तनाव मुक्त जीवन के लिये आवश्यक है संबंधों में मधुरता

इंदौर. भाग्यशाली वह नहीं जिन्हें सब कुछ अच्छा मिला है, लेकिन भाग्यशाली वह है जो भी उनके पास है उसे वह अच्छा बना लें.
उक्त कथन से अपनी बात की शुरूआत करते हुए माउंट आबू से पधारी ब्रह्माकुमारी उर्मिला दीदी ने पांच दिवसीय शिविर के दूसरे दिन संबंधों में मधुरता विषय को स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि आज तनाव का बहुत कारण आपसी संबंधों का बिगडऩा है। गीता में कहा गया है आत्मा अपना ही मित्र अपना ही शत्रु है. हमें अपना मित्र बनने के लिए अपनी कथनी और करनी को समान बनाना है. हमारे कर्मो के हिसाब से संबंध मिलते हैं। अत: कर्मो की पूंजी को श्रेष्ठ बनाना होगा. श्रेष्ठ कर्म के लिये संस्कार को श्रेष्ठ  बनाना होगा. आपने पानी की बूंद का उदाहरण देते हुये बताया कि वर्षा का जल जब ऊपर से गिरता है तो बिलकुल शुद्ध होता है लेकिन जमीन की अषुद्धियां मिलने स मटमैला हो जाता है उसी प्रकार हम आत्मायें भी जब परमात्मा के घर से इस धरती पर आती है तो सर्व गुण, शक्तियां एवं पवित्रता से भरपुर होती है. लेकिन धरती पर आने के बाद किसी से नफरत सीख ली, किसी स क्रोध, किसी से स्वार्थ, किसी से ईर्ष्या। इसके कारण हमारे संस्कार बिगड़ गए. अगर हमें संबंधों को मधुर बनाना है तो सर्वप्रथम स्वयं को इन बुराईयों से मुक्त करना होगा.
किसी ने नहीं रखें अपेक्षा
आपने संबंधों को मधुर बनाने के कई टिप्स दिये – किसी से भी बहुत ज्यादा अपेक्षा नहीं रखनी है. हम परमात्मा पिता जो सदैव डाटा है उसके बच्चे है अत: हमें भी दाता  बनकर सबको देना है. सागर के समान बड़ा दिल रखना है. हमें शहद की मक्खी बनना है न कि गंदगी की मक्खी. इस अवसर पर इंदौर जोन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी, मुख्य क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने भी अपनी शुभकामनाएं दी.

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