- Over 50gw of solar installations in india are protected by socomec pv disconnect switches, driving sustainable growth
- Draft Karnataka Space Tech policy launched at Bengaluru Tech Summit
- एसर ने अहमदाबाद में अपने पहले मेगा स्टोर एसर प्लाज़ा की शुरूआत की
- Acer Opens Its First Mega Store, Acer Plaza, in Ahmedabad
- Few blockbusters in the last four or five years have been the worst films: Filmmaker R. Balki
आशा और विश्वास की धारा से ही हम देश को आगे ले जा सकते है l
अभ्यास मंडल के मासिक वर्चुअल व्याख्यान में प्रसिद्ध पत्रकार श्री आलोक मेहता ने कहा
इंदौर यह कहना एकदम सही नहीं है कि देश में कही कुछ नहीं हो रहा है, चारों तरफ निराशा का माहौल है l बेरोजगारी बढ़ रही है l अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुका चुकी है l हर तरफ भ्रष्टाचार है l मीडिया पूंजीपतियों के हाथों बिक चुका है और राजनीति का अपराधीकरण हो गया हैl जबकि सच यह है कि बीते वर्षो में देश में बड़े बदलाव आए हैं l पंचायत राजव्यवस्था में बहुत अधिक सुधार हुआ हैl गांवो से लेकर शहरों तक में सड़कों का जाल बिछा हैl साक्षरता बढ़ने से सामाजिक जागरूकता बढ़ी l स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा, खेल, पत्रकारिता, कृषि, वित्त आदि क्षेत्रों में विकास के नए प्रतिमान भी स्थापित हुए हैंl
ये विचार वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं विचारक श्री आलोक मेहता के हैं, जो उन्होंने अभ्यास मंडल के मासिक व्याख्यान वेबीनार में मुख्य वक्ता बतौर व्यक्त किए l विषय था सामाजिक सरोकार सत्ता और मीडिया की भूमिका l श्री मेहता ने अपने एक घंटे के धाराप्रवाह संबोधन में राजनीति, पत्रकारिता, सामाजिक सरोकार जैसे विषयों को एक साथ रेखांकित करते हुए अपनी बात को छोटे-छोटे प्रसंग और संस्मरण के माध्यम से बताते हुए कहा कि हम देश में आशा और विश्वास की धारा पैदा करके ही हम उसे आगे ले जा सकते हैं और यह जरूरी इसलिए है कि सकारात्मक भाव से सोचेंगे तभी आशावाद का भाव बंधेगा और तमाम अवरोधों के बीच में हमें कुछ अच्छाइयां देखने को मिलेगी l
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब देश आजाद हुआ था उस समय हमारे यहां की आबादी मात्र 33 करोड़ थी जबकि आज उसकी 4 गुना अधिक हो गई है, अतः केवल आबादी ही नहीं बढ़ी सामाजिक चुनौतियां भी बड़ी लोगों की सरकार से अपेक्षाएं बढ़ी गांव से लेकर शहरों तक नई =नई समस्याएं बढ़ी l लेकिन इनको दूर करने के लिए नए-नए तरीके भी इजाद हुएl
आज देश में ढेरों पत्र -पत्रिकाएं प्रकाशित हो रही है, सैकड़ों टीवी न्यूज़ चैनल है, जो लोगों की समस्याएं को उठा रहे हैं और उस पर सरकार का ध्यान खींच रहे हैं l भारत में जितनी स्वतंत्रता यहां के मीडिया को है, उतनी किसी देश में नहीं है l इसके बावजूद हमारे कुछ मीडिया संस्थानों पर आरोप लगाए जाते हैं कि उन्हें अडानी और अंबानी उद्योगपति समूह चला रहे हैं , इसीलिए मोदी की तारीफ कर रहे है l और उसे गोदी मीडिया तक कहा जा रहा हैं जबकि ऐसा सही नहीं है l
