घुटना प्रत्यारोपण करा चुके लोगों ने निकाली रैली

ऑर्थराइटिस के बाद भी नही थमते उत्साही कदम

इंदौर. एक बार जोड़ों में दर्द शुरू होने पर किसी भी व्यक्ति को लगता है कि अब उसके सामान्य जीवन का अंत हो चूका है। जीवन भर उसे इसी दर्द के साथ दूसरों पर निर्भर रहते हुए जीवन काटना पड़ेगा। इस आम मानसिकता को दूर करने तथा शहर के अस्त-व्यस्त ट्रैफिक में घुटना प्रत्यारोपण करा चुके लोगों के लिए जगह बनाने के उद्देश्य से रविवार सुबह वर्ल्ड ऑर्थराइटिस डे के उपलक्ष्य में एक विशेष आयोजन हुआजिसमे 250 से अधिक घुटना प्रत्यारोपित करा चुके लोगों ने हैलमेट पहन कर बाइक रैली निकाली।

इंदौर नी क्लब और ट्रैफिक पुलिस विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किये गए इस आयोजन में डॉ सुनील राजन द्वारा लिखी गई किताब “राहत” का विमोचन भी किया गयाजो ऑर्थराइटिस से जुड़ी हर जिज्ञासा का समाधान एक ही स्थान पर मुहैया कराती है। इस मौके पर घुटना प्रत्यारोपित करा चुके कई लोगों ने गायन व नृत्य की प्रस्तुतियां देकर यह साबित किया कि ऑर्थराइटिस के बाद भी जीवन रुकता नही है बस जरूरत है सही समय पर चिकित्सकीय सलाह के साथ सही कदम उठाने की।

समय के साथ बदल रही है सोच

इंदौर नी क्लब के फाउंडर और  जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ सुनील राजन कहते हैं कि समय के साथ ऑर्थराइटिस को लेकर लोगों की सोच में परिवर्तन आया है। पहले लोगों के पास घर के बड़े-बूढ़ों की सेवा करने का समय भी था और चिकित्सा साधनों की कमी भी पर अब लोग इस संबंध में जागरूक हो चुके हैं। पहले हमें लोगों को जॉइंट रिप्लेसमेंट के लिए तैयार करने में समय लगता था पर अब लोग अपनों की तकलीफ को जल्द से जल्द दूर करना चाहते हैं। जितनी जल्दी डॉक्टर की सलाह से रिप्लेसमेंट का फ़ैसला लिया जाता हैउतना ही फायदा मरीज को होता है।

दुनिया भर सबसे ज्यादा रोड एक्सीडेंट भी भारत मे ही होते हैंजिसके कारण भी कम उम्र में घुटने प्रत्यारोपित करने की नौबत आती है। इसका बड़ा कारण ट्रैफिक नियमों की अनदेखी है। यही कारण है कि हमने आज ट्रैफिक पुलिस विभाग के साथ मिलकर यह कार्यक्रम किया है। इस मौके पर अपोलो अस्पताल के डायरेक्टर श्री सिद्धार्थ भार्गव और सीईओ डर गौरीनाथ भी ट्रैफिक पुलिस एसपी महेंद्र कुमार जैन के साथ उपस्थित थे। डॉ भार्गव ने कहा कि मैंने  खुद अपनी 68वर्षीय माँ का घुटना प्रत्यारोपण करवाया हैयह एक बेहद सफल तरीका है अपनो का दर्द दूर करने के लिए।

आनुवंशिक बीमारी है ऑर्थराइटिस

डॉ.राजन ने बताया आमतौर पर लोग सोचते हैं कि हम तो नियमित कसरत करते हैं। सन्तुलित जीवनशैली जीते हैं। ऐसे में हमें आर्थराइटिस की बीमारी कैसे हो सकती हैमगर ये एक अनुवांशिक बीमारी भी होती है जो उम्र बढ़ने के साथ हो जाती है। नीचे बैठनालम्बे समय तक खड़े रहना,मोटापा जैसी दिक्कतें भी इसका कारण बनती है।

 

इसे रोकने के उपाय

– वजन कम करना

– लम्बे समय तक खड़े न रहें

– संयमित खानपान रखें

– जब तक हो सके पालती मारकर न बैठे

– वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करें

– नियमित कसरत करें

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