- स्टेबिन बेन से लेकर अरिजीत सिंह तक: 2024 के यादगार लव एंथम देने वाले सिंगर्स पर एक नज़र!
- अक्षय कुमार और गणेश आचार्य ने "पिंटू की पप्पी" फ़िल्म का किया ट्रेलर लॉन्च!
- Sonu Sood Graced the Second Edition of Starz of India Awards 2024 & Magzine Launch
- तृप्ति डिमरी और शाहिद कपूर पहली बार करेंगे स्क्रीन शेयर - विशाल भारद्वाज करेंगे फिल्म का निर्देशन
- बॉलीवुड की अभिनेत्रियाँ जिन्होंने सर्दियों के स्टाइल में कमाल कर दिया है
गुस्सा व मानसिक तनाव स्टूडेन्ट्स की निर्णय क्षमता को करता है प्रभावित
इंदौर. आदर्श नगर स्थित मालवा शिशु विहार में आज माइंड एकेडमी द्वारा एंगर मेनेजमेंट पर विद्यार्थियों के लिए एक निशुल्क कार्यशाला का आयोजन किया गया।
जिसमें मोटीवेशनल स्पीकर व माइंड ट्रेनर डॉ. एमएस होरा ने बताया कि स्टूडेंटस यदि बार-बार गुस्सा करते है और ज्यादा मानसिक तनाव में रहते है, और यदि वे बार-बार चिडचिडाते है, उची आवाज में बात करते है, दूसरों को ताना मारते है, तो उनके शरीर में एड्रिनेलिन व कार्टिसोल जैसे हार्मोन्स की मात्रा काफी अधिक बढ जाती है। इनकी कबढी हुई मात्रऋा मस्तिष्क की कोशिकाएं जिन्हें न्यूरोन्स कहा जाता है, को नष्ट करती है। जिससे की स्टूडेंटस की मेमारी पावर, कान्सनटे्रशन पंावर, डिसिजन पावर, कम होने लगता है।
उसके साथ ही साथ वे भविष्य की सही प्लानिंग भी ठीक से नही कर पाते है। गुस्से की वजह से हेप्पीनेस केमिकल सिरोटॉनीन में भी कमी आ जाती है, जिससे की स्टूडेन्टस बाद में डिप्रेशन का शिकार होने लगते है। जिसका सीधा प्रभाव उनकी सफलता व स्वास्थ्य पर पडने लगता है। इसी वजह से वे नशे के बादतों का भी शिकार होने लगते है। कई स्टूडेंटस आत्महत्या जैसी धातक प्रयासों को भी अंजाम देने की कोशिश करते है।
आपने कहा कि गुस्सा करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। हाई ब्लडप्रेशर, हृदय रोग, डायबिटीज जैसी समस्याएं कम उम्र में होने लगती है। आपने बताया कि स्टूडेंट अपनी स्टडी, खुश, शंात व उर्जावान रहकर ही करें। जिससे की उन्हें बेहतर सफलता मिल सकें।