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स्वास्थ्य Archives - Indore Mirror https://indoremirror.in/category/health/ Indore latest news, Indore local News Sun, 05 May 2024 22:59:17 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.3 https://i0.wp.com/indoremirror.in/wp-content/uploads/2018/09/cropped-fav-icon.png?fit=32%2C32&ssl=1 स्वास्थ्य Archives - Indore Mirror https://indoremirror.in/category/health/ 32 32 146963559 मध्य भारत में पहली बार अपोलो हॉस्पिटल्स ने की रोबोटिक असिस्टेड हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की शुरुआत https://indoremirror.in/apollo-hospitals-launches-robotic-assisted-hip-replacement-surgery-for-the-first-time-in-central-india/ https://indoremirror.in/apollo-hospitals-launches-robotic-assisted-hip-replacement-surgery-for-the-first-time-in-central-india/#respond Sun, 05 May 2024 22:59:15 +0000 https://indoremirror.in/?p=38383 इंदौर, मई 2024: सेंट्रल इंडिया में हेल्थ केयर को नेक्स्ट लेवल पर ले जाते हुए, अपोलो हॉस्पिटल, इंदौर ने CORI सर्जरी सिस्टम लांच किया है – जो हिप आर्थ्रोप्लास्टी/रिप्लेसमेंट प्रोसिजर के लिए डिज़ाइन किया गया नेक्स्ट जनरेशन का एडवांस्ड रोबोटिक प्लेटफॉर्म है। यह अचीवमेंट सेंट्रल इंडिया में एडवांस मेडिकल टेक्नोलॉजी और बेहतर पेशेंट केयर प्रदान करने की अपोलो की प्रतिबद्धता को उजागर करती है। CORI सर्जिकल सिस्टम एक कॉम्पैक्ट और पोर्टेबल डिवाइस है, जो आज...

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इंदौर, मई 2024: सेंट्रल इंडिया में हेल्थ केयर को नेक्स्ट लेवल पर ले जाते हुए, अपोलो हॉस्पिटल, इंदौर ने CORI सर्जरी सिस्टम लांच किया है – जो हिप आर्थ्रोप्लास्टी/रिप्लेसमेंट प्रोसिजर के लिए डिज़ाइन किया गया नेक्स्ट जनरेशन का एडवांस्ड रोबोटिक प्लेटफॉर्म है। यह अचीवमेंट सेंट्रल इंडिया में एडवांस मेडिकल टेक्नोलॉजी और बेहतर पेशेंट केयर प्रदान करने की अपोलो की प्रतिबद्धता को उजागर करती है।

CORI सर्जिकल सिस्टम एक कॉम्पैक्ट और पोर्टेबल डिवाइस है, जो आज के आधुनिक ऑपरेटिंग रूम के लिए आदर्श है। इसमें एडवांस्ड कैमरा टेक्नोलॉजी है जो पिछले सिस्टम की तुलना में चार गुना से अधिक तेज है, जिससे जल्दी और अधिक एक्यूरेट इमेजिंग प्राप्त होती है। ट्वाइस कटिंग वॉल्यूम के साथ, यह अधिक सटीक प्रोसिजर करने में मदद करता है, जिसका लक्ष्य रोबोट-असिस्टेड सर्जरी तेजी से करना है। इस सिस्टम को सर्जनों द्वारा कंट्रोल किया जाता है, जो उन्हें सर्जरी के दौरान एक्यूरेसी और कंट्रोल प्रदान करता है।

ऑर्थोपेडिक्स और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सुनील राजन की लीडरशिप में, अपोलो ने हाल ही में NAVIO रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम शुरू करने के केवल 3 साल के अंदर मध्य भारत में 500 रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया है। इस प्रकार की उपलब्धि और यह माइलस्टोन हासिल करने वाला देश के चुनिंदा हॉस्पिटल्स में से एक है।

अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के प्रेसिडेंट और सीईओ डॉ. मधु शशिधर ने कहा कि “अपोलो हॉस्पिटल्स, इंदौर आर्थोपेडिक सर्जरी में शानदार उपलब्धि हासिल कर चुका है, यह मध्य भारत में 500 सफल रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सफलतापूर्वक कर चुका है। रोबोटिक सर्जरी की एडवांसमेंट को अपनाते हुए, हम VsfDudy इनोवेशन के माध्यम से बेहतर पेशेंट केयर के प्रति अपने डेडिकेशन की पुष्टि करते हैं। यह माइलस्टोन न केवल पेशेंट की रिकवरी और क़्वालिटी ऑफ लाइफ को बढ़ाता है, बल्कि यूएस और यूरोप के बाहर कॉस्ट इफेक्टिव हेल्थ सर्विस प्रदान करने वाले सेंटर के रूप में हमारे कमिटमेंट को भी हाइलाइट करता है। जैसे-जैसे हम नेक्स्ट जनरेशन रोबोटिक सर्जरी सिस्टम की ओर आगे बढ़ रहे हैं, हिप रिप्लेसमेंट में एक्यूरेसी को बेहतर कर रहे हैं और गर्व के साथ पॉयनरिंग मेडिकल एडवांसमेंट की अपनी लेगेसी को जारी रख रहे हैं।”

अपोलो हॉस्पिटल इंदौर के सीनियर कंसल्टेंट और हेड रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट प्रोग्राम डॉ. सुनील राजन ने कहा, “हम अपने रोबोटिक सिस्टम की क्षमताओं का लाभ उठाकर ग्लोबल स्टैंडर्ड के अनुरूप परिणाम देने में सक्षम हैं। CORI सर्जिकल सिस्टम की शुरुआत के साथ, हम इमेज-फ्री स्मार्ट मैपिंग, रियल-टाइम प्लानिंग, प्रिसिजन मिलिंग, इंट्रा-ऑपरेटिव गैप बैलेंसिंग और कम्पेटिबिलिटी के साथ पार्शियल और टोटल नी और हीप सर्जरी, रोबोट-असिस्टेड रिविजन नी और अब हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी जैसी सुविधाओं के साथ ज्वाइंट आर्थ्रोप्लास्टी में क्रांति लाने में सक्षम होंगे। ये बेहतर रिजल्ट के लिए पर्सनलाइज्ड, एआई-पावर्ड प्लानिंग प्रदान करता है। ”

अपोलो हॉस्पिटल्स, इंदौर के सीनियर कंसल्टेंट और डायरेक्टर डॉ. अशोक वाजपेयी ने कहा, “अपोलो में कंसल्टेंट्स की सीनियर टीम होने के साथ साथ हमने उन्हें लेटेस्ट टेक्नोलॉजी प्रदान की हुई है। डॉ. राजन ने सेंट्रल इंडिया में रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट प्रोग्राम शुरू किया और आज अपोलो इंदौर का रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट प्रोग्राम देशभर में अग्रणी है। इसके अलावा हिप रिप्लेसमेंट के लिए 2nd रोबोट को शामिल करना एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है और इससे हमारे मरीजों को काफी फायदा होगा।’

ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी आमतौर पर गठिया (विशेष रूप से ऑस्टियोआर्थराइटिस), फ्रैक्चर, गठिया से जोड़ों में आए विकार, टूट-फूट के कारण विकृति और गतिविधियों में कठिनाई सहित कई परेशानियों को दूर करने के लिए की जाती है। रोबोटिक- असिस्टेड सर्जरी एक विश्वसनीय सॉल्यूशन के रूप में उभरी है, जो अलाइनमेंट की सटीकता को बढ़ाती है और कम से कम दर्द, नेचुरल नी स्ट्रक्चर के बचाव और ब्लड लॉस को कम करने के साथ 100% सटीकता प्रदान करती है। यह एडवांस अप्रोच न केवल तेजी से रिकवरी और शीघ्र डिस्चार्ज सुनिश्चित करता है, बल्कि किफायती तरीके से ज्वाइंट रिप्लेसमेंट प्रोसिजर से गुजरने वाले पेशेंट के लिए ओवरऑल रिजल्ट में भी सुधार करता है।

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डॉ.एके द्विवेदी “हेल्थ एक्सीलेंस अवार्ड” से अलंकृत https://indoremirror.in/dr-ak-dwivedi-honored-with-health-excellence-award/ https://indoremirror.in/dr-ak-dwivedi-honored-with-health-excellence-award/#respond Wed, 01 May 2024 12:31:24 +0000 https://indoremirror.in/?p=38199 डॉ द्विवेदी एनीमिया मैन की उपाधि से विभूषित इंदौर। शहर के सुपरिचित होम्योपैथिक डॉक्टर एवं केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद्, आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी को टाइम्स हेल्थ एक्सीलेंस अवार्ड से विभूषित किया गया है। यह सम्मान उन्हें होटल सेरेटन ग्रेंड में आयोजित एक भव्य समारोह में सोनिक बायोकेम एक्सट्रैक्शन के प्रबंध निदेशक श्री गिरीश मतलानी द्वारा प्रदान किया गया। उल्लेखनीय है कि डॉ. द्विवेदी ने अप्लास्टिक एनीमिया...

