जब राम नाम लिखे पत्थर तैर गए तो स्मरण से हमारा भी उद्धार संभव

इंदौर। राम नाम में अदभुत और दिव्य शक्ति है। घोर पापी भी राम नाम के उच्चारण मात्र से मुक्ति पा चुके हैं। यह राम नाम की ही महिमा थी कि पत्थर भी पानी पर तैरने लगे। जब पत्थर राम नाम के अंकन मात्र से तैर सकते हैं तो मनुष्य को भी यह विश्वास कर लेना चाहिए कि राम नाम का जाप और स्मरण ही इस संसार रूपी नौका से पार लगाएगा। क्रोध ऐसी अग्नि हैं जो पहले स्वयं को जलाती है, बाद में दूसरों को। क्रोध से बचने के लिए राम नाम का स्मरण कर लेना चाहिए।
ये दिव्य विचार हैं अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज के, जो उन्होंने आज सुबह उषा नगर सत्संग भवन पर आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए। हाल ही दक्षिण अफ्रीका की यात्रा से लौटे आचार्यश्री ने कहा कि मनुष्य जन्म बहुत दुर्लभ है जो कई परीक्षाओं के बाद मिलता है। जीवन के कर्म एवं व्यवहार क्षेत्र में कई बार मनुष्य अपने स्वाभाविक गुणों के विपरित काम करने लगता है, खासकर क्रोध में। क्रोध और गुस्से में अंतर है। गुस्सा जरूरी है, क्रोध नहीं। अनुशासन की दृष्टि से गुस्सा लाभदायक है। यदि क्रोध पर काबू पाना है तो राम नाम स्मरण शुरू कर दें, उस स्थान को छोड़ दें, एक गिलास पानी पी लें और अपने गुरूदेव का स्मरण कर लें।
ये चारों उपाय आपको क्रोध से तुरंत मुक्ति दिला सकते हैं। क्रोध व्यक्ति को पतन की ओर ले जाता है। क्रोध कभी घर के अंदर और घर के बाहर भी नहीं करना चाहिए। क्रोध स्वयं पर भी नहीं करना चाहिए और सामने वाले पर भी नहीं होना चाहिए। क्रोध ऐसी घातक अग्नि हैं जो पहले स्वयं को जलाएगी और बाद में सामने वाले को, इसलिए क्रोध से बचकर रहना ही समझदारी है।
आचार्यश्री ने योग पर भी अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि जीवन में योग बहुत जरूरी है। योग का अर्थ होता है जोड़। सकारात्मक सोच का मतलब ही योग है। दुनिया में सृजन के सभी काम योग से ही संभव हैं, वियोग से नहीं। शरीर के साथ मन को भी तंदुरूस्त और चुस्त-दुरूस्त रखने के लिए योग आज की इस भागमभाग वाली दिनचर्या में बहुत जरूरी है। धर्मसभा में छावनी रामद्वारा के संत रामस्वरूप रामस्नेही, जोधपुर के संत हरिराम शास्त्री, चित्तौड़ के संत दिग्विजयराम सहित अनेक अन्य संत भी उपस्थित थे, जो आचार्यश्री के साथ दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर गए थे।
सभा के अंत में संत दिग्विजयराम ने मनोहारी भजन प्रस्तुत कर भक्तों को भावविभोर कर दिया। प्रारंभ में भक्त मंडल की ओर से राजेंद्र असावा, सुश्री किरण ओझा, मुकेश कचोलिया आदि ने आचार्यश्री एवं अन्य संतों का स्वागत किया। आचार्यश्री रविवार 1 जुलाई को भी प्रात: 8.30 से 9.30 बजे तक उषा नगर स्थित सत्संग भवन पर अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे।

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