीघ्र संस्था के खाते में जमा की जाए.

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