सही दिशा में सही कैलेंडर लगाने से प्रगति होती है

डॉ श्रद्धा सोनी
वैदिक ज्योतिषाचार्य

समय के सूचक कैलेंडर नए साल के साथ ही परिवर्तनशील होते हैं। तारीख, साल, समय ये सब आगे बढ़ते रहते हैं और निरंतर आगे बढ़ते रहने को प्रेरित करते हैं। नया साल लगते ही हर घर में कैलेंडर बदल जाता है। कई बार, पुराने कैलेंडर से लगाव होने के कारण, उसे दीवार से हटाया नहीं जाता है।

बीते साल के साथ बीती बातों में ही आपको अटका सकता है, चाहे वो यादें सुखद हो, तब भी। आगे के जीवन में कोई ऐसा इंसीडेंट हो सकता है, कि बार-बार पलटकर पिछले उसी साल के बारे में सोचना पड़े। इससे भविष्य की रूपरेखा प्रभावित होती है। नए साल में नए कार्य करने के लिए ऊर्जा की कमी महसूस होती है। वास्तुशास्त्र में बताया गया है, कि कैलेंडर को घर की किस जगह पर लगाना शुभ होता है। कैलेंडर और दीवार घड़ी हमेशा सही दिशा में ही होने चाहियें. घड़ी के बारे में हमने दो दिन पहले ही लिखा. आज कलेण्डर के बारे में बता रहे हैं.

वास्तु के अनुसार, कैलेंडर को घर में उत्तर, पश्चिम या पूर्वी दीवार पर लगाना सही रहता है। कई बार, कैलेंडर के पृष्ठों में हिंसक जानवरों, दुःखी चेहरों की तस्वीरें दी गई होती हैं। इस प्रकार की तस्वीरें घर में नेगेटिव एनर्जी का संचार करती है। ऐसे किसी कैलेंडर को भी घर में नहीं लगाना चाहिए।

पूर्व दिशा में कैलेंडर लगाना बढ़ा सकता हैं प्रगति के अवसरों को :
पूर्व दिशा के स्वामी सूर्य हैं। जो कि लीडरशिप के गुणों को विकसित करने वाले देव कहे गए हैं। साथ ही सूर्योदय की दिशा भी पूर्व है। इस दिशा में कैलेंडर रखना बहुत शुभ माना गया है। यह संतान के जीवन में प्रगति के द्वार खोलता है। यदि कैलेंडर पर तस्वीरें बनी हो तो इस दिशा में उगते हुए सूरज की तस्वीर वाला कैलेंडर लगाना चाहिए। साथ ही, अपने आराध्य देव, बच्चों या प्रेरणादायी तस्वीरों वाला कैलेंडर इस दिशा में लगा सकते है। कैलेंडर पर रेड और पिंक कलर का उपयोग ज्यादा किया गया हो। ऐसा कैलेंडर पूर्व दिशा के लिए बेहतरीन चुनाव होगा।

उत्तर दिशा :
उत्तर दिशा कुबेर की दिशा है। इस दिशा में हरियाली ,फव्वारा, नदी, समुद्र, झरने के चित्र वाले कैलेंडर लगाना चाहिए। साथ ही विवाह संबंधी तस्वीरें, युवा जीवन की तस्वीरों वाला कैलेंडर इस दिशा में लगाना चाहिए। कैलेंडर पर ग्रीन व सफेद रंग का उपयोग अधिक किया हो। ऐसा कैलेंडर उत्तर दिशा में सुख-समृद्धि को बढ़ाने वाला होता है।

पश्चिम दिशा में कैलेंडर लगाने से बन सकते है रुके हुए कई कार्य :
पश्चिम दिशा बहाव की दिशा है। इस दिशा में कैलेंडर लगाने से कार्यों में तेजी आती हैं। वहीं व्यक्ति की कार्यक्षमता भी बढ़ती है। पश्चिम दिशा का जो कोना उत्तर की ओर हो, उस ओर कैलेंडर लगाना चाहिए। दक्षिण दिशा से जुडे़ हुए कोने में कैलेंडर नहीं लगाएं।

दक्षिण दिशा :
घर में दक्षिण दिशा में कैलेंडर नहीं लगाना चाहिए। वास्तु के अऩुसार इस दिशा में कैलेंडर लगाने से सुख-समृद्धि में कमी आती है।
वास्तुशास्त्र के अनुसार, मुख्य दरवाजे पर व दरवाजे से सामने दिखाई देता कैलेंडर नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि, दरवाजे से गुजरने वाली ऊर्जा प्रभावित होती है। साथ ही, तेज हवा चलने से कैलेंडर हिलने से पेज उलट सकते है। जो कि अच्छा नहीं माना जाता है। यदि घर दक्षिणमुखी हो, तब तो इस बात का विशेष ख्याल रखें, कि मुख्य दरवाजे पर कैलेंडर नहीं लगाया गया हो।

कैलेंडर उत्तर, पश्चिम या पूर्वी दीवार पर लगाना चाहिए। पश्चिम दिशा बहाव की दिशा है। इस दिशा में कैलेंडर लगाने से कार्यों में तेजी आती हैं, कार्यक्षमता भी बढ़ती है। घड़ी और कैलेंडर दोनों ही समय के सूचक हैं। दक्षिण ठहराव की दिशा है। यहां समय सूचक वस्तुओं को ना रखें। ये घर के सदस्यों की तरक्की के अवसर रोकता है। घर के मुखिया के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है।

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