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डॉ द्विवेदी एनीमिया मैन की उपाधि से विभूषित

इंदौर। शहर के सुपरिचित होम्योपैथिक डॉक्टर एवं केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद्, आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी को टाइम्स हेल्थ एक्सीलेंस अवार्ड से विभूषित किया गया है। यह सम्मान उन्हें होटल सेरेटन ग्रेंड में आयोजित एक भव्य समारोह में सोनिक बायोकेम एक्सट्रैक्शन के प्रबंध निदेशक श्री गिरीश मतलानी द्वारा प्रदान किया गया।

उल्लेखनीय है कि डॉ. द्विवेदी ने अप्लास्टिक एनीमिया एवं सिकल सेल एनीमिया जैसी भयावह बीमारी के मरीजों का होम्योपैथिक ट्रीटमेंट के जरिए उपचार करने और उन्हें यथासंभव बीमारी से छुटकारा दिलाने की दिशा में, पिछले करीब दो दशक में अनेक उल्लेखनीय प्रयास किए हैं। उनके ट्रीटमेंट से अनेकानेक मरीज लाभान्वित हुए हैं।

डॉ द्विवेदी होम्योपैथी चिकित्सा के साथ साथ भारतीय ख़ान पान को एनीमिया निवारण में अत्यंत महत्व देते हैं इसलिए डॉ. द्विवेदी को हेल्थ एक्सीलेंस अवार्ड के साथ-साथ एनीमिया मैन की उपाधि से भी विभूषित किया गया।

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इंदौर में विधाता और सोलआर्ट द्वार अयोजित वैदिक पद्धति द्वार ऑरा हेल्थ चेक अप कैंप को मिली लोगो से प्रशंसा और सहयोग https://indoremirror.in/aura-health-check-up-camp-organized-by-vedic-method-by-vidhaata-and-soulart-in-indore-received-praise-and-support-from-people/ https://indoremirror.in/aura-health-check-up-camp-organized-by-vedic-method-by-vidhaata-and-soulart-in-indore-received-praise-and-support-from-people/#respond Fri, 19 Apr 2024 12:15:15 +0000 https://indoremirror.in/?p=38031 विधातास भारतीय पारंपरिक चिकित्सा एवं गुरुकुल और सोलआर्ट के द्वारा निःशुल्क ऑरा हेल्थ चेक अप कैंप का आयोजन किया,श्रीनगर एक्सटेंशन इंदौर में। जिसमें औरा रीडिंग, वैदिक हीलिंग, बॉडी एलाइंमेंट्, टैरो कार्ड रीडिंग, ज्योतिष एवं वास्तु परामर्श के अलावा आहार विशेषज्ञ द्वारा निःशुल्क सलाह दी गई। शिविर के दौरान विधातास् के संस्थापक निदेशक डॉ. रवींद्र बागे एवं डॉ. लताश्री ने भारतीय वैदिक चिकित्सा पद्धति के विषय में, वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक तरीकों से समझाया कि किस प्रकार...

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विधातास भारतीय पारंपरिक चिकित्सा एवं गुरुकुल और सोलआर्ट के द्वारा निःशुल्क ऑरा हेल्थ चेक अप कैंप का आयोजन किया,श्रीनगर एक्सटेंशन इंदौर में। जिसमें औरा रीडिंग, वैदिक हीलिंग, बॉडी एलाइंमेंट्, टैरो कार्ड रीडिंग, ज्योतिष एवं वास्तु परामर्श के अलावा आहार विशेषज्ञ द्वारा निःशुल्क सलाह दी गई।

शिविर के दौरान विधातास् के संस्थापक निदेशक डॉ. रवींद्र बागे एवं डॉ. लताश्री ने भारतीय वैदिक चिकित्सा पद्धति के विषय में, वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक तरीकों से समझाया कि किस प्रकार आभा मंडल की चिकित्सा के द्वारा शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक ऊर्जा के अवरोध को दूर किया जा सकता है ,अपने ऊर्जा के स्तर को बढ़ाया जा सकता है और बिना दवाइयो के स्वस्थ स्वयं को रखा जा सकता है।

डॉ. रचना सिंह, सोल आर्ट की संस्थापक, ने बताया है कि आज के तनावपूर्ण समय में हमें दवाओं के बिना अपना उपचार करने की आवश्यकता है, वैदिक हीलिंग के माध्यम से। हमारे भीतर के पंचतत्वों को संतुलित करके हम एक खुशहाल जीवन जी सकते हैं। पंचतत्वों का संतुलन हम बिना दवाओं के कई तरीकों से कर सकते हैं – जैसे कि वैदिक हीलिंग, एक्यूप्रेशर, वास्तु, मंत्र हीलिंग आदि।

इस शिविर में एक्यु- कायरो प्रैक्टिशनर डॉ. अनिल सरावगी, वास्तु एस्ट्रो वैदिक हीलर डॉ. रचना सिंह परमार, आहार विशेषज्ञ श्रीमती नेहा गर्ग के अलावा मास्टर स्पिरिटुअल् हीलर डॉ. प्रियंका परमार, डॉ. राजश्री देशपांडे, श्रीमती निमिषा पांडे, श्रीमती अंजली राव ने इस शिविर में निःशुल्क, निस्वार्थ जनहित में सेवा दी, जिससे अनेक लोग लाभान्वित हुए। इस शिविर में समाज के प्रतिष्ठित लोग डॉ. रजनीश श्रीवास्तव, श्रीमती सुरुचि मल्होत्रा, डॉ. मनीषा गौर, श्रीमती सोनू उदावत, श्रीमती अनामिका सिटलानी , श्री प्रशांत कुलकर्णी , श्री कार्तिक ठाकुर ने अपनी उपस्थति दिखा कर इस वैदिक चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहित किया।

आजकल डिजिटल युग में पीठ दर्द, कमर दर्द, गर्दन दर्द संबंधित समस्या हर वर्ग मे लगातार कार्य प्रणाली की वजह से होती जा रही है, जिसमें काइरो – एक्यूप्रेशर मिश्रित चिकित्सा से पूर्णतः स्वस्थ हुआ जा सकता है। टैरो, ज्योतिष, वास्तु मार्गदर्शन से सुख शांति, समृद्धि से रहने की कला विकसित की जा सकती है। भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली बिना दवाइयो के बिना साइड इफेक्ट के चिकित्सा पद्धति है, जो युगो से चली आ रही है, जो वर्षों से विलुप्त हो रही थी। इसे पुनः जीवित करने में मंत्र चिकित्सा, कॉस्मिक हीलिंग चिकित्सा का बहुत महत्व है। जिसमे कुंडलिनी शक्ति की चैतन्य ऊर्जा बह्मांडीय दिव्य ऊर्जा से मिलकर दिव्य संपर्क बनाती है, जिस से व्यक्ति में ऑटो हीलिंग अपने आप होने लगती है, और हम शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक तौर पर स्वस्थ होने लगते हैं, तो हम पूर्णतः विकसित और संतुलित जीवन जी सकते हैं

