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त्वचा के रंग और आकर पर निर्भर करती है सर्जरी की तकनीक
देेश मेंं पहली बार नाक की सर्जरी में उपयोग की गई अल्ट्रासोनिक वेव्स तकनीक
इंदौर। किसी भी तरह की प्लास्टिक सर्जरी की तकनीक पेशेंट्स की त्वचा के रंग और आकार पर निर्भर करती है। सख्त और मुलायम त्वचा के लिए सर्जरी की तकनीक अलग होगी, उसी तरह गोरी और सांवली त्वचा के लिए भी अलग तकनीकों के जरिए सर्जरी की जाती है। भारत मे मोटी चमड़ी होती है इसलिए सर्जरी की तकनीक भी अलग होती है।
ऐसी ही कई रोचक जानकारियां दी गई आकाश अस्पताल के सभागृह में शनिवार को हुई राइनोप्लास्टी सेमिनार में। सेमिनार में छः लाइव सर्जरी की गई। पहली सर्जरी में नाक के टेड़े छेद को ठीक किया गया जबकि दूसरी सर्जरी में धार से आई 17 साल की बच्ची की जन्मजात ऊंची नाक को अल्ट्रासोनिक वेव्स से आकर में लाया गया।
25 साल के एक लड़की का केस खास था जिसकी जन्मजात नाक पूरी तरह से दबी हुई थी। इसकी छाती की हड्डी और कान के कार्टिलेज से नाक को आकार दिया गया। अल्ट्रासोनिक वेव्स तकनीक से राइनोप्लास्टी सर्जरी में बेहतर परिणाम मिलते है, अमेरिका में एफडीए ने 2017 में इस तकनीक को नाक की सर्जरी में उपयोग करने की मान्यता दी है और देश मे पहली बार इस तकनीक से उठी हुई नाक की सर्जरी की गई।
कम सूजन, कम कॉम्प्लिकेशन है वेव्स के फायदे
कांफ्रेंस के चेयरपर्सन और नेशनल फैकल्टी डॉ ब्रजेन्द्र बसेर ने बताया कि मेट्रो शहरों के बाद अब हमारे शहर में भी कॉस्मेटिक सर्जरी में रायनोप्लास्टी का चलन तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। आज कॉन्फ्रेंस में राइनोप्लास्टी में इस्तेमाल होने वाली नई तकनीक अल्ट्रासोनिक वेव्स से सर्जरी की गई। इस तकनीक के अपने कई फायदे है जैसे इस तकनीक से सर्जरी करने में समय की बचत होती है साथ ही सर्जरी के बाद सूजन कम रहती है और सर्जरी से जुड़ी कठिनाई भी कम आती है।
डॉ. बसेर ने बताया पहले 80 प्रतिशत लोग सिर्फ किसी समस्या के समाधान हेतु रायनोप्लास्टी करते थे, इसके साथ ही नाक का आकार ठीक करने वाले मात्र 20 प्रतिशत होते थे। लोगों को बाद में जरूर एहसास होता था कि समस्या के समाधान के साथ ही सुंदरता भी आवश्यक है। ऐसे में दोबारा सर्जरी करनी पड़ती थी। पर अब स्थिति बदल गई है अब यह प्रतिशत 50-50 हो गया है। यानि 50 प्रतिशत लोग नाक से जुडी समस्याओं के समाधान के साथ ही उसे सवारने पर भी ध्यान देने लगे हैं। हमारे देश में सबसे ज्यादा दबी हुई नाक की सर्जरी की जाती है क्योंकि इसे कुष्ठ रोग का लक्षण समझा जाता है, इसलिए लोग इससे जल्दी से जल्दी ठीक कराना चाहते हैं।
बढ़ती उम्र में नाक की टिप झुक जाती है
कोलकोता से आए डॉ. देव रॉय ने बताया बढ़ती उम्र के साथ नाक की टिप झुकने लगती है जिसे सांस लेने में तकलीफ होती है ऐसी तकलीफ में नोज़ टिप राइनोप्लास्टी करना होती है जिसके लिए लोगों के साथ चिकित्सकों में ज्यादा जागरूकता नही है। नाक की सर्जरी में कॉस्मेटिक और फंक्शनल दोनो एक साथ की जानी चाइये। डॉ. रॉय ने कहा टेडी नाक को बाहर के साथ अंदर से भी उसी समय ठीक करना चाहिए नही तो सांस लेने में आने वाली अड़चने बानी रहेंगी।
इस तरह के केस में जरुरी होती है राइनोप्लास्टी
– साँस लेने में समस्या होना
– टेडी नाक होना
– नाक के अंदरूनी हिस्से की बनावट में गड़बड़ी होना
– दबी हुई नाक
– बाहर से चौड़ी और अंदर से दबी हुई हड्डी