स्मोकिंग के कारण कम होती है मसल्स की हीलिंग पॉवर और बढ़ जाता है हर्निया होने का खतरा

हर्निया सोसाइटी ऑफ इंडिया की दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस हसीकॉन 2024 में देशभर से आए स्पीकर ने शेयर किए अपने एक्सपीरियंस

इंदौर। स्मोकिंग हर्निया होने का बहुत बड़ा कारण है। स्मोकिंग की वजह से हमारी बॉडी में हीलिंग प्रोसेस के लिए जिम्मेदार केमिकल कोलैजिंग की पॉवर कम होती जाती है जिसकी वजह से मसल्स में कमजोरी आती है और अंत में वह हर्निया का रूप ले लेता है। ये कहना है नई दिल्ली से आए डॉ. प्रदीप चौबे का।

वह शनिवार को हॉर्निया सोसाइटी ऑफ इंडिया की दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस हसीकॉन 2024 में होटल रेडिसन में संबोधित कर रहे थे, उन्होंने बताया कि जो लोग स्मोक करते हैं उनमें आम लोगों की तुलना में हर्निया का दोबारा होने का खतरा कई गुना ज्यादा होता है। हर्निया बीमारी अब बहुत कॉमन हो गई है आप इस बात का अंदाजा इस बात से लगा सकते है कि मै जितने भी ऑपरेशन करता हूं उसमें से करीब 20 परसेंट हर्निया के ही होते हैं बाकी में अन्य बीमारियों के ऑपरेशन शामिल है। इस दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में 50 से अधिक नेशनल-इंटरनेशनल स्पीकर्स हुए शामिल हुए वहीं 1 हजार से अधिक डॉक्टर इसमें शामिल होने के लिए पहुंचे।

मैश लगाकर मसल्स को देते हैं स्ट्रेंथ
एचएसआई सेंट्रल जोन वाइस प्रेसिडेंट और ऑर्गनाइजिंग चेयरपर्सन डॉ. आशुतोष सोनी ने बताया कि हर्निया एक बहुत कॉमन बीमारी है जो कि मसल्स वीकनेस के कारण होती है इसमें सर्जरी के अलावा और कोई विकल्प नहीं होता है। सर्जरी के दौरान हम उस मसल्स को मैश लगाकर स्ट्रेंथ प्रदान करते हैं और जो फटा एरिया वहां से निकले हुए ऑर्गन को अंदर डालकर रिपेयर करते है। दूसरे शब्दों में कहे तो यह रिपेयरिंग का ऑपरेशन है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के आने के बाद से यह बहुत पेशेंट फ्रेंडली ऑपरेशन हो गया है। इसमें काफी कम पेन होता है और कुछ ही घंटों में पेशेंट चलना फिरना शुरू कर देते हैं और कुछ दिन बाद ही अपने जॉब और काम पर जाने लगते हैं।

पेन लेस हो गई है हर्निया सर्जरी
डेनमार्क से आए सर्जन डॉ. फ्रेडरिक हेल्गस्ट्रैंड ने बताया कि हम एक साल से 15 हजार हर्निया केस की सर्जरी का ऑपरेशन करते है। रोबोटिक सर्जरी के आ जाने के बाद से पेशेंट को काफी राहत मिल गई है। इस सर्जरी में उनको हॉस्पिटल में नहीं रुकना पड़ता है और यह पूरी तरह से पेनलेस प्रोसीजर होता है। सर्जरी के बाद कुछ ही दिन में पेशेंट अपनी रूटीन लाइफ को बिना किसी रोक-टोक के शुरू कर सकता है।

इग्नोर करना हो सकता है जानलेवा
मुंबई से आए डॉ. अरबाज रियान मोमिन ने बताया कि हर्निया के काफी सारे प्रकार होते है। यह पेट और जांघ के अलग अलग हिस्सों में होने वाली बीमारी है। यह जिस हिस्से में होती है उसके अनुसार डिसाइड किया जाता है कि यह किस प्रकार का हर्निया है जैसे अगर जांघ में है तो ग्रोइन हर्निया कहते है, पेट में आगे की तरफ अम्बिकल कॉर्ड के पास है तो अम्बिकल हर्निया बोलेंगे। पेट के अंदर में हिस्से में होने वाले को इंटरनल हर्निया बोलते है। खाने की नली के पास होने वाले हर्निया को हाइटल हर्निया कहते है। नाम भले इनके अलग अलग हो पर ट्रीटमेंट और सर्जरी की प्रोसेस सभी में लगभग एक समान ही रहती है वैसे तो हर्निया जानलेवा नहीं होता है पर इसको इग्नोर करना यह सर्जरी न करवाना जानलेवा साबित हो सकता है। हर्निया किसी भी एज ग्रुप में हो सकता है।

हर्निया से जुड़े मिथ पर न करें विश्वास
एग्जीक्यूटिव मेंबर एचएसआई सेंट्रल जोन और ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. सुदेश सारडा ने बताया कि हर्निया बीमारी के बारे में आमजन में कई सारे मिथ जुड़े हुए है। जैसे कि लोगों को लगता है कि अगर एक बार हर्निया हो गया तो फिर जीवन भर ज्यादा वजन नहीं उठा सकते, सीढ़ी नहीं चढ़ सकते, नीचे नहीं बैठ सकते, जिम नहीं जा सकते, झुक नहीं सकते, साइकिल, बाइक व कार नहीं चला सकते। पर वास्तव में ऐसा नहीं है। ये सारी परेशानी आज से 30-40 साल पुरानी है। अब सर्जरी के समय मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करने के लिए एक मैश लगाई जाती है और सर्जरी के कुछ दिनों के बाद ही पेशेंट अपनी नॉर्मल लाइफ एंजॉय कर सकता है। लोगों को ऐसे किसी मिथ पर विश्वास करने के बजाए सिर्फ डॉक्टर द्वारा दी गई सलाह पर ही विश्वास करना चाहिए।ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. प्रियंक चेलावत , ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. रोहन जैन, को-ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. अक्षय शर्मा, को-ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. मयंक गुप्ता का विशेष सहयोग रहा।

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