आईआईएम इंदौर में मंगोलिया के राज्यपालों के लिए प्रबंधन विकास कार्यक्रम आयोजित

न्याय मंत्रालय, कंबोडिया के न्यायाधीशों और राजनयिकों के लिए सफलतापूर्वक प्रबंधन विकास कार्यक्रम (MDP) आयोजित करने के बाद, आईआईएम इंदौर ने 06-10 जनवरी, 2020 तक मंगोलिया के 25 राज्यपालों के लिए ‘स्थानीय शासन’ पर MDP आयोजित किया। ये राज्यपाल  भारतीय राज्यों के मंत्री के समकक्ष हैं। कार्यक्रम का संचालन भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (ITEC), विदेश मंत्रालय के तहत किया गया था। कार्यक्रम में विभिन्न सत्रों और शासन के विशेषज्ञों के साथ बातचीत हुई। राज्यपालों ने माननीय मुख्य मंत्री श्री कमलनाथ जी से भोपाल में मुलाकात की और भोपाल विधानसभा का दौरा भी किया।

कार्यक्रम के दौरान आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रोफेसर हिमांशु राय ने भी समूह का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य आपसी ज्ञान बढ़ाना और प्रशासन सम्बंधित ज्ञान को साझा करना है, जिससे दोनों राष्ट्रों के बीच संबंध मजबूत होंगे। उन्होंने कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन पर इसके प्रभाव के बारे में अपनी चिंताओं को साझा किया। उन्होंने कहा, “हमें FIRE – फियर, इनएक्शन, रिलेशनशिप इश्यू और एनवी (ईर्ष्या) को दूर करने की जरूरत है। सभी राष्ट्रों की नींव को निर्वाह, शांति और नैतिक नेतृत्व पर बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा, सभी पर्यावरणीय मुद्दों का समाधान एक साथ मिल कर खोजा जाना चाहिए। ”

प्रोफेसर राय ने उन तरीकों पर चर्चा की जिसमें आईआईएम इंदौर एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण में योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा, “भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि आप आज क्या करते हैं। आत्म सुधार की तलाश करें। पता लगाएँ कि आप किसके बारे में भावुक हैं। अपने कार्यों की जिम्मेदारी लें। यहां तक कि एक प्रांत स्तर पर भी आप पूरी क्षमताओं के साथ अपने दम पर काम करना शुरू कर सकते हैं। ”  उन्होंने कहा कि संस्थान भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने और विदेशी देशों के साथ सहयोग करने के लिए तत्पर है।

राज्यपालों को माननीय शहरी विकास और आवास मंत्री (एमपी), श्री जयवर्धन सिंह के साथ बातचीत करने का भी मौका मिला। उन्होंने ‘क्लीन इंदौर’ की सफलता की कहानी साझा की और बताया कि आधुनिक तकनीक का उपयोग करके कचरे को कैसे रिसाइकिल किया जाता है और डंपिंग ग्राउंड को अब पार्क में  कैसे बदला जाता है। उन्होंने  कहा कि इंदौर का स्वछता अभियान पूरे देश में लागू करने के लिए श्रेष्ठ उदहारण है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा कि पानी की आपूर्ति शहर के लिए एक चुनौती है, और सरकार का दृढ़ता से मानना है कि पानी का उपयोग एक मौलिक अधिकार होना चाहिए। उन्होंने कहा, ” स्मार्ट सिटी बनाने के लिए, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि पानी की आपूर्ति, सीवेज कनेक्शन और बिजली के तार भूमिगत हों। हम इसे सरल, कुशल और कम्यूटर फ्रेंडली बनाने के लिए यातायात के प्रवाह की निगरानी भी कर रहे हैं। ”उन्होंने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सरकार द्वारा शुरू किये गए ई-रिक्शा की भी बात की, जो महिलाओं के लिए हैं और महिला चालक ही इन्हे चलती हैं।

समूह ने श्री आशीष सिंह (आईएएस, आयुक्त, आईएमसी) और श्रीमती मालिनी लक्ष्मणसिंह गौर (महापौर, इंदौर) से भी मुलाकात की। श्रीमती गौर ने राज्यपालों को सूचित किया कि इंदौर को लगातार तीन बार सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार मिला है, और इसका श्रेय नगर निगम की टीम को जाता है। “शहर में 85 वार्ड हैं, और प्रत्येक घर से सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग एकत्र किया जाता है। हम जैव-कचरे से मीथेन गैस का उत्पादन कर रहे हैं, और डंप स्टेशनों को बगीचों में परिवर्तित किया जा रहा है। इंदौर के लोग बहुत जागरूक हैं, और शहर को साफ रखते हैं”, उन्होंने कहा।

शासन से जुड़े विषयों पर कई सत्र भी आयोजित किये गए थे जिनमें  कुल गुणवत्ता प्रबंधन, प्रशासन में नैतिकता, भारत में भूमि अधिग्रहण या मुआवजा और पुनर्वास, भूमि अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण, ई-शासन और सेवा वितरण, शहरी विकास और भारत में योजना, आदि शामिल थे। राज्यपालों ने कहा कि ये सभी सत्र काफी फायदेमंद रहे।

 इन सत्रों के वक्ताओं के रूप में श्री संजय दुबे (शहरी विकास और आवास विभाग, भारत सरकार के प्रधान सचिव) ; श्री संतोष बी (आईएएस, प्रमुख सचिव); प्रोफेसर डी. एल. सुंदर (डीन, प्लानिंग एंड डेवलपमेंट, आईआईएम इंदौर); प्रोफेसर गणेश एन. निदुगाला (आईआईएम इंदौर); प्रोफेसर स्वप्निल गर्ग (आईआईएम इंदौर); प्रोफेसर प्रशांत सलवान (आईआईएम इंदौर); श्री अमिया पहारे (राज्य नोडल अधिकारी, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, मध्य प्रदेश); और डॉ. पुनीत कुमार द्विवेदी (स्वच्छ भारत इंदौर के ब्रांड एंबेसडर और मॉडर्न ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट्स के निदेशक) शामिल थे। डॉ. रेणु जैन (देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति), और प्रोफेसर मर्लिन वायली (उत्तरी टेक्सास विश्वविद्यालय) के साथ एक विचार-विमर्श संयुक्त सत्र आयोजित किया गया था।

09 जनवरी, 2020 को कार्यक्रम के अंत में राज्यपालों को प्रमाण पत्र प्रदान किये गए।  इसके बाद, वे भारत की स्थापत्य कला देखने के लिए दिल्ली और आगरा के दौरे पर  रवाना हुए। राज्यपालों ने  कहा कि यह कार्यक्रम उनके लिए बहुत फायदेमंद था, और इससे उन्हें भारतीय शासन की प्रभावशीलता को समझने में मदद मिली।

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