अधिक से अधिक पौधे लगाकर आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण का उपहार देने के साथ धरती मां का करेंगे श्रृंगार – शंकर लालवानी, सांसद

पेड़-पौधों से हमें ऑक्सिजन के साथ – साथ अनेक प्रकार की औषधीयां भी मिलती है – डॉ.एके द्विवेदी

एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत औषधीय पौधों का रोपण कार्यक्रम संपन्न

एडवांस योग एवं नेचुरोपैथी चिकित्सालय ने ब्रजेश्वरी स्थित सेंटर पर हुआ

इंदौर । प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी एक पेड़ मां के नाम और उज्ज्वल भारत अभियान के अंतर्गत एडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर इंदौर द्वारा एडवांस योग एवं नेचुरोपैथी चिकित्सालय ग्रेटर ब्रजेश्वरी पर औषधीय और फलदार पौधों का रोपण कार्यक्रम गुरुवार को किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इंदौर सांसद श्री शंकर लालवानी थे।अध्यक्षता सी सी आर एच, आयुष मंत्रालय, वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड एवं देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद के सदस्य डॉ.एके द्विवेदी ने की.

कार्यक्रम के दौरान अपने विचार व्यक्त करते हुए सांसद श्री लालवानी जी ने कहा कि मानव जीवन के लिए पर्यावरण कितना जरूरी है ये हमें समझना होगा और हमारी आने वाली पीढ़ी को इसे हमें उपहार स्वरूप देना होगा।पौधे लगाकर धरती माँ का शृंगार करना होगा।हम संकल्प लें कि ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएंगे और पर्यावरण का सरंक्षण करेंगे।

कार्यक्रम के दौरान डॉ. एके द्विवेदी ने औषधीय पौधों की जानकारी दी और कुछ प्रमुख औषधीय पौधों के गुण बताए।डॉ. द्विवेदी ने कहा कि मानव उपयोग के लिए पौधे अनेक उत्पाद प्रदान करते हैं जैसे ईंधन, लकड़ी, फल, सब्जियां, दवाइयां, रंग इत्यादि. लेकिन ऐसे पौधे जिनके किसी भी भाग से दवाएं बनाई जाती हैं औषधीय पौधे कहलाते हैं। तुलसी, नीम, जामुन, आवला आदि इसी प्रकार के पौधे हैं। तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुण होते हैं जो हमें कई तरह के संक्रमणों से बचाते हैं। तुलसी में मौजूद कैम्फीन, सिनेओल और यूजेनॉल छाती में ठंड और जमाव को कम करने में मदद करते हैं। तुलसी के पत्तों का रस शहद और अदरक के साथ मिलाकर ब्रोंकाइटिस, दमा, इन्फ्लुएंजा, खांसी और सर्दी में असरदार होता। वहीं नीम एक बहुत पुराना औषधीय पौधा है, जिसका उपयोग युगों से किया जा रहा है।

आंवले जैसा उत्तम एंटी ऑक्सीडेंट फल कोई नहीं है। यह हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को घटाने और इंसुलिन बनाने की प्रक्रिया में मदद करता है। यह पीलिया का निषेध करता है, रक्त को भी साफ रखने में मदद करता है। इसके सेवन के आंखों की रोशनी भी बेहतर रहती है। जामुन मनुष्यों के लिए एक अच्छा सामान्य स्वास्थ्य टॉनिक भी माना जाता है, जो रक्त शोधक के रूप में कार्य करता है। जामुन के तने की छाल का उपयोग कसैले, कृमिनाशक, जीवाणुरोधी, वातहर, कब्ज, मूत्रवर्धक, पाचक, ज्वरनाशक, शीतलक, पेट के लिए लाभकारी और मीठे के रूप में किया जाता है।

अनार में कैलोरी और वसा कम होता है लेकिन फाइबर, विटामिन और खनिज अधिक होते हैं।इसके लाभों में एंटीऑक्सीडेंट, रक्त बढ़ाने में सहायक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला एवम् पेट ह्रदय और मूत्र रोगों में लाभदायक है। कार्यक्रम के दौरान आवला, जामुन, अनार आदि औषधीय गुणों वाले फलदार पौधों का रोपण किया गया। इस अवसर पर श्री राकेश यादव, श्री दीपक उपाध्याय, डॉ. विवेक शर्मा, डॉ. जितेंद्र पुरी सहित चिकित्सा विद्यार्थी तथा रहवासी भी उपस्थित थे।

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