- टास्कअस ने हर महीने 250 से ज़्यादा नए स्टाफ को नियुक्त करने की योजना के साथ इंदौर में तेजी से विस्तार शुरू किया
- Capture Every Live Moment: OPPO Reno13 Series Launched in India with New MediaTek Dimensity 8350 Chipset and AI-Ready Cameras
- OPPO India ने नए AI फीचर्स के साथ पेश की Reno13 सीरीज़
- इंदौर एनिमल लिबरेशन की पहल: जानवरों के अधिकारों का हो समर्थन
- सपनों को साकार करने का मंच बन रहा है ‘प्लास्ट पैक 2025’
जिसने मन को साधा समझो उसने सबको साध लिया: जिनमणिप्रभ
इन्दौर। एक बात बहुत ही सटीक है कि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। इंसान का मन बड़ा चंचल होता है। मन को अपना गुलाम बनाकर रखना चाहिए, जीवन मे मन को कभी भी मालिक नही बनने देना चाहिए। मन के मालिक बनते ही जीवन मे विकारों को स्थान मिलना प्रारम्भ हो जाता है। शस्त्रों में कहा गया है कि जिसने मन को साध लिया समझो उसने सब कुछ साध लिया।
यह बात चातुर्मास के दौरान एरोड्रम रोड स्थित महावीर बाग में आचार्य जिनमणिप्रभ सरिश्वरजी महाराज ने अपने प्रवचन श्रंखला में बुधवार को अपने मन को कैसे वश में करें,, विषय पर श्रावक श्राविकाओं को संबोधित करते हुए कही।
आचार्यश्री ने कहा कि आत्मा के उज्ज्वल भविष्य व कल्याण के लिए मन पर नियंत्रण जरूरी है। इंसान का मन जो करता है वही हमें भुगतना पड़ता है। मन को जीतकर ही परमात्मा परम पद को प्राप्त हुए। हम भी मन पर नियंत्रण करके परम गति को प्राप्त कर सकते हैं।
श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ श्रीसंघ एवं चातुर्मास समिति के प्रचार सचिव संजय छांजेड़ एवं चातुर्मास समिति संयोजक छगनराज हुंडिया एवं डूंगरचंद हुंडिया ने जानकारी देते हुए बताया कि महावीर बाग में प्रतिदिन हजारो की संख्या में श्रावक-श्राविकाएं प्रवचनों का लाभ ले रहे हैं। वहीं चातुर्मास के दौरान महावीर बाग में कई धार्मिक कार्यक्रमों के दौर के साथ ही गुरूवार को सिद्धी तप प्रारंभ होगा।
मन ही मित्र मन ही शत्रु
हमारे मन के विचार ही हमारे स्वर्ग या नरक जाने का मार्ग प्रशस्त करते है। क्योंकि मन ही हमारा परम मित्र और मन ही हमारा परम शत्रु होता है। यदि समझने का भाव में में हो तो हमारा जीवन सफल होने से रुक
नही सकता।
मन का स्वभाव है भागना
जीवन के सारे समाधान परमात्मा के अधीन है। उसके पास अपने दुखों को प्रकट करो। इस जगत में ऐसा कोई भी तत्व नही है जो मन को वश में करने से रोक सके। मन की विशेषता होती है कि वह एक जगह टिकता नही है। मन का स्वभाव ही होता है भागना। मन जहां होता है वहाँ नही भी होता। हमेशा दूसरी जगह भागता है।
हार में जिद का समावेश होता है- कोई भी व्यक्ति अपनी परछाई या छाया में अपने शरीर के अंगों को नही देख पाता है। ऐसे में वह अपनी चोटी को प्रयास के बावजूद भी नही पकड़ पाता। ऐसे में हार जिद में बदल जाती है। यदि हार का विश्लेषण किया होता तो जिद की स्थिति ही नही बनती। हमेशा हार में जिद का समावेश होता है।
गृहस्थ जन्म से, साधु पुरुषार्थ से होता है
कोई भी व्यक्ति सपना देखता है, अपना कार्य तय करता है लेकिन वह उसे पूरा नही कर पाता है। कोई भी संसार मे रहकर सारे कार्य पूरे नही कर सकता। महाराज साहब ने प्रश्न किया सुखी कौन, आप या हम। इसके उत्तर में में उन्होंने ही कहा कि गृहस्थ जन्म से होता है और एक साधु अपने पुरुषार्थ से तथा संसार के सुख त्याग कर साधु
बनता है। बुधवार को महावीर बाग में संजय छाजेड़, हस्तीमलजी लोढ़ा, प्रमोद सेठी, अशोक छाजेड़, महेंद्र भंडारी, दिनेश ठाकुरिया, विजेंद्र चौरडिय़ा सहित हजारों की संख्या में श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे।
अष्ठम तप की आराधना होगी
उज्जैन में दानी गेट स्थित अवन्ति पाश्र्वनाथ मंदिर में 18 फरवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा के अंतर्गत विश्व शांति के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए महावीर बाग इंदौर सहित सम्पूर्ण भारत में सामूहिक रूप से 17, 18 और 19 अगस्त को अष्ठम तप की आराधना की जाएगी।