- तृप्ति डिमरी और शाहिद कपूर पहली बार करेंगे स्क्रीन शेयर - विशाल भारद्वाज करेंगे फिल्म का निर्देशन
- बॉलीवुड की अभिनेत्रियाँ जिन्होंने सर्दियों के स्टाइल में कमाल कर दिया है
- Akshay Kumar Emerges as the 'Most Visible Celebrity' as Celebrity-Endorsed Ads Witness a 10% Rise in H1 2024
- Madhuri Dixit's versatile performance in 'Bhool Bhulaiyaa 3' proves she is the queen of Bollywood
- PC Jeweller Ltd.Sets December 16 as Record Date as 1:10 Stock Split
योग, आध्यात्मिकता, व अपनी नियति के खुद निर्माता बनने के बारे में कुछ सच्चाईयां
हार्टफुलनेस के मार्गदर्शक व लेखक श्री कमलेश पटेल (दाजी) और लेखक, अभिनेता श्री कबीर बेदी आध्यात्मिकता और अपनी नियति के खुद निर्माणकर्ता होने के विषय पर अपने अनुभव हमारे साथ बाँट रहे हैंI
हैदराबाद, जुलै, 2021: हार्टफुलनेस के मार्गदर्शक कमलेश पटेल जो दाजी के संबोधन से जाने जाते हैं, और जिन्होंने “दी हार्टफुलनेस वे” और “नियति का निर्माण” नामक किताबें भी लिखी हैं ; और अभिनेता कबीर बेदी, जिन्होंने “स्टोरी आइ मस्ट टेल” नामक किताब लिखी है, यह दोनों इस सत्र में एक साथ पधारे हैंI इन दोनों के बीच किताबें, आध्यात्मिकता, ध्यान, योग व अपनी नियति के स्वयं ही रचनाकार होने जैसे कई विषयों पर बहुत ही रूचिकर बातचीत हुयीI कबीर बेदी जी ने बताया कि किस तरह उनके माता पिता ने बचपन में ही उनके अंदर आध्यात्मिकता के बीज बोये थे और किस तरह उस शिक्षा का उनके वयस्क के संघर्षों से जूझने में फायदा हुआI इस चर्चा का मुख्य उद्देश्य आध्यात्मिकता और नियति के निर्माण जैसे विषयों को गहरायी से समझना था I
ध्यान और आध्यात्मिकता
चर्चा के दौरान कबीर बेदी जी ने अपने संघर्ष, हार, अंदरूनी ताकत और अपने एक बौद्ध भिक्षु होने के बारे में बातचीत कीI उन्होंने कहा कि बहुत ही कम उम्र में उन्हें विपासना ध्यान पद्धति को सीखने और अनुभव करने का भी मौका मिलाI इस कारण से अभी तक उनमें ध्यान द्वारा अपने मन का निरीक्षण करने की क्ष्मता कायम हैI चर्चा को आगे ले जाते हुए उन्होंने बताया कि ध्यान और आध्यात्मिकता से बहुत ही कम उम्र में साक्षात्कार होने के कारण उनकी अंदरूनी ताकत का काफी विकास हुआ और इसकी मदद से वह अपनी जिंदगी में आने वाली हर मुश्किल से जूझ पायेI दाजी ने बहुत ही विस्तार से हार्टफुलनेस ध्यान पद्धति और हमारे जीवन में उसके महत्व के बारे में बतायाI उन्होंने योगा के बारे में कुछ सलाह दिये और इस बात पर जोर दिया कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य हमारी जिंदगी में बहुत जरूरी है ताकि हम अपने लक्ष्य की तरफ तेजी से बढ़ते हुए फले-फुले।
योग को “हर मर्ज की एक दवा” बताये जाने का जो चलन है, उस बारे में हार्टफुलनेस के मार्ग दर्शक दाजी ने कहा, “आग लगने के बाद कुँआ खोदने का कोई फायदा नहीं हैI अब जब हम यह समझ गए हैं, तो यह हमारे लिये एक मौका है कि हम अपनी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक क्षमताओं को मजबूत करते हुए आध्यात्मिक उन्नति करेंI योग को हर मर्ज की एक दवा समझना गलत हैI ऐसा कुछ भी नहीं हैI अगर आप सिर्फ आसनों का अभ्यास करेंगे तो वह आपकी आत्मा पर किसी भी तरह की छाप नहीं छोड़ेगाI आसन और प्राणायाम सिर्फ हमारा शारीरिक स्वास्थ्य सुधारते हैंI यह योग का बस एक हिस्सा है, पूर्ण योग नहींI हमारे बाह्य शरीर की तुलना में हमारा मन, हमारी भावनाएँ और आध्यात्मिकता ज्यादा जरूरी हैं और हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अतिआवश्यक हैंI”
दाजी के साथ नियति के बारे में बातचीत करते हुए कबीर बेदी ने कहा, “मैं अपने आपको भाग्यशाली समझता हूँ कि मैं दो विभिन्न संस्कृतियों का अनुभव करते हुए बडा हुआI एक संस्कृति मेरे पिता की वंशावली की देन थी तो दूसरी मेरी माता कीI दोनों ही संस्कृति आध्यात्मिकता के रंग में गहराई तक रंगे हैं और मेरे जीवन पर उनका काफी प्रभाव रहा हैI कई आध्यात्मिक गुरुओं के साथ मैंने बातचीत की और उनकी दी हुयी सीख को जीवन भर आत्मसात करने की कोशिश कीI “स्टोरीस आइ मस्ट टेल” उनके द्वारा गहराई तक महसूस किये हुए या अनुभव किये हुए कुछ पलों का संग्रह हैI यह मेरा असीम सौभाग्य है कि मुझे दाजी से बातचीत करने का अवसर मिला जिनके पास आध्यात्मिकता और योग के बारे में ज्ञान का अथाह भंडार हैI”
नियती क्या है?
कबीर बेदी “नियती” के बारे में दाजी के विचार जानने चाहेI उन्होंने पूछा, “क्या यह सच है कि नियति पूर्व निर्धारित होती है? जैसा कि ज्यादातर लोग समझते हैं, क्या नियति पूर्व निश्चित या पहले से ही तय होती है?” दाजी ने समझाया कि अगर नियति सचमुच एक पत्थर की लकीर है तो फिर हमारा पढाई करना, काम करना, अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश करना सब व्यर्थ हैI अगर परिणाम पूर्व निश्चित हैं तो हमारे विचारों, इरादों या कर्मों का कोई उपयोग नहीं हैI पर यह सिर्फ अर्ध सत्य हैI “नियति हमारे कर्मों का फल हैI उदहारण के तौर पर, अगर मैंने फारमेसी की पढ़ाई नहीं की होती, अगर मैंने अपने आपको विकसित नहीं किया होता तो मैं अपनी पढ़ाई के फल का भागी नहीं होताI लेकिन यह भी सच है कि ऐसी कई सारी बाह्य शक्तियां और परिस्थितियां हैं जो हमारी नियति को प्रभावित कर सकते हैंI परंतु हम अपने विचार, इरादों, रवैय्या और कर्मों के द्वारा अपनी नियति को बदल सकते हैंI ऐसे कई कारण हैं जो हमारी नियति को कभी भी बदल सकते हैं, इनमें से कुछ हमारे बस में होते हैं और कुछ नहींI”