- आकाश एजुकेशनल सर्विसेज लिमिटेड ने एस्पायरिंग इंजीनियर्स के लिए पेश किया “आकाश इनविक्टस”– अल्टीमेट JEE प्रिपरेशन प्रोग्राम
- Beyond Key Celebrated Women’s Day 2025 Across All its Offices
- Prasar Bharati and Eros Universe’s Eros Now Announce Strategic Collaboration to Enhance Digital Content Delivery
- Three Stars, a Cricket Match, and One Life-Changing Story: ‘TEST’ Premieres April 4
- Netflix Becomes the Exclusive Home for WWE in India Starting April 1
करदाता सुनवाई नहीं होने पर कर सकता है रिट फाइल

दो दिवसीय सीए जीएसटी नेशनल कांफ्रेंस संपन्न
इंदौर. यदि किसी करदाता के मौलिक अधिकारों का हनन होता है और ऑथोरिटी के समक्ष सुनवाई नहीं होती है तो वो हाई कोर्ट में रिट फाइल कर सकता है. यदि करदाता को टैक्स रेट के बारे में कोई संशय है तो वो एडवांस रूलिंग ऑथोरिटी के समक्ष एडवांस रूलिंग के लिए आप्लाई कर सकता है. यह एडवांस रूलिंग उस करदाता के लिए बाध्यकारी होगी लेकिन किसी अन्य करदाता के लिए नहीं.
यह कहना है सीजीएसटी मुंबई के जॉइंट कमिश्नर डॉ. आर.के. वर्मा का. वे द इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड अकाउंटेंट की इंदौर शाखा द्वारा जीएसटी की पहली वर्षगांठ पर दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस में संबोधित कर रहे थे. इस ऐतिहासिक कांफ्रेंस में देशभर के 850 से अधिक चार्टर्ड एकाउंटेंट्स टैक्स कंसल्टेंट्स ने भाग लिया. इसका समापन मंगलवार को हुआ. कार्यक्रम में चेन्नई से आए सीए पी राजेन्द्र कुमार ने कहा कि पोर्टल और विभाग के बीच में सामंजस्य बनाने के लिए जरूरी डॉक्युमेंट्स फ़ाइल नहीं करने से एक्सपोर्ट रिफंड में देरी होती है. अब चूंकि जीएसटी कलेक्शन बहुत बढ़ चुका है अब समय आ गया है. सरकार को जीएसटी रेट 12 से 15 प्रतिशत कर देना चाहिए. एक्सपोर्ट रिफंड के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि जो भी डॉक्यूमेंट्स फ़ाइल करें उसमे और एक्सपोर्ट डॉक्युमेंट्स इत्यादि में समान जानकारी होना चाहिए. अन्यथा रिफंड इश्यू होने में परेशानी आ सकती है. उन्होंने कहा कि अब चूंकि जीएस्टी कलेक्शन बहुत बढ़ चुका है. अब समय आ गया है सरकार को जीएसटी रेट 12 से 15 प्रतिशत कर देना चाहिए.
रियल एस्टेट की हो एक समान पॉलिसी
कोलकाता से सीए अरुण अग्रवाल ने कहा कि गवर्नमेंट को रियल एस्टेट की एक समान टैक्स पॉलिसी बनाना चाहिए. अभी डायरेक्ट टैक्स तथा इंडायरक्ट टैक्स में अलग अलग पॉलिसीज हैं जिससे वाद विवाद बढ़ते हैं. लोगों को टैक्स देने में दिक्कत नहीं है बल्कि उन्हें सिंपल टैक्स कानून चाहिए. जीएसटी को गुड एंड सिंपल टैक्स कह कर लगाया गया था जबकि हुआ उल्टा. पुराने वेट कानून से ज्यादा कॉम्प्लिकेशन जीएसटी में है खास तौर पर रियल स्टेट और ज्वाइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट में वेट कानून में स्थिरता से आ गई थी कॉम्प्लिकेशन कम हो गए थे जबकि जीएसटी में पुन: कॉन्प्लिकेशन पैदा कर दिया गया.
श्रोताओं के जवाब भी दिए
कार्यक्रम में जीएसटीएन पोर्टल नई दिल्ली से जॉइंट कमिश्नर श्री सार्थक सक्सेना, सीजीएसटी के अधीक्षक आशुतोष निवसरकर, एसजीएसटी के सीनियर कंसल्टेंट टेक्नोलोजी योगेश शर्मा ने श्रोताओं के जवाब भी दिए. कांफ्रेंस में स्वागत भाषण इंदौर सीए शाखा के चेयरमेन सीए अभय शर्मा ने दिया तथा धन्यवाद् अभिभाषण पास्ट चेयरमेन सीए सुनील खंडेलवाल ने दिया. इस अवसर पर सेंट्रल कौंसिल मेम्बर सीए केमिषा सोनी, ब्रांच सचिव सीए हर्ष फिरोदा, सीए निलेश गुप्ता, सीए चर्चिल जैन, वाइस चेयरमैन पंकज शाह, सिकासा चेयरमेन सीए कीर्ति जोशी सीए जयेश शाह, सीए प्रतीक अग्रवाल, सीए सोम सिंघल, सीए अंशुल मंगल और सीए प्रमोद तापडिया उपस्थित थे.