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लखनऊ में प्रवास के दौरान होम्योपैथी चिकित्सक एवं सीसीआरएच, आयुष मंत्रालय के वैज्ञानिक सलाहकार मंडल के सदस्य डॉ एके द्विवेदी से विशेष चर्चा https://indoremirror.in/special-discussion-with-dr-ak-dwivedi-homeopathy-physician-and-member-of-the-scientific-advisory-board-of-ccrh-ministry-of-ayush-during-his-stay-in-lucknow/ https://indoremirror.in/special-discussion-with-dr-ak-dwivedi-homeopathy-physician-and-member-of-the-scientific-advisory-board-of-ccrh-ministry-of-ayush-during-his-stay-in-lucknow/#respond Wed, 10 Apr 2024 04:10:00 +0000 https://indoremirror.in/?p=38004 देश के प्रतिष्ठित होम्योपैथिक चिकित्स्कों में सुमार डॉ एके द्विवेदी अल्प प्रवास पर लखनऊ पधारे हुए थे उल्लेखनीय है कि डॉ एके द्विवेदी देश के ऐसे होम्योपैथी चिकित्सक हैं जो अप्लास्टिक एनेमिया, सिकल सेल सहित बोन मैरो की समस्या जैसी कई अन्य असाध्य बिमारियों के इलाज के लिए जाने जाते हैं. डॉ द्विवेदी सम्पूर्ण देश में एनीमिया के लिए लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाए हुए हैं. उनका मानना है कि एनीमिया सभी बिमारियों...

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देश के प्रतिष्ठित होम्योपैथिक चिकित्स्कों में सुमार डॉ एके द्विवेदी अल्प प्रवास पर लखनऊ पधारे हुए थे उल्लेखनीय है कि डॉ एके द्विवेदी देश के ऐसे होम्योपैथी चिकित्सक हैं जो अप्लास्टिक एनेमिया, सिकल सेल सहित बोन मैरो की समस्या जैसी कई अन्य असाध्य बिमारियों के इलाज के लिए जाने जाते हैं.

डॉ द्विवेदी सम्पूर्ण देश में एनीमिया के लिए लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाए हुए हैं. उनका मानना है कि एनीमिया सभी बिमारियों की जननी है जब शरीर में रक्त की कमी होगी तब टिशू लेवल तक ऑक्सीजन नहीं पहुँचता है जिससे शरीर में कमजोरी, थकान, चिड़चिड़ापन लगता है. कभी कभी स्वांस की परेशानी दम भरने जैसा भी भी लग सकता है रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है जिसके कारण बार बार ब्यक्ति बीमार होने लगता है इन सभी समस्यायों का समाधान घर में उपलभ्द्ध खाद्द्य पदार्थों जैसे गुड़ चना से रक्त बढ़ाया जा सकता है होम्योपैथी चिकित्सा शरीर में रक्त बढ़ाने एवं ब्लीडिंग रक्तश्राव रोकने में काफी कारगर है.

डॉ द्विवेदी ने बताया कि देश में प्रत्येक वर्ष विश्व होम्योपैथी दिवस का आयोजन नई दिल्ली में वृहद स्तर पर 10 अप्रैल को होता है इस वर्ष भी विश्व होम्योपैथी दिवस 2024 का आयोजन का आयोजन 10 और 11 अप्रैल 2024 को यशोभूमि इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, द्वारका, नई दिल्ली में इंदौर के सुप्रसिद्ध होम्योपैथी चिकित्सक एवं सीसीआरएच, आयुष मंत्रालय के वैज्ञानिक सलाहकार मंडल के सदस्य डॉ एके द्विवेदी विशेष रूप से इस कार्यक्रम में शामिल होंगे.

आयुष मंत्रालय, सीसीआरएच, एनसीएच और एनआईएच के माध्यम से 10 और 11 अप्रैल 2024 को यशोभूमि इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, द्वारका, नई दिल्ली में विश्व होम्योपैथी दिवस 2024 का आयोजन कर रहा है। संगोष्ठी होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. सैमुअल हैनीमैन की 269 वीं जयंती का जश्न मनाती है। इस वर्ष के आयोजन का विषय “सशक्त अनुसंधान संवर्धन दक्षता: एक होम्योपैथिक संगोष्ठी” है।

इस वर्ष का आयोजन एक ऐतिहासिक अवसर होने का वादा करता है, जो कि भारत के माननीय राष्ट्रपति श्रीमती की सम्मानित उपस्थिति से सुशोभित है। द्रौपदी मुर्मू इस गरिमामय कार्यक्रम की मुख्य अतिथि के रूप में 10 अप्रैल 2024 को सुबह 09:00 बजे कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगी। इंदौर के सुप्रशिद्ध होम्योपैथी चिकित्सक एवं सीसीआरएच, आयुष मंत्रालय के वैज्ञानिक सलाहकार मंडल के सदस्य डॉ एके द्विवेदी भी विशेष रूप से इस कार्यक्रम में शामिल होंगे.

यह होम्योपैथिक संगोष्ठी शोधकर्ताओं, चिकित्सकों, शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं को एक साथ आने और ज्ञान, विचारों और अनुभवों का आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करेगी। संगोष्ठी में, प्रतिभागियों को नवीनतम शोध निष्कर्षों से जुड़ने, होम्योपैथिक अनुसंधान पद्धतियों में उभरते रुझानों का पता लगाने और होम्योपैथिक अनुसंधान के संचालन में चुनौतियों पर काबू पाने के लिए रणनीतियों पर चर्चा करने का अवसर मिलेगा। प्रस्तुतियाँ और पैनल चर्चाएँ ज्ञान साझा करने और क्षमता निर्माण की सुविधा प्रदान करेंगी, जो अंततः विज्ञान-आधारित स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के रूप में होम्योपैथी की उन्नति में योगदान देंगी।

विश्व होम्योपैथी दिवस 2024 का थीम “अनुसंधान को सशक्त बनाना, दक्षता बढ़ाना: एक होम्योपैथिक संगोष्ठी” होम्योपैथी को आगे बढ़ाने में अनुसंधान की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है और होम्योपैथिक अभ्यास में निरंतर सीखने और कौशल विकास के महत्व पर जोर देती है। आयोजन का विवरण वेबसाइट www.whdccrh.org पर उपलब्ध है। सभी से अनुरोध है कि इस आयोजन को होम्योपैथिक और वैज्ञानिक समुदाय के बीच लोकप्रिय बनाएं और उन्हें इस आयोजन के लिए पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित करें

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विश्व होम्योपैथी दिवस 10 अप्रैल 2024 पर विशेष- इंदौर के वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक डॉ एके द्विवेदी का मानना है कि- नवजीवन की आस और जन-जन के विश्वास की चिकित्सा पद्धति ….. होम्योपैथी https://indoremirror.in/dr-ak-dwivedi-believes-that-the-medical-method-of-hope-for-new-life-and-faith-of-the-people-homeopathy/ https://indoremirror.in/dr-ak-dwivedi-believes-that-the-medical-method-of-hope-for-new-life-and-faith-of-the-people-homeopathy/#respond Wed, 10 Apr 2024 03:50:45 +0000 https://indoremirror.in/?p=38002 डॉ द्विवेदी कहते हैं कि होम्योपैथी, एक ऐसी चिकित्सा पद्धति …… जिसे बच्चे मीठी गोली के लिए पसंद करते हैं तो डाइबिटिक बुजुर्ग इसलिए अपनाते हैं क्योंकि इस पैथी में दवाओं को पानी के साथ आसानी से लिया जा सकता है। युवावर्ग और एलीट क्लास के लोग होम्योपैथी की ओर इसलिए शिफ्ट हो रहे हैं क्योंकि सोशल मीडिया के दौर में अब इस राज से पर्दा हट चुका है कि होम्योपैथिक दवाओं के कोई साइड-इफेक्ट्स...

