आज शिव योग में मनेगी नागपंचमीः आचार्य शर्मा

शिव योग में नागपंचमी मनेगी. पर्यावरण व वनसम्पदा में नागों की महती भूमिका है। भारतीय चिंतन प्राणिमात्र में आत्मा व परमात्मा के दर्शन करता है। नाग देवतुल्य पूजनीय है।

उक्त बात आचार्य पंडित रामचन्द्र शर्मा वैदिक,शोध निदेशक, भारद्वाज ज्योतिष एवम आध्यात्मिक शोध संस्थान,इंदौर ने कही। उन्होंने बताया कि सावन शुक्ल पंचमी को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है।ज्योतिर्विज्ञान में पंचमी तिथि के स्वामी नाग को बताया है।इस वर्ष पूरा सावन माह योग संयोग में मनाया जा रहा है।

सोमवार से सावन प्रारम्भ तो सोमवार को ही समाप्त होगा। कृष्ण पक्ष में हरियाली अमावस्या को सोमवार तो शुक्लपक्ष में पूर्णिमा रक्षाबंधन को सोमवार होगा। दोनों पक्षों में शनि प्रदोष का योग, 5 सोमवार, सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि, रवियोग के साथ इस वर्ष सावन में नागपंचमी को *शिव * महायोग बन रहा है। नागराज स्वयं भोले बाबा के गले का आभूषण, गणेशजी व सूर्य के रथ की शोभा बढ़ा रहे बारह नाग, निश्चित ही नाग स्वयं देवतुल्य की है।

हमारी संस्कृति में नागपंचमी पर नाग-नागिन के चित्रों को उकेर के उनकी विविध पूजा उपचारों से पूजा करने का विधान प्राप्त होता है। नाग पूज्य होने के साथ संरक्षणीय भी है। ये हमारी कृषी सम्पदा की जीवों से रक्षा करने के साथ ही पर्यावरण की भी रक्षा करते है।वन संपदा में भी नागों की अहम भूमिका है।

नागों का मूल स्थान पाताल लोक है।इनका उदगम महर्षि कश्यप व इनकी पत्नी कद्रू से बताया है। नाग पृथ्वी, आकाश, स्वर्ग, सूर्य की किरणों, सरोवरों, वापी, कूप व तालाब आदि में निवास करते है। उनकी प्रसन्नता हेतु सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को उनकी विधि विधान से सुख,शांति ,समृद्धि व अखंड सौभाग्य की प्रप्ति हेतु पूजा की जाती है।

आचार्य पंडित रामचन्द्र शर्मा वैदिक ने बताया कि हमारे ऋषि मुनियों ने नाग उपासना में अनेक व्रत,,पूज का विधान बताया है। पंचमी को सर्पभय से मुक्ति हेतु सर्पों/नागों को गाय के दूध से स्नान कराने का विधान, नागपंचमी को नाग पूजा में गाय के दूध से स्नान कराने का विशेष महत्व बताया गया है।

ऎसी मान्यता है कि माता के श्राप ने समस्त नाग लोक जलने लग गया था। इस पीड़ा के निवारण हेतु उन्हें शीतलता प्रदान करने के उद्देश्य से नाग पंचमी को उन्हें दूध से नहलाया जाता है। आचार्य शर्मा वैदिक ने यह तथ्य उद्घाटित करते हुए बताया कि सर्प हवा पीकर जिंदा रहते है। दूध नहीं पीते हैं। सर्पा पिबन्ति पवनम न च दुर्बला स्टे…।

शिव योग में करें नागपंचमी की पूजा
इस वर्ष पंचमी शनिवार को शिव योग का निर्माण हो रहा है। सभी सनातन धर्मी विधि विधान से गन्ध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य व वस्त्र आदि ने पारम्परिक नाग पूजा अवश्य करें।

नागपूजा से होगा भय का नाश
वैष्विक महामारी कोरोना से समस्त संसार भयभीत है,लाखों लोग इसकी चपेट में है।दुनिया मे इसका भी विशेष बना हुआ है। इसके भय से मुक्ति हेतु नाग पंचमी को सभी विधि विधान से नागपूजा अवश्य करें।

कालसर्प व पितृ दोष निवारण हेतु करे नाग पूजा
अनेक लोग कालसर्प दोष,पितृ दोष,मातृ दोष,ग्रहण दोष,विष योग के भय से निवृत्ति हेतु नागपंचमी को शांति विधान करने से जातकों को लाभ मिलता है।

जीवमात्र के प्रति सम्मान का पर्व है नाग पंचमी
हमारा भारत एक धर्मप्राण देश है। हमारा चिन्तन प्राणी मात्र में आत्मा व परमात्मा के दर्शन कर एकता का अहसास करता हैष समम् सर्वेषु भूतेषु तिष्ठन्तम परमेश्वरम। यह दिव्य दृष्टि जीवमात्र में भगवतदर्शन कराती है।आचार्य शर्मा वैदिक ने बताया कि यह पर्व जीवों के प्रति आत्मीयता व दयाभाव को विकसित कर उनके प्रति सम्मान,उनके संवर्धन के साथ ही उनके संरक्षण की प्रेरणा प्रदान करता है ।

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