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बेटियों को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने के लिये सामूहिक प्रयास जरूरी- राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह सम्पन्न
इंदौर. राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने सम्बोधित करते हुए आव्हान किया कि बेटियों को शिक्षित तथा आत्मनिर्भर बनने के लिये प्रोत्साहित किया जाये। देश को विकसित बनाने में बेटियों का अहम योगदान रहेगा। उन्होंने कहा कि बेटियों को शिक्षित तथा आत्मनिर्भर बनाने तथा देश के सर्वागीण विकास के लिये सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई होलकर महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता का उत्तम उदाहरण है। देवी अहिल्याबाई होलकर ने कुशल प्रशासन, न्याय परायणता और कल्याणकारी कार्यों में कई मानक स्थापित किये है।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू आज यहां इंदौर में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को सम्बोधित कर रही थीं। इस अवसर पर राज्यपाल श्री मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय, उच्च शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार, जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलगुरू श्रीमती रेणु जैन भी विशेष रूप से मौजूद थीं। समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने विद्यार्थियों तथा शोधार्थियों को स्वर्ण तथा रजत पदक वितरित किये।
समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि स्वच्छता के क्षेत्र में इंदौर ने देश में असाधारण उपलब्धि हासिल की है। इसके लिये उन्होंने इंदौर वासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह शहर देवी अहिल्याबाई होलकर के नाम से पहचाना जाता है। इंदौर में विश्वविद्यालय भी देवी अहिल्याबाई के नाम पर स्थापित है। यह हमारे लिये गौरव का समय है, जब हम देवी अहिल्याबाई की 300वीं जयंती मना रहे हैं। लोक माता अहिल्याबाई शिक्षा के महत्व को समझती थी। उनके पिता ने भी उस दौर में उन्हें शिक्षा दिलाई जब बालिकाओं को शिक्षा दिलाना बहुत कठिन होता था। समाज के लोग उस वक्त शिक्षा का विरोध करते थे। उनका जीवन महिला सशक्तिरण का उत्तम उदाहरण है। उन्होंने अपने जीवन और शासन काल में महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिये नवीन और सफल प्रयास किये। उन्होंने जनजातिय समाज की आजीविका को सुनिश्चित करने के लिये निर्णय लिये उसे मुर्त रूप दिया और उनके विकास के लिये अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये।
उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई ने कुशल प्रशासन, न्याय परायणता और कल्याणकारी कार्यों में कई मानक स्थापित किये है। उनका जीवन महिलाओं के सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, शैक्षणिक सहित अनेक क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव का बेहतर उदाहरण रहा है। उन्होंने अपने आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प से कठिनाईयों एवं संघर्ष के दौर में रास्ते बनाये। इस रास्ते पर आज सुगमता से चला जा रहा है। उन्होंने एक विदेशी कवियत्री की कविता का जिक्र करते हुए कहा कि देवी अहिल्याबाई की ख्याति देश ही नहीं विदेश में भी थी। यह हमारे लिये गौरव की बात है। मैं लोक माता देवी अहिल्याबाई की स्मृति को सादर नमन करती हूं। उन्होंने कहा कि यह लोक माता देवी अहिल्याबाई का ही आर्शीवाद और आदर्शों का प्रतिफल है कि आज दीक्षांत समारोह में सर्वाधिक पदक बेटियों ने ही प्राप्त किये है। उन्होंने पदक प्राप्त सभी बेटियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जीवन की सभी बाधाओं को दूर करते हुए स्वयं ही रास्ता बनाते हुए आगे बढ़ेगी और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करेंगी।
