आओ कुछ सीखें और सिखाएं ,रोज कुछ नया लिखते जाएं

लेखिका संघ मे लेखन कार्यशाला संपन्न
इंदौर. कहा जाता है सीखने के कोई उम्र नहीं होती इंसान को हमेशा एक अच्छे विद्यार्थी की तरह कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए. लेखन और साहित्य के भी अनेक आयाम होते है जिसमे हर लेखक दखल नहीं रखता. इसी बात को ध्यान में रखते हुये इंदौर लेखिका संघ ने कुंद कुंद ज्ञानपीठ पुस्तकालय में एक अनूठा आयोजन किया और जिसे नाम दिया- आओ कुछ सीखें और सिखाएं ,रोज कुछ नया लिखते जाएं.
गौरतलब है की लेखिका संघ में अनेक विधाओं का ज्ञान रखने वाली सदस्य हैं जिन्होने अपनी ही सखियों को लेखन की कुछ खास विधाएँ सिखाई. डॉ चन्द्रा सायता ने  हाइकु, हाइगा/ हायगा और माहिया किस प्रकार लिखा जाता है? उसके मात्रिक नियम क्या है? इनका उद्गम कहाँ से हुआ बहुत रोचक से हाइकु एक वर्णिक छंद है जो तीन पंक्तियों में लिखते हैं। ऐसा माना जाता है की जापानी विधा है किन्तु संस्कृत में हाइकु प्राचीन काल से प्रचलित रहे है भले ही नाम अलग है।
हाइगा और हायगा हाइकु के समान ही लिखा जाता है अंतर केवल इतना होता है की ये किसी चित्र पर लिखे जाते है। महिया पंजाबी लोकसंस्कृति से आया है। ये शृंगार रस से संबन्धित है जो  धीरे धीरे हिन्दी में मे भी लिखा जाने  लगा है । हिन्दी फिल्मों की भी ये एक लोकप्रिय विधा है. चेतना भाटी ने बताया ताँका  एक जापानी काव्य विधा है जो वहाँ सैकड़ो वर्षों से लोकप्रिय है। तांका  यानि छोटी कविता जिसके अर्थ बहुत गहन होते है। ये लेखन विधा सतत शब्द साधना से ही संभव है। आजकल ये विधा ये अब भारत में भी तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है।

डायरी लेखन की विधा बताई

सुषमा व्यास ने डायरी लेखन कैसे करें? उन्होने बताया डायरी लेखन मे केवल रोज़मर्रा की बातें या घटनाएँ ही नहीं लिखी जाती बल्कि ये अतीत में झाँकने  का एक ऐसा झरोखा है जो एक दस्तावेज, संस्मरण या रिपोर्ताज बन जाता है. डायरी  से हमारा भावनात्मक रिश्ता होता है। इसमे हम कब किस जगह गए थे? हमने किस रूप में किस घटना को देखा? उस वक्त हमारे साथ कौन व्यक्ति मौजूद थे सब दर्ज होता है. जिसका महत्व कालांतर में बढ़ता जाता है. कई लेखको और पुरात्वेत्ताओं ने तो डायरी लेखन से बाकायदा कई आलेख ,दस्तावेज़ और रिपोर्ताज तैयार करके बहुत नाम और रुपए भी कमाएं है।

कठिन है दोहा लेखन

रश्मि सक्सेना ने  दोहा  लेखन विधा को बहुत रोचक तरीके से सिखाया. उन्होने कहा दोहा लेखन की एक अति प्राचीन विधा है. हम बचपन से तुलसी , सूरदास, कबीर और रहीम पढ़ते-सुनते आए हैं. देखने मे आसान लगने वाली विधा दरअसल बहुत कठिन है. कविता के  तीन प्रकार होते है मात्रिक छंद ,वर्णिक छंद , छंद मुक्त या अतुकांत कविता. इस अवसर पर लेखिका संघ की अध्यक्ष मंजुला भूतड़ा ,सचिव विनीता तिवारी, प्रचार मंत्री सुषमा दुबे, संध्या रॉय चौधरी, सुधा चौहान,शोभारानी तिवारी, आशा जाकड़,डॉ कल्पना जैन,मीना गौड़,रेखा अग्रवाल,वंदना पुणतांबेकर, कुसुम सोगानी, निशा चतुर्वेदी,स्मृति श्रीवास्तव,नीति अग्निहोत्री,संध्या जैन, सरोज यादव,तृप्ति भूतडा उपस्थित थी.

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