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डॉ द्विवेदी कहते हैं कि होम्योपैथी, एक ऐसी चिकित्सा पद्धति …… जिसे बच्चे मीठी गोली के लिए पसंद करते हैं तो डाइबिटिक बुजुर्ग इसलिए अपनाते हैं क्योंकि इस पैथी में दवाओं को पानी के साथ आसानी से लिया जा सकता है। युवावर्ग और एलीट क्लास के लोग होम्योपैथी की ओर इसलिए शिफ्ट हो रहे हैं क्योंकि सोशल मीडिया के दौर में अब इस राज से पर्दा हट चुका है कि होम्योपैथिक दवाओं के कोई साइड-इफेक्ट्स नहीं होते हैं। इसलिए होम्योपैथी वर्तमान दौर में जन-जन की आस और विश्वास वाली चिकित्सा पद्धति बन चुकी है।

कई जटिल और असाध्य बीमारियों में जब मरीजों और उनके परिजनों को यह कह दिया जाता है कि अब इस बीमारी का इलाज संभव नहीं है। तब वो होम्योपैथी चिकित्सक के पास इस उम्मीद के साथ आते हैं कि यही वह जगह है जहाँ उन्हें नवजीवन मिल सकता है और उसकी उम्मीद पर खरा उतरता है वह होम्योपैथी चिकित्सक जिसन हैनिमैन से शुरू हुई और कई पीढ़ियों से गुजरती होम्योपैथी जैसी जनहितकारी चिकित्सा पद्धति सहेज कर रखी है। वो न केवल मरीज में फिर से जिंदगी की उम्मीद जगाता है बल्कि अधिकांश मामलों में उसे स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर मरीज और उसके परिजनों के जीवन में फिर से खुशियों के रंग भर देता है।

ऑटो इम्यून डिसॉर्डर, एवीएन और कैंसर में लाभकारी
जब शरीर को किसी वायरस या संक्रमण से खतरा महसूस होता है, तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय हो जाती है और उस पर हमला कर देती है। इसे प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कहा जाता है। मगर ऑटोइम्यून डिसॉर्डर में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी और बाहरी कोशिकाओं के बीच अंतर नहीं कर पाती है। इससे शरीर गलती से सामान्य कोशिकाओं पर हमला कर देता है। इस जटिल समस्या से भारत सहित विश्व के अनेक देशों के लोग परेशान हैं। इसका कोई प्रचलित इलाज अभी तक नहीं मिल सका है। मुख्य रूप से 80 से अधिक प्रकार की ऑटोइम्यून बीमारियां हैं जो शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करती हैं। मगर अब इन बीमारियों पर होम्योपैथी कारगर सिद्ध हो रही है।

रूमेटोइड गठिया और ल्यूपस का प्रभावी उपचार
रूमेटोइड गठिया, ल्यूपस एरिथेमेटोसस (ल्यूपस) समेत अनेक जटिल बीमारियों में होम्योपैथी ट्रीटमेंट काफी उपयोगी सिद्ध हो रहा है। ल्यूपस होने पर शरीर में ऑटोइम्यून एंटीबॉडी विकसित करते हैं जो पूरे शरीर के ऊतकों से जुड़ सकते हैं। यह बीमारी अक्सर आपके जोड़ों, फेफड़ों , रक्त कोशिकाओं , नसों और गुर्दे पर हमला करती है । कुछ आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों में प्रचलित उपचार नहीं होने से रोगी काफी निराश हो जाते हैं मगर उन्हें भी होम्योपैथी चिकित्सा में आशानुरूप परिणाम देखने को मिलते हैं।

सूजन और आंत्ररोगों पर भी पुरअसर
सूजन और आंत्र रोग (आईबीडी) से रोगी को दस्त, मलाशय से रक्तस्राव, तत्काल मलत्याग, पेटदर्द , बुखार और वजन कम होने की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन रोग आईबीडी के दो मुख्य रूप हैं। होम्योपैथी पद्धति में प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर कर इनका इलाज आसानी से किया जा सकता है। मल्टीपल स्केलेरोसिस बीमारियों में दर्द, अंधापन, कमजोरी और मांसपेशियों में ऐंठन जैसी समस्याएं आम हैं। इसके लिए दी जाने वाली कुछ दवाओं के दुष्प्रभावों से लोग बहुधा परेशान हो जाते हैं। इसकी रोकथाम में भी होम्योपैथी चिकित्सा बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, बशर्ते मरीज की बीमारी ज्यादा न बढ़ी हो और मल्टीपल ऑर्गन इफ्फेक्टेड न हों। इसी तरह सोरायसिस और ओस्टियो नेक्रोसिस जैसी त्वचा और हड्डी संबंधी खतरनाक बीमारियों में भी होम्योपैथी चिकित्सा के बहुत अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। है, वह स्थिति होती है जब खून की आपूर्ति के कमी के कारण हड्डी के भाग नष्ट होने लगते हैं। ओस्टियो नेक्रोसिस के कई ऐसे मरीजों को भी होम्योपैथी चिकित्सा का लाभ मिला है जिन्हें फाइनली ट्रांसप्लांट का विकल्प अपनाने की सलाह दी गई थी।

कैंसर का पैलिएटिव एवं सपोर्टिव इलाज
कैंसर में कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और ऑपरेशन के बाद भी ठीक नहीं होने पर मरीज होम्योपैथी चिकित्सक के पास आते हैं। मरीज की बीमारी के स्टेज के आधार पर जब ठीक होने की सम्भावना कम हो जाती है तब होम्योपैथी चिकित्सा में पैलिएटिव एवं सपोर्टिव इलाज किया जाता है। होम्योपैथी चिकित्सा अपनाकर मरीज न केवल बार-बार रक्त चढ़ाने से छुटकारा पा जाते हैं बल्कि शरीर में रक्त के सामान्य होने से रक्त संबंधित परेशानियों से छुटकारा पाकर सामान्य जीवन भी जीते हैं। गले अथवा मुँह के कैंसर में जब मरीज भोजन का निवाला तक नहीं निगल पाते हैं, उस परिस्थिति में भी होम्योपैथी चिकित्सा से उन्हें आराम मिल जाता है। प्रोस्टेट कैंसर के ऑपरेशन के बाद भी जब मरीज को पेशाब के रास्ते में कैथेटर लगा दिया जाता है तब भी कई मरीजों को होम्योपैथी चिकित्सा अपनाने से कैथेटर से भी छुटकारा मिल जाता है। ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में हाथ में आने वाली सूजन एवं दर्द को कम करने में भी होम्योपैथी चिकित्सा काफी प्रभावी सिद्ध हो रही है। गाल ब्लैडर कैंसर में जब मरीज का ऑपरेशन नहीं किया जा सकता है, उस स्थिति में भी होम्योपैथी चिकित्सा राहत प्रदान करती है।


डॉ एके द्विवेदी, योशिभूमि नई दिल्ली में आयोजित विश्व होम्योपैथी दिवस के कार्यक्रम में दिनांक 10 एवं 11अप्रैल को शामिल भी होंगे
जिसकी मुख्य अतिथि होंगी भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मूर्मू जी
🙏
डॉ. ए.के. द्विवेदी
सदस्य – वैज्ञानिक सलाहकार मंडल, सी सी आर एच,आयुष मंत्रालय (भारत सरकार)

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काफी रिसर्च के बाद अब धीमा नहीं होता होम्योपैथी चिकित्सा से इलाज https://indoremirror.in/after-much-research-treatment-with-homeopathy-is-no-longer-slow/ https://indoremirror.in/after-much-research-treatment-with-homeopathy-is-no-longer-slow/#respond Wed, 10 Apr 2024 03:42:46 +0000 https://indoremirror.in/?p=37998 छोटों बच्चों के इलाज में भी होम्योपैथी चिकित्सा को प्राथमिकता दे रहे हैं पैरेंट्स अप्लास्टिक एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी को भी ठीक करने में सक्षम है होम्योपैथी चिकित्सा विश्व होम्योपैथी दिवस आज, लगातार हो रहे रिसर्च के बाद अनेक गंभीर बीमारी के मरीज को शीघ्र फायदा पहुंची रही है होम्योपैथी चिकित्सा इंदौर। भारत सहित कई देशों में ऐलापैथ जैसी चिकित्सा पद्धति का विकल्प देने वाले चिकित्सक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन की जयंती पर हर...