उन्होंने कहा कि इंदौर की ही श्रीमती सुमित्रा महाजन ने जनसेवा और लोकतंत्र में योगदान देने का अत्यंत प्रभावशाली उदाहरण प्रस्तुत किया। श्रीमती मुर्मु ने शैक्षणिक संस्थानों, गुरूजनों और अभिभावकों का आव्हान किया कि वे बेटियों को शिक्षित तथा आत्मनिर्भर बनने के लिये प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि भारत 2047 में सबसे विकसित और सबसे आगे रहने वाला देश बनने के लिये तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसमें बेटियों की अहम भूमिका रहेगी। उन्होंने कहा कि बेटियों को प्रोत्साहित किया जाये कि वे बड़े सपने देखें, बड़ा लक्ष्य तय करें और उसे पाने के लिये मेहनत से कार्य करें। उन्होंने कहा कि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय एक ऐसा बड़ा विश्वविद्यालय है जहां तीन लाख से अधिक विद्यार्थी अध्ययन कर रहे है। इस विश्वविद्यालय के परिक्षेत्र में अनेक ऐसे जिले आते है जहां अनुसूचित जनजाति के लोग अधिसंख्य है। इसको देखते हुए इस विश्वविद्यालय में ट्रायबल स्टडी सेंटर प्रारंभ किया गया है। यह एक सराहनीय प्रयास है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हमें सबका साथ, सबका विकास एवं सबका प्रयास नारा दिया। देश को आगे बढ़ाने के लिये सबके सहयोग से सामूहिक विकास जरूरी है। संर्वागीण विकास के लिये पिछड़ों को भी आगे लाने के लिये सरकार के साथ ही सबका सहयोग भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात कि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने नयी शिक्षा नीति को लागू किया है। उन्होंने कहा कि जीवन में आगे बढ़ने के लिये सही पथ का चयन किया जाये। इसके लिये माता-पिता, गुरूजनों और अनुभवी व्यक्तियों का सहयोग ले।
समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि दीक्षांत समारोह का आयोजन हम सबके लिए गर्व और गौरव का विषय है। दीक्षांत समारोह माता-पिता के त्याग तप,गुरूजन के आशीर्वाद और विद्यार्थी जीवन के अनुशासन और परिश्रम से प्राप्त सफलता का अविस्मरणीय पल है। उन्होंने इस अवसर पर सभी मेधावी विद्यार्थियों, गुरूजनों और पालकों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने शुभकामनाएँ देते हुए विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना की।
उन्होंने कहा कि देवी अहिल्या बाई में राजनीतिक, महिला सशक्तिकरण, जनसेवा और देश के धार्मिक एवं आध्यात्मिक उत्थान का जीवंत उत्साह था। विश्वविद्यालय के सभी विद्यार्थियों के लिए यह गौरव की बात है कि वे लोक माता के रूप में विख्यात देवी अहिल्या बाई के नाम पर स्थापित विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे है। देवी अहिल्या बाई की सैकड़ों साल बाद भी जनमानस पूजा करता है, क्योंकि उन्होंने स्वयं को एक ऐसे उदाहरण के रूप में स्थापित किया है, जिसका सब कुछ था लेकिन स्वयं के लिए कुछ भी नहीं था। उन्होंने वंचित वर्गों को समाज की मुख्य धारा में शामिल करने के प्रयास किए। उन्होंने समाज की सेवा को ईश्वर की सेवा माना था।
राज्यपाल श्री पटेल ने सभी युवाओं से आह्वान किया कि देवी अहिल्याबाई से प्रेरणा लेते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के विकसित भारत के सपने को पूरा करने में एक निष्ठ, ईमानदार योगदान के लिए संकल्प बद्ध हों प्रयास करें। उन्होंने कहा कि मैं सभी विद्यार्थियों से अपेक्षा करता हूं कि वे अपने माता-पिता और आचार्यों को भगवान समान मानें और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझकर अच्छी तरह से निभाएं।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संबोधित करते हुए कहा कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई समाज सुधारक, न्याय प्रिय, स्वराज एवं सुशासन की पुरोधा थीं। उन्होंने कहा कि देवी अहिल्या बाई ने अपने राज्य के बाहर जाकर लोगों के समग्र कल्याण के लिये भी अनेक काम किये हैं। उन्होंने कहा कि देवी अहिल्या बाई का जीवन हमारे लिए आदर्श और एवं प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कठिन दौर में शिक्षा हासिल की। संघर्षों और कठिनाईयों का सामना करते हुए साहस के साथ आगे बड़ी है। उन्होंने कहा कि देवी अहिल्या बाई ने हिमालय की चोटी एवरेस्ट से ऊँचा मनोबल लेकर अपना जीवन जिया है। यह हम सब के लिए प्रेरणा का पुंज है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश में शिक्षा नीति लागू की गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सभी क्षेत्रों में कृत संकल्पित होकर कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बौद्धिक सम्पदा पुष्पित और पल्लवित हो रही है। हमारे प्रदेश में अपार बौद्धिक सम्पदा है। हम बौद्धिक सम्पदा का उपयोग प्रदेश के चहुमुखी विकास के लिये कर रहे है। समारोह में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पुस्तिका अतिथियों को भेट की गई। कार्यक्रम के प्रारंभ में कुलगुरू श्रीमती रेणु जैन ने स्वागत भाषण दिया।