कन्या पूजन का शुभ समय

डॉ श्रद्धा सोनी

कन्या पूजन 17 October को

-16 अक्तूबर  मंगलवार  को सुबह 10  बज कर 17 मिनट तक सप्तमी रहेगीऔर फिर अष्टमी लग जाएगी जो बुधवार दोपहर 12 बज कर 50 मिन्ट तकरहेगी। इसके बाद नवमी लग कर वीरवार की दोपहर 3 बज कर 30 मिनट तकरहेगी। ।  17 अक्तूबर बुधवार को   श्री दुर्गाष्टमी है और इस दिन महागौरी केअतिरिक्त भद्रकाली तथा सरस्वती पूजन भी  किया जाता है। काफी लोग अपनीआस्था अनुसार अष्टमी  के दिन कन्या पूजन करते हैं।

– कन्या पूजन का शुभ समयः

प्रातः सूर्योदय से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक ।
दुर्गाष्टमी को कन्या पूजनकरके व्रतादि का उद्यापनकरना शुभ रहेगा। अष्टमीपर 9 वर्ष की कन्या 9कन्याओं तथा एकबालक को अपने निवासपर आमंत्रित करें। उनकेचरण धोएं। मस्तक परलाल टीका लगाएं कलाईपर मौली बांधें। लालपुष्पों की माला पहनाएंउनका पूजन करके उन्हेंहलुवा पूरी काले चने काप्रसाद दें या घर पर हीइसे खिलाएं। चरण स्पर्शकरके आशीर्वाद लें ।उन्हेंलाल चुनरी या लालपरिधान तभा उचितदक्षिणा एवं उपयोगीउपहार सहित विदा करें ।आज कन्या रक्षा का भीसंकल्प लें ।

 

देवी का अष्टम स्वरुपमहागौरी का है ।इसे श्रीदुर्गाष्टमी भी कहा जाताहै। भगवती का सुंदर,सौम्य ,मोहक स्वरुपमहागौरी में विद्यमान है।वे सिंह की पीठ पर सवारहैं। मस्तक पर चंद्र  कामुकट सुशोभित है। चारभुजाओं में शंख,चक्र,धनुष और बाण  हैं।

सबसे महत्वपूर्ण है किमाता का यह स्वरुपसौन्दर्य से संबंधित है।इनकी आराधना सेसौन्दर्य प्रदान होता है।जोयुवक युवतियां सौन्दर्य केक्षेत्र में जाने के इच्छुकहैं वे आज महागौरी कीआराधना करें।फिल्म  ग्लैमर  व रंगमंचकी दुनिया की इच्छारखने वाले या  सौन्दर्यप्रतियोगिताओं में भागलेने जा रहे ,युवा वर्गआज व्रत के साथ साथनिम्न मंत्र का जाप भीअवश्य करे ं।जिनकेवैवाहिक संबंध सुंदर नहोने के कारण नहीं हो रहेया टूट रहे हों वे आजअवश्य उपासना करें।

चौकी पर श्वेत रेशमीवस्त्र बिछा कर माता कीप्रतिमा या चित्र रखें । घीका दीपक जला कर चित्रपर नैवेद्य अर्पित करें ।दूधनिर्मित प्रसाद चढ़ाएं।

मंत्र- ओम् ऐं हृींक्लींचामुण्डायैविच्चै!

ओम् महागौरीदेव्यै नमः!!

की एक या 11 माला करें।अपनी मनोकामनाअभिव्यक्त करें। आजअष्टमी पर मनोकामनाअवश्य पूर्ण होगी ।

नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्याओं का मां का रुप मानकर पूजनकिया जाता है। इसके साथ ही महागौरी और सिद्धिदात्री देवि की पूजा के बाद हवनकिया जाता है। अष्टमी और नवमी तिथि पर लोग अपनी कुल देवी की पूजा भी करतेहैं। पूरी नवरात्रि में व्रत रखने वाले लोग नवमी तिथि को आखिरी व्रत करते हैं।

शारदीय नवरात्रि की दुर्गा पूजा के लिए अष्टमी 17 अक्टूबर 2018, बुधवार को है। इसदिन महागौरी पूजन के साथ दुर्गा अष्टमी पूजन भी किया जाएगा।

शारदीय नवरात्रि का नौवां दिन 18 अक्‍टूबर को है। इस दिन नवरात्रि का आखिरीव्रत या उपवास होगा। नवमी और अष्टमी इन दिनों में कन्या पूजा की जाएगी।

 

नौ देवियों के रूप में नौ कन्याएं

शास्त्रों में कहा गया है कि नौ देवियों के रूप में अष्टमी या नवमी के दिन व्रत कापरायण करने से पहले नौ कन्याओं का पूजन करना चाहिए। दरअसल ये नौ कन्याएंनौ देवियों का ही रूप हैं। हर कन्या एक देवी का रूप है जिसका पूजन करते हुए उपासक परोक्ष रूप से उस देवी का ही पूजन करता है।

इसमें दो साल की बच्ची
तीन कन्याओं के पूजन से धर्म केसाथ साथ अर्थ व काम की भी प्राप्ति होती है। चार कन्याओं की पूजा से राजयोगमिलता है और पांच कन्याओं के पूजन से विद्या धन की प्राप्ति होती है। छह कन्याओंका पूजन छह तरह की सिद्धि दिाता है और सात कन्याओं का पूजन राज्य में राज कासुख मिलता है। आठ कन्याओं के पूजन से संपूर्ण संपदा और नौ कन्याओं के पूजन सेधरती के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।

कैसे करें कन्या पूजन

कन्या पूजन करते समय ये बातें ध्यान रखेंगे तो नवरात्र के मनोरथ सिद्ध होंगे। नौकन्याओं और एक लांगुरे (लड़के) को आमंत्रित करें। लांगुरे को माता के रक्षकहनुमान के रूप में बुलाया जाता है। याद रहे कि लांगुरे के बिना कन्या पूजन अधूरारहेगा। सबसे पहले कन्याओं के पैर धोकर उन्हें आसन पर बैठाए। उनके हाथों मेंमौली यानी कलावा बांधें और माथे पर रोली से टीका लगाएं। कन्याओं के लालचुनरी और लाल चूड़ियां भी चढ़ा सकते हैं।

कन्या पूजन में आमतौर पर चने, हलवा और पूरी का भोग लगाया जाता है। कुछलोग इस दिन खीर पूरी और मालपुआ भी बनाते हैं और प्रसाद के तौर पर वितरितकरते हैं।

माता रानी को भोग लगाने के बाद कन्याओं को यही प्रसाद वितरित करें ।

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