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छोटों बच्चों के इलाज में भी होम्योपैथी चिकित्सा को प्राथमिकता दे रहे हैं पैरेंट्स

अप्लास्टिक एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी को भी ठीक करने में सक्षम है होम्योपैथी चिकित्सा

विश्व होम्योपैथी दिवस आज, लगातार हो रहे रिसर्च के बाद अनेक गंभीर बीमारी के मरीज को शीघ्र फायदा पहुंची रही है होम्योपैथी चिकित्सा

इंदौर। भारत सहित कई देशों में ऐलापैथ जैसी चिकित्सा पद्धति का विकल्प देने वाले चिकित्सक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन की जयंती पर हर साल 10 अप्रैल को ‘वर्ल्ड होम्योपैथी डे’ मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा में होम्योपैथी के योगदान के बारे में जागरूकता पैदा करना है। इस बार ‘वर्ल्ड होम्योपैथी डे’ बुधवार को मनाया जाएगा। वहीं होम्योपैथी चिकित्सा में लगातार हो रहे रिसर्च के परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। लोगों का विश्वास इस चिकित्सा पर बढ़ा है। होम्योपैथी से धीमे इलाज की भ्रांती भी लोगों में दूर हो रही है। इंदौर के वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक एवं केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद्, आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी भी लगातार रिसर्च करते हुए होम्योपैथी चिकित्सा से अनेक गंभीर बीमारियों में शीघ्र ही मरीजों को राहत पहुंचा रहे हैं।

डॉ. द्विवेदी के अनुसार होम्योपैथी में सर्जरी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यह माना जाता है कि शरीर में बीमारियों को ठीक करने की क्षमता होती है और होम्योपैथी दवाएं इस क्षमता को उत्तेजित करने में मदद करती हैं। होम्योपैथी चिकित्सा में लगातार रिसर्च हो रहा है। मेरे द्वारा भी रिसर्च के बाद एडवांस होम्योपैथी अपनाई जाती है और 50 पोटेंसिएल की होम्योपैथी दवा इस्तेमाल की जाती है जिससे मरीजों को शीघ्र लाभ मिलता है और डॉ. द्विवेदी ने लोगों की उस भ्रांति को भी मिटाया जिसमें लोगों मानते थे कि होम्योपैथी चिकित्सा से इलाज धीमा होता है। मेरे पास डेढ़ साल से लेकर 80 साल तक के मरीज भी होम्योपैथी चिकित्सा से उपाचर के लिए आते हैं। इनमें मध्यप्रदेश के आलावा गुजरात, राजस्थान, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र,पंजाब, दिल्ली, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों के मरीज शामिल है। वहीं देश के बाहर से भी अनेक मरीज ऑनलाइन उपचार ले रहे हैं।

डेढ़ साल के बालक का अप्लास्टिक एनीमिया हुए ठीक, अब दवा की भी जरूरत नहीं पड़ती

डॉ. द्विवेदी के अनुसार बिहार दरभंगा के डेढ़ साल के बालक शिवांश को लेकर उसके पैरेंट्स इलाज के लिए लाए थे। जिसे अप्लास्टिक एनीमिया था। बालक के पैरेंट्स उसका इलाज के लिए दिल्ली एम्स तक भी गए थे लेकिन सभी जगह से निराशा ही हाथ लग रही थी। पैरेंट्स काफी परेशान थे। लेकिन मेरे पास आने के बाद बालक का एक से डेढ़ साल होम्योपैथिक उपचार चलने के बाद आज वो पूरी तरह से स्वस्थ है। किसी भी तरह की दवाएं भी नहीं चल रही है। आज वो एक सामान्य जीवन व्यतित कर रहा है।

प्रोसटेट कैंसर पीड़ित 81 साल के मरीज को दिलाई राहत

डॉ. द्विवेदी के अनुसार जबलपुर के 81 वर्षीय बुजुर्ग को प्रोसटेट कैंसर की शिकायत थी। डॉक्टर्स ने उन्हें पेशाब नली डाल दी थी और जीवनभर उसे लगी रहने का कहा था। निराश परिजन मेरे पास होम्योपैथी चिकित्सा से इलाज के लिए उन्हें लेकर आए। मैंने बुजुर्ग को होम्योपैथी चिकित्सा के साथ ही प्राकृतिक चिकित्सा से भी उपाचर दिया। करीब 5-6 दिन के इलाज के बाद ही बेहतर परिणाम देखने को मिले और उनकी पेशाब की नली निकाल दी गई। आज वे स्वस्थ है और सामान्य जीवन जी रहे हैं और स्वतः पेशाब भी कर लेते हैं।

पैरेंट्स भी छोटे बच्चों के इलाज में होम्योपैथी को दे रहे हैं प्राथमिकता

डॉ. द्विवेदी के अनुसार होम्योपैथी में बढ़ते विकास और इलाज के बेहतर परिणाम को देखते हुए छोटी उम्र के बच्चों के पैरेंट्स भी होम्योपैथी चिकित्सा को प्राथमिकता दे रहे हैं। वे अपने बीमार बच्चों का इलाज होम्योपैथी से करवाते हैं। कोरोना काल के दौर में कई बार तो जन्म लेने वाले नवजात को भी होम्योपैथी चिकित्सा से उपचार दिया गया। वहीं होम्योपैथी की गोलियां मीठी होने से बच्चे भी इन्हें आसानी से ले लेते हैं।

डायबिटीज के मरीजों के लिए नॉन स्वीट लिक्विड फॉर्म में उपलब्ध होती है होम्योपैथिक दवाएं

डॉ. द्विवेदी के अनुसार होम्योपैथी के माध्यम से डायबिटीज का उपचार किया जा सकता है। सबसे अच्छी बात यह है कि यदि आप इंसुलिन सहित पारंपरिक या फार्मास्युटिकल दवाएं ले रही हैं, तो उसके साथ होम्योपैथी की दवा ली जा सकती है। वहीं यह एक मिथ है कि मधुमेह के रोगियों को होम्योपैथिक दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये मीठी होती हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि होम्योपैथिक दवाओं में ग्लूकोज नहीं होता है। इसमें कॉम्प्लेक्स शुगर लैक्टोज होता है, जो हानिकारक नहीं होता है। जरूरी होने पर डिस्टिल वॉटर में भी दवाएं दी जा सकती हैं। होम्योपैथिक दवाएं नॉन स्वीट लिक्विड फॉर्म में भी उपलब्ध होती हैं।

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कम्युनिटी वेलफेयर के अंतर्गत निःशुल्क होम्योपैथी चिकित्सा शिविर आयोजित https://indoremirror.in/free-homeopathy-medical-camp-organized-under-community-welfare/ https://indoremirror.in/free-homeopathy-medical-camp-organized-under-community-welfare/#respond Sun, 31 Mar 2024 23:44:52 +0000 https://indoremirror.in/?p=37875 इंदौर के सुप्रसिद्ध होम्योपैथी चिकित्सक एवं सीसीआरएच, आयुष मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी ने बतौर मुख्य चिकित्सक अपनी सेवा प्रदान की आयुष मेडिकल वेलफेयर फाउंडेशन एवं मासिक स्वास्थ्य पत्रिका सेहत एवं सूरत तथा एडवांस्ड होम्योपैथिक मेडिकल रिसर्च एवं वेलफेयर सोसायटी के सयुंक्त तत्वाधान में ग्राम राजोदा में निःशुल्क होम्योपैथी चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें इंदौर के सुप्रशिद्ध होम्योपैथी चिकित्सक एवं सीसीआरएच, आयुष मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के...

