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इंदौर को दहला देने वाले कविता रैना हत्याकांड में आरोपी बरी
कोर्ट का फैसला सुन बिलख पड़े कविता के परिजन
इंदौर. शहर को हिला देने वाले कविता रैना हत्याकांड में आरोपी महेश बैरागी को सेशन कोर्ट ने शुक्रवार को बरी कर दिया. बताया जाता कि सबूतों के अभाव में बैरागी को बरी किया गया है. यह फैसला सुनते ही कोर्ट परिसर में मौजूद कविता के परिजनों में खासा आक्रोश देखा गया और वे दु:खी भी हो गए. अब इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जा सकेगी. लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर कविता का कातिल है कौन
उल्लेखनीय है कि मित्रबंधु नगर में रहने वाली कविता रैना 24 अगस्त 2015 को स्कूल से लौट रही बेटी को लेने के लिए बस स्टैंड पर जा रही थी. तभी वह गायब हो गई. बाद में उसका शव नौलखा क्षेत्र के नाले में पड़ा मिला था, जो 6 टुकड़ों में बोरे में बंद था. पुलिस ने कॉलोनी में ही रहने वाले महेश बैरागी को हत्या के मामले में आरोपित बनाया है. बैरागी पर आरोप था कि उसने कविता को मौत के घाट उतारने के बाद शव के 6 अलग-अलग टुकड़े कर दिए थे. इस चर्चित हत्याकांड के करीब ढाई महीने बाद पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार किया था. इसके बाद से वह जेल में है. मामले में अभियोजन की तरफ से एजीपी एनए मंडलोई और राकेश पालीवाल ने पैरवी की जबकि आरोपित की तरफ से सीनियर एडवोकेट चंपालाल यादव ने पक्ष रखा. अभियोजन की तरफ से 41 गवाहों के बयान कराए गए. इधर, आरोपित ने भी बचाव साक्ष्य के रूप में एक गवाह को बुलाया। सप्ताहभर पहले दोनों पक्षों की अंतिम बहस सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था, जो शुक्रवार को जारी किया गया.
इन आधारों पर दोषमुक्त किया
कोर्ट ने फैसले में कहा- अभियोजन पक्ष केवल आरोपी के साईंकृपा इलेक्ट्रीकल्स की दुकान पर 26 अगस्त 2015 को कविता के फुटेज लेने जाना और अभियुक्त द्वारा 20 अगस्त 2015 को 11 माह के लिए दुकान किराए पर लेने और 1 सितंबर 2015 को दुकान खाली करने संबंधी साक्ष्य ही प्रमाणित कर पाया. यह साक्ष्य की संपूर्ण श्रृंखला न होकर मात्र दो कडिय़ा हैं जो दर्शाई गई परिस्थितियों की श्रृंखला से जुड़ी नहीं पाई गई. इन दो परिस्थितियों को छोड़ शेष साक्ष्य प्रमाणित नहीं हो सके. दोनों पक्षों की ओर से प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों की विवेचना के आधार पर कोर्ट के मत में अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ हत्या करने और उसके संबंध में साक्ष्य विलोपित करने के आरोप को प्रणाणित करने में सफल नहीं रहा है. कोर्ट ने फैसले में कहा- केस डायरी विधिक प्रावधान में न होकर अलग अलग पन्नों में थी जो प्रकरण में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई की विश्वसनीयता पर प्रभाव डालती है.
फैसला सुनते ही बिलख पड़े परिजन
करीब एक सप्ताह कोर्ट ने प्रकरण की सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. शुक्रवार सुबह से ही सेशन जज बीके द्विवेदी के कोर्ट रूम में कविता और आरोपित के परिजन आ गए थे. दोपहर करीब साढ़े तीन बजे जैसे ही कोर्ट ने आरोपित को बरी किया तो कविता के परिजन की रुलाई फूट पड़ी. वे बिलख-बिलख कर रोने लगे. कविता के पति संजय ने कहा कि वे सेशन कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे.
फूट फूटकर रोया आरोपी
जैसे ही कोर्ट ने फैसला सुनाया महेश और उसकी पत्नी दोनों ही रो पड़े. फैसला सुनने के बाद आरोपी फूट फूटकर रोने लगा. महेश की पत्नी कोर्ट में सबके सामने हाथ जोड़कर रोती रही. आरोपित की पत्नी मीना ने कोर्ट के हाथ जोड़कर इतना ही कहा कि उसे पति की बेगुनाही का भरोसा था. कोर्ट के फैसले से इस पर मुहर लग गई. इसके बाद पुलिस ने कड़ी सुरक्षा के बीच आरोपी को कोर्ट से बाहर निकाला.
पति ने कहा कानूने से विश्वास उठ गया
कोर्ट द्वारा महेश को बरी करते ही परिवार आक्रोशित हो उठा. कुछ देर बाद वे फूटकर रोने लगे. कविता के पति ने कहा कि कोर्ट के इस फैसले के बाद मेरा कानून से विश्वास उठ गया.
मुझे झूठा फंसाया था
वहीं आरोपी महेश ने कहा कि कोर्ट से मुझे आज न्याय मिला है. मुझे झूठा फंसाया गया था. महेश के वकील ने चंपालाल ने कहा मैंने बेगुनाह को सजा से बचाया है. पुलिस असली आरोपी को तलाशे. महेश की बहन ने कहा कि मेरे भाई को झूठा फंसाया गया था. वो किसी को मार नहीं सकता.
हाई कोर्ट भी पहुंचा था मामला
सुनवाई की सुस्त गति को लेकर यह प्रकरण हाई कोर्ट भी पहुंचा था. आरोपित ने आरोप लगाया था कि अभियोजन जानबूझकर प्रकरण को धीमी गति से चला रहा है. इस पर हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट को 6 माह में प्रकरण की सुनवाई पूरी करने के आदेश दिए थे. इसके बावजूद सुनवाई करीब ढाई साल चली.
हाईकोर्ट में देंगे चुनौती
अभियोजन की तरफ से पैरवी कर रहे एजीपी एनए मंडलोई और राकेश पालीवाल ने बताया कि अभियोजन सेशन कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देगा. अभियोजन ने प्रकरण में 41 गवाह पेश किए थे. इनमें से एक भी पक्षद्रोही नहीं हुआ. इसके बावजूद कोर्ट ने अभियोजन की बात को सिद्ध नहीं माना. इधर आरोपित की तरफ से पैरवी करने वाले सीनियर एडवोकेट चंपालाल यादव ने भी कहा कि वे सीबीआई की मांग को लेकर हाई कोर्ट में गुहार लगाएंगे.