संयम, तप, त्याग से ही धर्म पालन किया जा सकता है: आदर्श मति माताजी

इंदौर. भारत स्वतंत्र तो हो गया है, लेकिन हमारी भारतीय संस्कृति, पश्चिम से प्रभावित होती जा रही है. तभी तो हम भारतीय, चाइना में निर्मित एवं डिब्बाबंद सामग्री का उपयोग व सेवन कर रहे हैं, ऐसे में हम अहिंसा का पालन कैसे कर सकते हैं? संयम तप त्याग के मार्ग से ही धर्म का पालन किया जा सकता है ।
उक्त उद्गार आर्यिका आदर्श मति माताजी ने दिगंबर जैन समवशरण मंदिर कंचन बाग परिसर में आर्यिका दुर्लभ मति माताजी के वर्षायोग कलश स्थापना के अवसर पर धर्म सभा में व्यक्त किए.
उन्होंने कहा कि धर्म ग्रंथ के वाचन एवं पाचन से ही हम अपनी दिशा एवं दशा को सुधार सकते हैं. समाज के प्रचार प्रमुख संजीव जैन संजीवनी ने बताया कि कलश स्थापना करने का सौभाग्य अशोक रानी डोसी बाकानेर, आजाद विकास अमित जैन ,सिंपल अंकिता जैन ,विमल मनोज मुकेश बाकलीवाल, श्रीमती आशा सुभाष जैन एवं त्रिलोक चंद संजीव कुमार जैन को प्राप्त हुआ. इस अवसर पर आचार्य श्री द्वारा प्रेरित स्वाबलंबन एवं हथकरघा की प्रदर्शनी भी लगाई गई.
पंडित रतन लाल जी शास्त्री एवं आजाद जैन बीड़ीवालों द्वारा आर्यिका दुर्लभमति माताजी के वर्षायोग के लिये आर्यिका आदर्श मति माताजी से चातुर्मास स्थापना करने का निवेदन किया गया. आर्यिका संघ को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य श्रीमती सुमन जैन, सुशील डबडेरा, प्रदीप गोयल ,संजय मैक्स, निर्मल गंगवाल ,पंडित प्रदीप शास्त्री, श्रीमती पुष्पा कासलीवाल को प्राप्त हुआ.
समारोह के प्रारंभ में संगीतकार मयूर जैन की स्वरलहरियों में आचार्य श्री विद्यासागर जी की संगीतमय पूजन पंडित रतनलाल शास्त्री, ब्र. नितिन, अनिल भैया, तरुण भैया, अशोक भैया के साथ समाज के प्रमुख कैलाश वेद, सुरेंद्र लुहाडिय़ा, सचिन जैन एम के जैन, मनीष मोना, संजीव जैन, अनिल रावत, कैलाश लुहाडिय़ा, प्रजेशजैन ,सलिल बडज़ात्या सहित  समवशरण ग्रुप के सदस्यों द्वारा अर्घ चढ़ाकर की गई.  आभार ट्रस्ट के पंडित जयसेन जैन द्वारा व्यक्त किया गया।

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