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इंदौर के सुप्रसिद्ध होम्योपैथी चिकित्सक एवं सीसीआरएच, आयुष मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी ने बतौर मुख्य चिकित्सक अपनी सेवा प्रदान की

आयुष मेडिकल वेलफेयर फाउंडेशन एवं मासिक स्वास्थ्य पत्रिका सेहत एवं सूरत तथा एडवांस्ड होम्योपैथिक मेडिकल रिसर्च एवं वेलफेयर सोसायटी के सयुंक्त तत्वाधान में ग्राम राजोदा में निःशुल्क होम्योपैथी चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें इंदौर के सुप्रशिद्ध होम्योपैथी चिकित्सक एवं सीसीआरएच, आयुष मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी ने बतौर मुख्य चिकित्सक अपनी सेवा प्रदान की।

शिविर में ग्रामीणों को उनकी बीमारी से बचाव के तरीके बताने के साथ-साथ निःशुल्क होम्योपैथी दवा भी वितरण की गई। कई मरीजों को जोड़ों में दर्द गठिया के लिए योग एवं आसन भी बातए गए उम्र दराज लोगों को नियमित जाँच कराते रहने की सलाह भी दी। डॉ द्विवेदी ने बताया की ग्रामीणों में भी चिंता अवसाद तथा अनिद्रा के काफी सारे केसेस देखने को मिलो जो भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।

डॉ द्विवेदी ने उपस्थित लोगों को हेल्थ टिप्स देते हुए संबोधित भी किया आपने लोगों से बात चीत के दौरान कहा की अक्सर व्यस्त जीवनशैली के चलते हमें कहीं ना कहीं चिंता तनाव होता ही है और यदि आपने ध्यान नहीं दिया तो कई बीमारियों का कारण हो सकता है। मानसिक अवसाद धीरे-धीरे आपकी ब्रेन मेमोरी को खोखला करता है, ज्यादा स्ट्रेस लेने की वजह से लोग डिमेंशिया और अल्जाइमर के शिकार हो जाते हैं। रोजमर्रा की जिंदगी में भूल ही जाते हैं, परंतु जरूरत से ज्यादा इंपॉर्टेंट चीज भी बार-बार भूलना एक बीमारी का संकेत हो सकता है, इसलिए कम उम्र में ही है भूलने की बीमारी तो हल्के में ना लें, हो जाएं सावधान और अपनाएं होम्योपैथी इलाज।

डॉ द्विवेदी के अनुसार अगर आप भी अनिद्रा (कम नींद लेना) के शिकार हैं तो संभल जाइए, क्योंकि इसका असर आपकी ब्रेन मेमोरी पर पड़ता है। नींद कम आने की वजह से न सिर्फ आपका स्वास्थ्य खराब होता है, बल्कि धीरे-धीरे आपके लिए चीजों को याद रखना मुश्किल हो जाता है। घर में चाबी या जेब में पैसे रखकर भूल जाना कोई आम बात नहीं है। जिस उम्र में लोगों की याददाश्त दुरुस्त होनी चाहिए उस उम्र में चीजों को भूल जाना गंभीर बीमारी का लक्षण हो सकता है। टीनएजर्स में होने वाली इस बीमारी को डिमेंशिया या अल्जाइमर कहा जाता है। आखिर इतनी कम उम्र में इस बीमारी की वजह क्या होती है.? बार-बार भूलने की दिक्कत से न सिर्फ आपको कई मौकों पर शर्मिंदगी उठानी पड़ती है बल्कि यह आपके लिए अल्जाइमर जैसे गंभीर रोग का इशारा हो सकता है। इससे बचाव के लिए होम्योपैथी चिकित्सा की सलाह भी लोगों को दी।

कार्यक्रम का संचालन श्री प्रकाश पांचाल द्वारा किया गया आभार दीपाली पांचाल ने माना। कैम्प आयोजित करने की मुख्य भूमिका दीपेश पांचाल ने निभाई।

उक्त अवसर पर डॉ विवेक शर्मा, डॉ जितेंद्र कुमार पुरी ने मरीजों की जांच कर दवा वितरित किया। ओम प्रकाश, राहुल, सन्नी, आदित्य, मोहित, वैष्णवी एवं हर्षिता ने मरीजों का पंजीयन एवं दवा वितरण किया।

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फोर्टिस एस्कॉर्ट्स जयपुर ने चिकित्सा में मील का पत्थर हासिल किया https://indoremirror.in/fortis-escorts-jaipur-achieves-medical-milestone/ https://indoremirror.in/fortis-escorts-jaipur-achieves-medical-milestone/#respond Wed, 20 Mar 2024 23:38:02 +0000 https://indoremirror.in/?p=37605 चार मिलियन में से एक आनुवंशिक उत्परिवर्तन और जानलेवा गैंग्रीन से पीड़ित समय से पहले जन्मे नवजात का सफलतापूर्वक इलाज किया गया जयपुर, 20 मार्च, 2024: एक उल्लेखनीय चिकित्सा उपलब्धि में, जयपुर के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में एक 12 दिन के समय से पहले जन्मे नवजात को, जो कई अन्य बीमारियों और गैंग्रीन के एक दुर्लभ, जीवन-घातक बीमारी से जूझ रहा था, जीवन का दूसरा मौका दिया गया। डॉ. श्याम सुंदर शर्मा, कंसल्टेंट, नियोनेटोलॉजी, फोर्टिस...

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चार मिलियन में से एक आनुवंशिक उत्परिवर्तन और जानलेवा गैंग्रीन से पीड़ित समय से पहले जन्मे नवजात का सफलतापूर्वक इलाज किया गया

जयपुर, 20 मार्च, 2024: एक उल्लेखनीय चिकित्सा उपलब्धि में, जयपुर के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में एक 12 दिन के समय से पहले जन्मे नवजात को, जो कई अन्य बीमारियों और गैंग्रीन के एक दुर्लभ, जीवन-घातक बीमारी से जूझ रहा था, जीवन का दूसरा मौका दिया गया। डॉ. श्याम सुंदर शर्मा, कंसल्टेंट, नियोनेटोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल जयपुर और उनकी टीम के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम के तहत, बच्चे का 25 दिनों तक सफल उपचार किया गया, जिसमें लगातार ब्लड इन्फेक्शन भी शामिल था।

नवजात शिशु को 35 सप्ताह (8 महीने) के गर्भ में आपातकालीन सी-सेक्शन के माध्यम से जयपुर के बाहर स्थित अस्पताल में जन्म दिया गया था, लेकिन जन्म के तुरंत बाद सांस लेने में कठिनाई होने लगी, इसलिए बेबी को जयपुर के दुसरे अस्पताल में रेफर किया गया और वहाँ वेंटीलेटर पर रखा गया था, और सर्फ़ेक्टेंट (जो वायुमार्ग को खुला रखने में मदद करते हैं) फेफड़ों में डाले गए थे। अपने प्राथमिक अस्पताल में रहने के दौरान, नवजात शिशु में कई सहवर्ती बीमारियाँ विकसित हो गईं – जैसे की ब्लडप्रेशर कम होना, हाथ पैरों का ठण्डा हो जाना, दोनों पैरों का काला पड़ना, उच्च यूरिया और क्रिएटिनिन के साथ कम मूत्र उत्पादन, गंभीर रूप से कम प्लेटलेट्स (15000) के साथ-साथ कई स्थानों से लगातार रक्तस्राव, एवं दिमागी रक्तस्राव जिसके परिणामस्वरूप दौरे आने लगे। विशेष देखभाल की सख्त जरूरत के कारण, उन्हें अत्यंत गंभीर अवस्था में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल जयपुर में स्थानांतरित कर दिया गया।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल जयपुर में कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजी डॉ. श्याम सुंदर शर्मा ने मामले की जटिलताओं के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा, “फोर्टिस एस्कॉर्ट्स जयपुर पहुंचने पर, नवजात शिशु बेहद गंभीर स्थिति में था। कई गंभीर बीमारियों के कारण उसका जीवित रहना अनिश्चित था।” श्वसन संबंधी कठिनाइयाँ, पैरों में रक्त के प्रवाह में कमी, निम्न रक्तचाप, गुर्दे की विफलता, दोनों निचले अंगों में गैंग्रीन, मस्तिष्क में रक्तस्राव और लगातार दौरे सहित कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थी। उनकी सांस लेने की कठिनाइयों को दूर करने के लिए, हमने वेंटीलेटर जारी रखा।

