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लाइव बायपास सर्जरी देख मिला जिज्ञासाओं का समाधान
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स्कूली बच्चों को दिखाई गई लाइव सर्जरी
इंदौर. यदि कोई व्यक्ति बेहद गरीब है और बायपास नहीं करवा सकता है तो उसके हृदयरोग को ठीक करने के लिए दूसरा क्या उपाय हो सकता है? बायपास करते वक्त किन बातों का विशेष ध्यान रखा जाता हैं? यदि किसी व्यक्ति को एनेस्थीशिया की दवाई से एलर्जी है तो उसकी सर्जरी किस प्रकार की जाती है?
ऐसे ही बहुत सारे रोचक सवालों और उनके जवाबों के साथ इंदौर व आसपास के इलाकों के करीब 10 स्कूलों के 250 से अधिक बायोलॉजी स्टूडेंट्स को लाइव ओपन हार्ट सर्जरी देखने का मौका मिला चोइथराम हॉस्पिटल में. चोइथराम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के 39वे स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में होने वाले पांच दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन खासतौर पर स्कूली बच्चों के लिए यह आयोजन रखा गया था. बच्चों ने ऑडिटोरियम में बैठकर ऑपरेशन थिएटर में चल रही 45 वर्षीया मरीज की ओपन हार्ट सर्जरी देखी.
इस दौरान जहाँ विशेषज्ञ सर्जन डॉ. सुनील दुबे और एनेस्थीशिया विशेषज्ञ डॉ नितिन शर्मा ऑपरेशन कर रहे थे. वहीं बच्चों की जिज्ञासाएं शांत करने के लिए उनके साथ ऑडिटोरियम में डॉ. सगीर अहमद और डॉ. मयंक जैन उपस्थित थे. बच्चे सर्जरी के दौरान अपने मन में उठाने वाले प्रश्नों को कागज पर लिखकर दोनों विशेषज्ञों से पूछ रहे थे. बच्चों ने 5 घंटे चली इस सर्जरी के दौरान 150 से अधिक प्रश्न पूछे. इस दौरान सबसे अच्छे तीन सवाल पूछने वाले बच्चों को पुरस्कृत भी किया गया.
डॉ. सगीर अहमद ने बच्चों को बताया कि जिस व्यक्ति का ऑपरेशन चल रहा है उसे ना तो डाइबिटीज़ है और ना ही ब्लड प्रेशर पर धुम्रपान की बुरी आदत और कोलेस्ट्रॉल लेवल अधिक होने के कारण कम उम्र में ही उनकी बायपास सर्जरी करनी पड़ रही है. उन्होंने बताया कि आज स्ट्रेस और लाइफस्टाइल भी दिल की बीमारियों की बड़ी वजह बनते जा रहे हैं.
कठिन है बायपास सर्जरी
हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. सुनील चांदीवाल ने बताया कि डॉक्टर बनने का सपना लिए बायो स्टूडेंट्स को इस पेशे के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से यह आयोजन किया गया. बच्चों से मुखातिब होकर उन्होंने कहा कि यदि आप मूविंग हार्ट सर्जरी की जटिलताओं को समझना चाहते है तो घर जाकर हिलते हुए कपडे को सिलने की कोशिश कीजिएगा, यह उससे कही ज्यादा कठिन काम है. उन्होंने बच्चों से यह भी पूछा कि कितने बच्चों को सीपीआर देना आता है. जवाब में बेहद कम हाथ उठने पर उन्होंने शिक्षकों से कहा कि वे कभी भी अपने स्कूल के बच्चो को सीपीआर ट्रेनिंग दिलाने के लिए ला सकते हैं. हॉस्पिटल में मौजूद एक्सपर्ट्स द्वारा उन्हें यह जीवन रक्षक तकनीक सिखाई जाएगी.
रियल लाइफ हीरोज सुनाएँगे आपबीती
डेप्युटी डायरेक्टर डॉ. अमित भट्ट ने बताया कि आयोजन के दूसरे दिन बच्चों को लाइव किडनी ट्रांसप्लांट दिखाया जाएगा. दूसरे सेशन में उन्हें एक ऐसी युवती से मिलवाया जाएगा जो गंभीर रूप से जलने के बाद भी मौत के मुँह से लौट आई. इस तरह के कई और भी जीवटता की मिसालों से मिलवाया जाएगा ताकि लोगों को प्रेरणा और साहस मिले.