कोई भी लत रातों-रात दूर नहीं हो सकती, किसी भी एडिक्शन की फ्रीक्वेंसी घटाने की कोशिश करें

मनोचिकित्सक डॉ पवन राठी ने पोर्न एडिक्शन पर दी महत्वपूर्ण जानकरी

इंदौर. पोर्न एडिक्शन विषय पर अवेयरनेस सेमिनार का आयोजन क्रिएट स्टोरीज सोशल वेलफेयर सोसायटी द्वारा किया गया । इस ऑनलाइन सेमिनार में मनोचिकित्सक डॉ पवन राठी ने परिचर्चा की । संचालन दीपक शर्मा में किया ।

एडिक्शन साइकेट्रिस्ट डॉ पवन राठी ने बताया की पोर्न एडिक्शन या पोर्नोग्राफी यानी ऐसे तरीके से पोर्न देखना जिसे आप रोकना चाहते हो पर फिर भी रोक नही पाते जिस कारण आपके जीवनशैली या कार्य में बाधा आने लगती है । खुद को समय देना जरूरी है । कोई भी लत रातों-रात दूर नहीं हो सकती । किसी भी एडिक्शन की फ्रीक्वेंसी घटाने की कोशिश करें।

90 परसेंट से ज्यदा लोगों ने कभी कभी पोर्न या पोर्न साइट्स को विजिट किया होगा लेकिन सबको हम पोर्न एडिक्शन नही मानते । एक सर्वे के अनुसार 4 परसेंट मेल पोर्न एडिक्शन से परेशान होते है और 1 परसेंट फीमेल पोर्न एडिक्शन से सफर करती है।

दुनिया की सबसे मशहूर पोर्न साइट के आंकड़ों की बात करें तो तकरीबन 90 बिलियन वीडियो रोज देखे जाते है और तकरीबन 70 मिलियन विजिटर रोज आते है । पिछले एक साल यानी लॉकडाउन के बाद 30 परसेंट विजीटर्स में इजाफा हुआ है जिसका मुख्य कारण अकेलापन एवं लॉकडाउन था । एक साइट अनुसार सबसे ज्यादा विजिटर रात 12 से सुबह 4 बजे तक होते है एवं भारत और चाइना इस साइट के सबसे ज्यादा विजीटर्स है । भारत के रात 12 से 3 बजे तक सबसे ज्यादा विजीटर्स देखे जाते है।

कुछ समय पहले 12 से 14 साल उम्र थी जहां बच्चे पहला पोर्न वीडियो देखते थे लेकिन आज तकरीबन एक दशक से 8 से 12 साल की उम्र पे पहला पोर्न वीडियो देख लेते है ।

लोग क्यों एडिक्ट होते है इसके पांच मुख्य कारण है

· पहला कल्पनाएं यानी जो आप रियल लाइफ में न कर पाए उसकी कल्पना करने लगते है।

· दूसरा प्लेजर यानी खुशी मिलना मतलब की ब्रेन में एक रिवार्ड सिस्टम या पाथवे एक्टिवेट होता है , ब्रेन में एक डोपामाइन नाम का केमिकल होता है जो रिलीज होने लगता है और वो केमिकल हमे एक खुशी देता है जो कई लोग एडिशन में ढूंढने लगते है।

· तीसरा हैं इमोशनल डिटैचमेंट यानी जब आप उदास फील करें या गुस्सा आये या किसी इमोशन से आप खुद को डिटैच करना चाहते हो तो लोग पोर्न का सहारा लेते है और करते करते इसकी लत लगने लगती है।

· चौथा बोरेडम अवॉइडेंस यानी जब स्ट्रेस न हो या एंगर ना हो लेकिन लाइफ बोरियत से लगने लगे तो प्लेजर डालने लिए लोग पोर्न देखते है।

· पांचवा स्ट्रेस रिडक्शन यानी बाकी लोगो का अपना एक तरीका है स्ट्रेस रिडक्शन का कुछ अपनी हॉबी पर ध्यान देते है , कुछ मूवी देखते है , कुछ फ्रेंड्स से बात करते है लेकिन कुछ लोग पोर्न का सहारा लेने लगते है ।

क्या करे इससे बाहर निकलने के लिए

· ब्रेकिंग द चेन यानी बार बार पोर्न वीडियो देखने की चेन बदले इसके लिए अपने मूड को समझे और चार्टिंग करें ।

· अपना ध्यान बांटें । दिलचस्प किताबें पढें, कॉमेडी मूवी देखें या बाहर घूमने जाएं। खासतौर पर तब, जब पोर्न मूवीज देखने का मन करने लगे।

· प्लान एक्शन अगेंस्ट लो मूड यानी अपने खाली समय को प्लान करें जैसे वॉक करें , म्यूजिक सुने , पेंटिंग करें , सच्चे मित्र से बात करें , एक्सरसाइज करें यानी उस समय को प्लान करें जब आप पोर्न देखते हो ।

· अंदर की परेशानी को समझे मतलब जैसे आप उदास हो , खाना पसंद न आए , बात करने का मन न करें , शांत रहने लगे यानी ऐसी एक्टिविटी जो आपको पसंद हो और आप ना कर रहे हो ये एंजाइटी या डिप्रेशन के लक्षण हो सकते है । किसी चीज का कंपलशंस होना जैसे बार बार हाथ धोना , दरवाजा चेक करना , बार बार प्रे करना आदि , इन समस्या को डिस्कस करें और सॉल्व करने की कोशिश करें कई बार सॉल्व न होने पे हम पोर्न एडिक्ट होने लगते है । स्ट्रेस हैंडल करना सीखे ।

· ये ना समझे की तालकीफ छोटी है , इसके डीएडिक्शन में समय लगेगा , इस स्ट्रगल को समझे और सपोर्ट भी लागेगा जैसे आपके पार्टनर या अच्छे दोस्त से बात करें , थेरेपिस्ट से बात करें या पोर्न एडिक्शन सपोर्ट ग्रुप भी ज्वाइन कर सकते है ।

· अपने आपको आप खाली मत रखें, क्योंकि दुनिया के हर नशे में एक चीज सामान्य देखने को मिलती है वो है खालीपन , जब इंसान खाली होता है या अकेला होता है तो वह टाइमपास के नाम पर तरह तरह के नशे करता है या पोर्न देखता है, ऐसे में आप अपने अच्छे दोस्तों, परिवार के साथ क्वालिटी समय बिताए या फिर आप फिल्म देख सकते हैं किताबों को पढ़ सकते हैं लेकिन अकेल खाली दिमाग के साथ न रहें , हॉबी को समय दें |

· सभी चीज़े करने के बाद भी अगर आप ना निकल पाए तो एक्सपर्ट या काउंसलर की मदद लें ।

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