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डांसर के लिए अच्छा प्रशिक्षण जरूरी: मरजी
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इंदौर. एक अच्छा डांसर होने के लिए अच्छा प्रशिक्षण जरूरी है. आजकल अधिकतर डांसर केवल डांस सिखाते है. जबकि मैं सभी को कहता हूं उन्हें डांस मत सिखाओ बल्कि प्रशिक्षित करो. जब एक डांसर अच्छे से प्रशिक्षित होगा तो वह डांस अच्छे से कर सकेगा.
यह कहना है डीआईडी लिटिल मास्टर्स के जज और डांसर मरजी पेस्टनजी का. वे बुधवार को शो के प्रमोशन और शहर के टैलेंटेड बच्चों से मिलने के शहर में थे. इस अवसर पर उन्होंने मीडिया से भी चर्चा भी की. चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि डीआईडी युवा टैलेंट के लिए अपना हुनर दिखाने और इस क्षेत्र में एक्सपर्ट बनने का एक शानदार माध्यम है. देश के युवा डांस प्रतिभाओं के लिए सबसे बड़ा मंच बन गया है, जो उन्हें इस इंडस्ट्री में पहला कदम रखने का अवसर देता है. मैंने आज इंदौर आकर शहर टैलेंटेड बच्चों से चर्चा की और उनका टैलेंट व ऊर्जा देखी. यहां भी बच्चों में अच्छा टैलेंट है. टीवी पर दिखने की चाह में बच्चों पर दबाव बनाने की बात पर उन्होंने कहा कि माता-पिता को बच्चों को पुश करना चाहिए लेकिन राइट डायरेक्शन में ताकि उन्हें किसी भी काम का प्रेशर न लगे. यह अंडर स्डेंडिंग रहेगी तो बच्चा अच्छा परफार्म करेगा.
सिखाना लगता है अच्छा
मरजी ने बताया कि मुझे 23 साल हो गये हैं मुझे डांसिंग फील्ड में मुझे कभी लगा ही नहीं मैंने स्ट्रगल किया क्योंकि शुरू से ही श्यामक डाबर सर के साथ काम कर रहा हूं. बल्कि उन्होंने स्ट्रगल किया है अपनी पोजिशन बनाने के लिए. हम तो उनके लिए काम करते हैं तो हमें उन्होंने कभी स्ट्रगल जैसा लगने ही नहीं दिया. हमने तो हमेशा बच्चों को सिखाया ही है. बाकि व्यवस्थाओं पर कभी ध्यान नहीं दिया.
सुंदर लड़कियों को देख शुरू किया डांस
मरजी ने कहा कि मैंने बचपन से कभी सोचा नहीं था क्या करना है. शुरू में जरूर पायलट बनना चाहता था लेकिन कुछ समस्या होने के कारण फिर मैंने उधर ध्यान नहीं दिया. मैंने 16 साल की उम्र से डांस करना शुरू किया था. मैंने यह भी इसलिए सीखना शुरू किया क्योंकि वहां सुंदर लड़कियां आती थी. पहले तो इसी कारण आकर्षित हुआ. बतौर शौक क्लास ज्वाइन कर ली. लेकिन डांस का यह शौक कब प्रोफेशन बन गया पता नहीं चला. मैं शुरू से ही बच्चों को सिखाता रहा हूं. मुझे सिखाने में बड़ा मजा आता है.
दर्शकों को डांस टर्म बताने सीखी हिंदी
कमजोर हिंदी को लेकर मरजी ने कहा कि घर पर मैं मम्मी-पापा से गुजराती में बात करता था और डांस क्लास में इंग्लिश में बात होती थी क्योंकि हमें निर्देशन इंग्लिश में ही देना होता था. इसलिए कम ही हिंदी बोलने में आती थी. लेकिन जज के रूप में आया तब मुझे लगा कि दर्शकों को हमारी टर्म समझाने के लिए हिंदी में भी बोलना जरूरी है. इसलिए फिर घर पर काम करने वाले और अन्य लोगों से हिंदी में बात करने लगा. धीरे-धीरे हिंदी भी सुधर गई.
जज करना टफ
शो में जज की भूमिका पर उन्होंने कहा कि बच्चों को जज करना बहुत टफ होता है. सभी बच्चे बहुत प्यारे और टैलेंटेड होते है इसलिए उनको जज करते समय दिल, दिमाग और आंखों तीनों का इस्तेमाल करता हूं. इसमें से कोई एक भी हावी हो गई तो निर्णय लेने में गड़बड़ हो सकती है.