गैंग्रीन के सूचक परपुरा फ़ल्मिनेन्स का निदान करने पर, हमें प्रोटीन सी की कमी का पता चला। बच्चे के माता-पिता के आगे आनुवंशिक परीक्षण से एक विषमयुग्मजी उत्परिवर्तन का पता चला, जिससे रक्त का थक्का जम गया और गैंग्रीन हो गया। आदर्श उपचार, प्रोटीन सी इन्फ्यूजन, भारत में अनुपलब्ध था, जिस से हमें फ्रेश फ्रोज़न प्लाज़्मा (एफएफपी) का उपयोग करना पड़ा, जिसमें प्रोटीन सी होता है। इसके साथ ही इंजेक्टेबल एलएमडब्ल्यूएच, एक प्रकार का रक्त पतला करने वाली दवा, को 21 दिनों की कठोर अवधि में प्रशासित किया गया था। बाएं पैर के एक हिस्से को छोड़कर शरीर के सभी गैंग्रीन वाले हिस्से ठीक हो गए, जिसके लिए हमने प्लास्टिक सर्जन से परामर्श की सलाह दी। समय पर सटीक निदान और उपचार दोनों ही , नवजात शिशु के जीवित रहने के लिए महत्वपूर्ण थे।”

श्री नीरव बंसल, जोनल डायरेक्टर, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल जयपुर ने कहा, “यह एक बहुत ही दुर्लभ स्थिति थी, और आमतौर पर ऐसे मामले नहीं आते हैं। इस शिशु की स्थिति को अच्छी तरह से संभालने और उसका सफलतापूर्वक इलाज करने के लिए डॉ. श्याम सुंदर और पूरी टीम को बधाई। उन्नत प्रौद्योगिकी तक पहुंच और हमारी चिकित्सा टीम की विशेषज्ञता के साथ, हमें जटिल और दुर्लभ परिस्थितियों का सामना करने वाले लोगों को आशा और उपचार प्रदान करते हुए, माँ और बच्चे की देखभाल में अग्रणी होने पर गर्व है।”

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मेदांता हॉस्पिटल में किया गया किडनी वारियर्स का सम्मान, ट्रांसप्लांट के बताए लाभ https://indoremirror.in/kidney-warriors-honored-in-medanta-hospital-benefits-of-transplant-explained/ https://indoremirror.in/kidney-warriors-honored-in-medanta-hospital-benefits-of-transplant-explained/#respond Thu, 14 Mar 2024 23:28:15 +0000 https://indoremirror.in/?p=37456 इंदौर, मार्च, 2024: अनियमित और दूषित खानपान, अत्याधिक दर्द निवारक दवाओं के सेवन और बढ़ती जीवनशैली संबंधी बीमारियों के कारण किडनी रोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसमें भी चिंता का विषय है जानकारी का अभाव, केवल दो प्रतिशत लोगों को ही यह पता होता है कि उन्हें किडनी की बीमारी है। दुनिया भर में हर साल मार्च महीने के दूसरे गुरुवार को विश्व किडनी दिवस मनाया जाता है, ताकि किडनी के स्वस्थ...

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इंदौर, मार्च, 2024: अनियमित और दूषित खानपान, अत्याधिक दर्द निवारक दवाओं के सेवन और बढ़ती जीवनशैली संबंधी बीमारियों के कारण किडनी रोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसमें भी चिंता का विषय है जानकारी का अभाव, केवल दो प्रतिशत लोगों को ही यह पता होता है कि उन्हें किडनी की बीमारी है। दुनिया भर में हर साल मार्च महीने के दूसरे गुरुवार को विश्व किडनी दिवस मनाया जाता है, ताकि किडनी के स्वस्थ रखने के तरीकों, इससे जुड़े रोगों और बचाव के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके। इस साल 14 मार्च को मनाए जाने वाले किडनी दिवस की थीम “किडनी हेल्थ फॉर आल” है, जिसका उद्देश्य किडनी के बारे में जागरूकता बढ़ाना और सभी तक किडनी उपचार की पहुंच सुनिश्चित करना है।

मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने विश्व किडनी दिवस के अवसर पर किडनी रोगों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में उन किडनी मरीजों और डोनर्स को भी आमंत्रित किया गया जिनका इलाज और ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक मेदांता हॉस्पिटल में हुआ और आज वे स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। कार्यक्रम में किडनी रोगों के लक्षण, बचाव और उपचार के बारे में जानकारी दी गई और इन “वारियर्स” का सम्मान किया गया। इसके अलावा, किडनी रोगियों के लिए स्वस्थ जीवनशैली के बारे में भी बताया गया। कार्यक्रम में शामिल हुए किडनी रोगियों ने अपने अनुभव भी साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे मेदांता हॉस्पिटल के डॉक्टरों की मदद से वे किडनी रोग से उबरने में सफल हुए।

मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल इंदौर के कंसल्टेंट, नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट, डॉ. जयसिंह अरोरा ने बताया, “शरीर में अकेला किडनी ही एक ऐसा ऑर्गन है जिसमें रिप्लेसमेंट आसानी से उपलब्ध है। अन्य ऑर्गन्स जैसे हार्ट, लीवर, ब्रेन के लिए आर्टिफिशियल मशीनें आसानी से उपलब्ध नहीं होती। लापरवाही के कारण पेशेंट्स उस स्टेज पर अस्पताल में आते हैं जब डायलिसिस या फिर ट्रांसप्लांट ही ऑप्शन रहता है। यह जानना जरूरी है कि किडनी ऐसा अंग है जो खुद को रीजनरेट नहीं कर सकता। एक बार उसकी कोशिकाएं या नेफ्रॉन खराब हो जाए तो रीजनरेट की गुंजाइश ही नहीं है। अगर वे 15 प्रतिशत से 30 प्रतिशत भी बचे रहें तो दवाइयों के सपोर्ट से जीवन बिना किसी तकलीफ के कट सकता है। उन्हें डायलिसिस की जरूरत नहीं पड़ती। आज के आयोजन में हमने न सिर्फ किडनी ट्रांसप्लांटेड मरीजों का सम्मान किया बल्कि मौजूद लोगों को भी किडनी ट्रांसप्लांट के बारे में जागरूक किया। इस बात की जागरूकता फैलाना बेहद अहम् है कि लोग किडनी ट्रांसप्लांट के बारे में अधिक से अधिक जानकारी हो, भारत में प्रतिवर्ष ऑर्गन ट्रांसप्लांट के न हो पाने की वजह से ढाई लाख मौतें होती हैं। करीब एक लाख लोग लिवर ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा में हैं, लगभग 2 लाख लोगों को किडनी की आवश्यकता होती है, वहीं हृदय के लिए प्रतिवर्ष 50 हजार लोग इंतजार करते हैं, इसलिए जरूरी है कि लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए जागरूक करें ताकि लाखों लोगों की जान बच सके।”