आजादी के तुरंत बाद जब देश में नेहरू जी की सरकार थी उस समय टाटा, बिडला, गोयनका जैसे उद्योगपतियों पर भी आरोप लगते रहे की वे तत्कालीन सरकार के पक्ष में हैl हालांकि इसे पूरी तरह खारिज भी नहीं किया जा सकता है विभिन्न राज्य सरकारों का दबाव वहां से प्रकाशित मीडिया संस्थानों पर रहता है, फिर चाहे वहां बंगाल हो या अन्य प्रदेश l ऐसे में हम मीडिया से निष्पक्षता की अपेक्षा नहीं कर सकते l हालांकि अधिकांश मीडियाकर्मी आज भी अपना काम ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ कर रहे हैं और उसी पर हमले भी हो रहे हैं l वैसे मीडिया का धर्म है समाज को हकीकत से रूबरू कराना और यदि वह ऐसा नहीं करता तो बेहतर है कि वे इस क्षेत्र को छोड़कर अन्य कोई क्षेत्र चुन लेl
श्री मेहता ने आगे कहा कि आज पंचायती राज व्यवस्था में बड़ा बदलाव आ रहा है l इस क्षेत्र में उन्हें ही प्रवेश मिल रहा है जिन्होंने कम से कम हाई स्कूल परीक्षा उत्तीर्ण की l हालांकि अभी इस क्षेत्र में और काम होना बाकी है, लेकिन हरियाणा में इसकी शुरुआत हो चुकी है l आज महिलाएं भी शिक्षित हो रही है और वह उच्च शिक्षा में बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल कर आत्मनिर्भर बन रही है, लेकिन इससे समाज में टकराव भी बढ़ रहा है जो स्वाभाविक भी है इन सब के बावजूद आज महिलाओं के साथ जादती हो रही है, उनके साथ पक्षपात हो रहा है l लेकिन हमें यहां भी याद रखना होगा कि एक दौर ऐसा भी था जब लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था और उन्हें पढ़ने _ लिखने के अवसर कम मिलते थे आज इसमें बड़ा बदलाव आया हैl
श्री मेहता ने कहा कि देश में चुनाव लड़ना कभी भी आसान नहीं रहा चुनाव में वही राजनीतिक दल और नेता जीतते आए जिन्होंने जनता के साथ अपने गहरे सरोकार रखें और उनके सुख दुख में साथ खड़े रहे जिन्होंने इस से दूरी बनाए उन्हें जनता ने नकार दिया सबसे पुराने राजनीतिक दल कम्युनिस्ट पार्टी को ही लीजिए आज एक दो राज्यों में सिमट गई यही बात पत्रकारिता पर लागू होती है आज वही पत्र चलन में है जो जनता से जुड़े हुए मुद्दो को उठाते हैं इसी सरकार की कमजोर दिखाते है.
श्री मेहता ने आगे कहा कि देश के सामने कई तरह की चुनौतियां और खतरे हैं l देश के भीतर बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अपराधीकरण, नक्सलवाद आदि की समस्याएं हैं तो बाहर आतंकवाद की l हमारे यहां कुछ देश विरोधी शक्तियां हे जो देश को तोड़ना चाहती है और वे समय-समय पर भारत की विकृत छवि पेश करती रहती है ऐसी शक्तियों से हमे सावधान होने की जरूरत हैl
श्री मेहता ने आगे कहा कि स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर का चौथी बार नंबर वन आना बताता है कि यहां के नागरिक सामाजिक सरोकार से जुड़े हैं और वे अपने अधिकार के साथ अपने कर्तव्य के प्रति भी सजग है l इंदौर का मीडिया भी सामाजिक जागरूकता से जुड़े कार्यक्रमों को प्रोत्साहित कर अपनी पत्रकारिता का दायित्व निर्वाह कर रहा है, जो सराहनीय है l दरअसल अच्छी पत्रकारिता भी उसे कहा जाता है जो सामाजिक सरोकार से रिश्ता रखती हैl वेबिनार में श्री मेहता ने श्रोताओं द्वारा पूछे गए प्रश्नों के संतोषजनक जवाब दिए l अतिथि परिचय पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग अध्यक्ष डॉ सोनाली नरगूंदे ने दिया कार्यक्रम का संचालन डॉ. पल्लवी आढ़व ने कियाl आभार माना अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता ने l वेबीनार में दे अ वि वि के पूर्व कुलपति डॉ. भरत छापरवाल, श्यामसुंदर यादव, अशोक बड़जात्या, शिवाजी मोहिते, राजेंद्र जैन, अशोक कोठारी, शफी मोहम्मद शेख, मदन राणे, प्रवीण जोशी, वैशाली खरे, पीसी शर्मा सहित 74 से अधिक प्रबुद्ध जन उपस्थित थे l