- मणिपाल हॉस्पिटल्स ने पूर्वी भारत का पहला एआई-संचालित इंजेक्टेबल वायरलेस पेसमेकर सफलतापूर्वक स्थापित किया
- Manipal Hospitals successfully performs Eastern India’s first AI-powered injectable wireless pacemaker insertion
- Woxsen University Becomes India’s First Institution to Achieve FIFA Quality Pro Certification for RACE Football Field
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने यू – जीनियस राष्ट्रीय प्रश्नोत्तरी फिनाले में प्रतिभाशाली युवाओं का किया सम्मान
- Union Bank of India Celebrates Bright Young Minds at U-Genius National Quiz Finale
रक्तल्पता का सबसे कॉमन प्रकार है आयरन डेफिशियेंसी, इससे आसानी से बचा जा सकता है – डॉ. एके द्विवेदी
आयरन डेफिशियेंसी एनीमिया दिवस के उपलक्ष्य में एसकेआरपी गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में हुआ विशेष व्याख्यान
इंदौर। आयरन डेफिशियेंसी एनीमिया दिवस (26 नवम्बर) के उपलक्ष्य में पर एसकेआरपी गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। इसमें कॉलेज के बीइचएमएस विद्यार्थियों को आयरन डेफिशियेंसी एनीमिया को लेकर विस्तार से जानकारी दी गई। मुख्य वक्ता वरिष्ठ प्राध्यापक फिजियोलॉजी एवं बायोकेमिस्ट्री तथा केंद्रीय होम्योपैथी अनुसन्धान परिषद् आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी थे।
डॉ. एके द्विवेदी ने विद्यार्थियों को आयरन डेफिशियेंसी एनीमिया के बारे में बताते हुए कहा कि रक्तल्पता (खून की कमी) का सबसे कॉमन प्रकार आयरन डेफिशियेंसी है। जिससे आसानी से बचा जा सकता है। होम्योपैथिक उपचार से इसे ठीक भी किया जा सकता है। आयरन डेफिशियेंसी एनीमिया दुनियाभर में सबसे सामान्य पोषण संबंधी विकार है। यह स्थिति तब होती है जब शरीर में आयरन की कमी के कारण हीमोग्लोबिन बनना घट जाता है जिससे शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है।
अधिकांश महिलाओं, बच्चों-किशोर व वृद्ध होते हैं पीड़ित
डॉ. एके द्विवेदी ने बताया कि आयरन डेफिशियेंसी एनीमिया से विशेष रूप से गर्भवती महिलाएं और वे महिलाएं जो मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्त्राव का अनुभव करती हैं और पीड़ित रहती हैं। बच्चे और किशोर को भी अधिक आयरन पोषण की आवश्यकता होती है। वृद्ध लोग जिनका पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है वे भी आयरन डेफिशियेंसी एनीमिया से पीड़ित हो सकते हैं। बचाव के लिए खानपान के बारे में बताते हुए डॉ. द्विवेदी ने कहा कि जो लोग वेजिटेरियन हैं वे हरी पत्तेदार सब्जियां (पालक, मैथी, सरसों), दालें और फलिया (राजमा, चने), सूखे मेवे (किशमिश, काजू, बादाम, आयरन-फोर्टिफाइड अनाज ले सकते हैं। वहीं विटामिन-सी आयरन के अवशोषण को बढ़ाने में मदद करता है। इसे संतरे, नींबू, अमरूद और टमाटर जैसे खाद्य पदार्थों के जरिए प्राप्त करें। चाय और कॉफी का सीमित सेवन करें। क्योंकि चाय और कॉफी में टैनिन्स होते हैं जो आयरन के अवशोषण में बाधा डालते हैं। दोनों को भोजन के साथ नहीं लेना चाहिए। वहीं नॉनवेज लेने वालों को बताया कि वे रेड मीट, चिकन, मछली और लिवर (जिगर) अपने भोजन में शामिल कर सकते हैं।
खून की कमी रहती है तो नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं
डॉ. एके द्विवेदी ने कहा कि जिन्हें भी खून की कमी रहती है उन्हें नियमित स्वास्थ्य जांच करवाना चाहिए। खासकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए नियमित ब्लड टेस्ट कराना जरूरी है ताकि आयरन स्तर का समय रहते पता चल सकें। लोगों को चाहिए कि वे आयरन सप्लीमेंट्स का सेवन करें, जो लोग आहार से पर्याप्त आयरन नहीं ले पा रहे हैं उनके लिए डॉ. की सलाह से आयरन सप्लीमेंट्स या होम्योपैथी दवा फायदेमंद हो सकती हैं।
चिकित्सा छात्र-छात्राएं ज्याद से ज़्यादा जागरूकता फैलाए
डॉ. एके द्विवेदी ने चिकित्सा छात्र-छात्राओं को सलाह कि वे आयरन डेफिशियेंसी एनीमिया के प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाएं। खासकर गांवों और दूरदराज के इलाकों में आयरन डेफिशियंसी के खतरे और बचाव के उपयों के बारे में जनजागरूकता फैलाना आवश्यक है। भारत सरकार की पहल के बारे में बताते हुए डॉ. द्विवेदी ने कहा कि भारत सरकार ने एनीमिया से निपटने के लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन और एनीमिया मुक्त भारत अभियान चलाए हैं। इनका उद्देश्य पोषण संबंधी जागरूकता बढ़ाना और गर्भवती महिलाओं, बच्चों और किशोरियों में एनीमिया को कम करना है। अंत में डॉ. द्विवेदी ने चिकित्सा के छात्र-छात्रां को बताया कि होम्योपैथी दवा खून बढ़ाने में कारगर है और रक्ताल्पता के सभी प्रकार के मरीजों को इनसे लाभ भी मिल रहा है।