डॉ. अरोरा आगे कहते हैं, “खुद को किडनी रोगों से बचाए रखने के लिए कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखा जा सकता है, जैसे, दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें. इससे किडनी को शरीर से टॉक्सिन निकालने में सहायता होती है। प्रोटीन सप्लीमेंट्स की जरूरत से ज्यादा मात्रा लेने से परहेज करें, हर दूसरे दिन पेनकिलर्स लेने से भी किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है इससे बचें। धूम्रपान करने पर भी किडनी पर विपरीत प्रभाव पड़ता है इसलिए धूम्रपान का सेवन बंद कर दें, शुगर और बीपी को नियंत्रित रखें एवं एक अच्छी जीवनशैली को अपनाएं। क्रिएटिनिन की मात्रा महिलाओं में 1.2 से अधिक और पुरुषों में 1.4 से अधिक खतरनाक है। किडनी में दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।”

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52 साल की महिला का TUKSplasty के माध्यम से हुआ उपचार https://indoremirror.in/52-year-old-woman-treated-through-tuksplasty/ https://indoremirror.in/52-year-old-woman-treated-through-tuksplasty/#respond Fri, 01 Mar 2024 23:22:01 +0000 https://indoremirror.in/?p=37260 इंदौर के शैल्बी हॉस्पिटल में हुआ उपचार, सर्जरी के 24 घंटों में पैरों पर खड़ी हुई महिला इंदौर, 1 मार्च, 2024। घुटना बेहद जरुरी अंग है, जिस पर पूरे शरीर का संतुलन निर्भर करता है लेकिन कई बार इसमें घुटनों में जकड़न, दर्द और सूजन जैसी समस्याएँ देखने को मिलती है। भोपाल की 52 वर्षीय महिला पिछले कुछ दिनों से ऐसे दर्द से परेशान थी, समस्या धीरे धीरे इतनी बढ़ गई कि महिला को खड़े...

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इंदौर के शैल्बी हॉस्पिटल में हुआ उपचार, सर्जरी के 24 घंटों में पैरों पर खड़ी हुई महिला

इंदौर, 1 मार्च, 2024। घुटना बेहद जरुरी अंग है, जिस पर पूरे शरीर का संतुलन निर्भर करता है लेकिन कई बार इसमें घुटनों में जकड़न, दर्द और सूजन जैसी समस्याएँ देखने को मिलती है। भोपाल की 52 वर्षीय महिला पिछले कुछ दिनों से ऐसे दर्द से परेशान थी, समस्या धीरे धीरे इतनी बढ़ गई कि महिला को खड़े होने में भी कठिनाई आने लगी। जब कहीं से आराम नहीं मिला तो उसे इंदौर के शैल्बी हॉस्पिटल आने की सलाह दी गई। इंदौर में शैल्बी हॉस्पिटल के हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ डॉ अनीश गर्ग और उनकी टीम द्वारा लिगामेंट्स को किसी भी प्रकार का नुकसान पहुंचाए बिना उनके दोनों घुटनों की TUKSplasty की गई। केवल 24 घंटों के भीतर महिला अपने पैरों पर खड़े होने में सक्षम हो गई है।

शैल्बी हॉस्पिटल के हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ डॉ अनीश गर्ग के अनुसार, “पुराने समय में अगर घुटने में कोई समस्या होती थी तो पूरे घुटने को बदलने की जरूरत पड़ती थी लेकिन अब विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि सिर्फ घुटने का ख़राब भाग हटा कर उसे बदला जा सकता है, इस सर्जरी को पार्शियल नी रिप्लेसमेंट कहा जाता है। इसमें या तो अंदर का भाग, बाहर का भाग, या घुटने के नी कैप के हिस्से को बदला जा सकता है। पूरे घुटने के जोड़ को बदलने की सर्जरी को पूरे घुटने का इम्प्लांट कहा जाता है एवं किसी हिस्से को बदलना पार्शियल नी रिप्लेसमेंट कहलाता है। लेकिन अब इसमें भी नई तकनीक आ गई है जिसे TUKSplasty कहा जाता है। TUKSplasty टोटल नी रिप्लेसमेंट से छोटी सर्जरी होती है, जिसमें केवल चीरा वहां लगाया जाता है जहाँ समस्या होती है, इसमें विटामिन ई पॉली का इस्तेमाल किया जाता है जो कि इफ्लेमेशन को कम करता है एवं घुटने की उम्र बढाता है। एक स्टडी के अनुसार घुटने के दर्द से पीड़ित लोगों में से केवल 30 से 40% लोगों को ही टोटल नी रिप्लेसमेंट की जरूरत होती है बाकियों का केवल पार्शियल नी रिप्लेसमेंट या TUKSplasty से निदान संभव है।”

डॉ गर्ग आगे बताते हैं “ऑस्टियोआर्थराइटिस, आर्थराइटिस, घुटने के जोड़ में डैमेज का सबसे आम कारण है। ऑस्टियोआर्थराइटिस के गंभीर मामलों में टोटल नी रिप्लेसमेंट की आवश्यकता होती है जबकि अन्य में पार्शियल नी रिप्लेसमेंट किया जाता है। पहले घुटने की समस्या अक्सर बुढ़ापे में देखी जाती थी लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्पोर्ट्स इंज्युरी, मेनिस्कस टियर के मामलें युवाओं में भी तेजी से बढे हैं इनमें पूरे घुटने का प्रत्यारोपण न कर केवल प्रभावित जगह को बदलना ही लाभकारी होता है। अगर टस्क प्लास्टी को उचित ढंग से किया जाए तो इसके परिणाम टोटल नी रिप्लेसमेंट से भी ज्यादा अच्छे हो सकते हैं।”

क्या है TUKSplasty के लाभ?

TUKSplasty एक ऐसी तकनीक है जो कि बहुत ही कारगर है और समय कम लेती है केवल 8 से 10 मिनिट में सर्जरी पूरी हो जाती है। ब्लड लॉस न के बराबर होता है, चीरा एकदम छोटा लगता है और रिकवरी फ़ास्ट होती है। सर्जरी के बाद पेशेंट केवल 3 से 4 घंटे में अपने घर जा सकता है। इसके अलावा भी यह सर्जरी लिगामेंट्स को किसी भी प्रकार का नुकसान पहुंचाए बिना की जाती है, जिससे शरीर की नेचुरल मेकेनिज़्म ठीक तरह से काम कर पाती है। जिसके बाद व्यक्ति राजमर्रा के सारे काम दौड़ना, भागना आसानी से कर सकता है। भारतीय संदर्भ में इसका लाभ यह है कि इस सर्जरी के बाद लोगों के लिए फर्श पर पालथी मार कर बैठ सकते हैं जबकि टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी में ऐसा करना उचित नहीं है।

शैल्बी हॉस्पिटल्स के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी डॉ अनुरेश जैन एवं मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ विवेक जोशी ने बताया “TUKSplasty में टाहो यूनिकॉन्डाइलर नी सिस्टम इम्प्लांट का उपयोग किया जाता है, अनुसंधान और विकास प्रयासों के बाद यूएसए में शैल्बी एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के इम्प्लांट मैनुफैक्चरिंग प्लांट में तैयार किया गया। TUKSplasty विटामिन ई पॉली के साथ का इस्तेमाल कर उपयोग की जाने वाली पार्शियल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी है जिसे यूनिकम्पार्टमेंटल घुटना रिप्लेसमेंट, यूनिकॉन्डिलर घुटना रिप्लेसमेंट और माइक्रोप्लास्टी के नाम से भी जाना जाता है। TUKSplasty में उपयोग किया जाने वाला विटामिन ई पॉली घिसाव को कम करता है और घुटने की उम्र को बढ़ाता है। इसकी सबसे ज्यादा जरूरत तब है जब घुटने का केवल एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो और उसे बदलने की आवश्यकता हो। इसकी डिज़ाइन के कारण यह पार्शियल नी रिप्लेसमेंट में उपयोग होने वाले इम्प्लांट्स में सबसे बेहतर माना जाता है, जिसके परिणाम दीर्घकालिक हैं। इंदौर के शैल्बी हॉस्पिटल में अब यह सुविधा मौजूद है जिसका लाभ पूरा मध्यभारत में लिया जा सकता है।”

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