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डेंटल इम्प्लांट्स में मेक इन इंडिया को प्रमोट करेंगे देश भर के टॉप इंप्लांटोलॉजिस्ट्स
आईएसओआई की 30वीं नेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन 27 सितंबर से, 800 से अधिक डेंटिस्ट होंगे शामिल
इंदौर। इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरल इंप्लांटोलॉजिस्ट्स की 30वीं नेशनल कांफ्रेंस का आयोजन 27 से 29 सितंबर तक ब्रिलिएंट कन्वेंशन में किया जाएगा। इस तीन दिवसीय कांफ्रेंस में देश भर के 800 से अधिक इंप्लांटोलॉजिस्ट्स शामिल होंगे। डेंटल इम्प्लांट्स हुई तकनिकी क्रांति के बारे में बात करने के लिए 70 से अधिक स्पीकर्स इंदौर आएंगे और इनमें से 8 इंटरनेशनल स्पीकर होंगे।
कांफ्रेंस के ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ मनीष वर्मा ने बताया कांफ्रेंस के दौरान हर दिन तीन हॉल्स में 30 से अधिक साइंटिफिक सेशंस होंगे, जो सुबह 9 बजे से शाम साढ़े 5 बजे तक चलेंगे। आईएसओआई के प्रेसिडेंट डॉ शरत शेट्टी ने बताया कि डेंटल इम्प्लांट एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें हर दिन नई तकनीक से काम होता है, नए इम्प्लांट मार्केट में आते हैं और पहले जिन परेशानियों का निदान संभव नहीं था, वह अब संभव होने लगा है। प्री कॉन्फ्रेंस चेयरमैन डॉ.आशीष गर्ग ऐसे में इस क्षेत्र में होने वाली तकनिकी क्रांति से देश भर के इंप्लांटोलॉजिस्ट्स को अवगत करवाने के लिए यह कांफ्रेंस की जा रही है।
आईएसओआई सेक्रेटरी डॉ रिकिन गोगरी के अनुसार आज के समय में ज्यादातर डेंटल इम्प्लांट विदेशों से इम्पोर्ट किए जाते हैं, जिसके कारण यह इलाज काफी महंगा है। इस कांफ्रेंस के जरिये हम मेक इन इंडिया को प्रमोट करते हुए भारत में ही गुणवत्तापूर्ण और सर्टिफाइड डेंटल इम्प्लांट बनाने के लिए कंपनियों को प्रोत्साहित करेंगे ताकि आम लोगों के लिए यह इलाज किफायती हो सकें।
नई तकनीक को ईजाद करने वाले डॉक्टर्स होंगे स्पीकर्स
कॉन्फ्रेंस के सेक्रेटरी डॉ दीपक अग्रवाल पहले पूरे दांत खराब हो जाने के कारण लोगों को नकली बत्तीसी लगनी पड़ती थी, परंतु यह कभी भी निकल सकती हैं साथ ही इससे चबाने में भी परेशानी होती है जबकि डेंटल इम्प्लांट परमानेंट होते हैं और आपके प्राकृतिक दांतों की तरह ही नजर आते हैं।
साइंटिफिक चेयरमैन डॉ. शालीन खेत्रपाल और डॉ.अलका गुप्ता ने बताया यह न सिर्फ ज्यादा सुविधाजनक होते हैं बल्कि व्यक्ति इससे अच्छी तरह चबाकर भोजन कर पाता है, जिससे वे अन्य पेट संबंधी बीमारियों से भी सुरक्षित रहता है। हम इस कांफ्रेंस के जरिए इन डेंटल इम्प्लांट्स को भारत में बनाने के लिए सरकार और कंपनियों को प्रोत्साहित करेंगे। हमारा प्रयास यह है कि भविष्य में भारत से इम्प्लांट विदेशों में एक्सपोर्ट हो। डेंटल इम्प्लांट के क्षेत्र में नई तकनीकों को ईजाद करने वाले डॉक्टर्स इन कांफ्रेंस में स्पीकर के तौर पर शामिल होंगे।
सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में होंगे पांच स्पेशल कोर्सेज
डॉ. राजीव श्रीवास्तव और डॉ. गगन जैसवाल ने बताया कांफ्रेंस के दौरान प्रैक्टिकल ट्रेनिंग देने के लिए सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल में खासतौर पर पांच हैंड्स ऑन कोर्सेज भी कराए जाएंगे। इसके तहत नए डेंटिस्ट के लिए इम्प्लांट लगाने की बेसिक ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे वे भी इम्प्लांट लगाने की बारीकियां सीख सकें। साथ ही इम्प्लांट लगाते समय होने वाली विभिन्न समस्याओं जैसे ऊपर या नीचे की हड्डी प्रॉपर नहीं होने पर उसे ठीक करते हुए इम्प्लांट फिट करना और साइनस लिफ्ट प्रोसीजर की टेक्निकल ट्रेनिंग दी जाएगी। एक सेशन डेंटल कैप की प्रॉपर फिटिंग को लेकर भी होगा, जिसमें सिंगल शॉट में कैप को प्रॉपर फिट करने की टेक्निक सिखाई जाएगी।