डॉ. एके द्विवेदी ने मप्र के मुख्यमंत्री को अपनी नई किताब की पहली प्रति भेंट की

एनीमिया के लिए होम्योपैथी पुस्तक का विमोचन

इंदौर। होम्योपैथी के बारे में, पहले यह भ्रांति थी कि इस चिकित्सा पद्धति की दवाइयाँ बहुत धीरे-धीरे असर करती है। इसी तरह कई लोग सोचते थे कि गंभीर बीमारियों में होम्योपैथी बहुत ज्यादा कारगर साबित नहीं होती है। लेकिन कोरोना काल में होम्योपैथी, की आर्सेनिक एल्बम जिस तरह से महामारी को मात देने में अचूक रामबाण साबित हुई, उसने इस चिकित्सा से जुड़ी सभी मिथ्या धारणाओं और भ्रांतियों को दूर कर दिया है। अब दुनिया भर में करोड़ों लोग इस पद्धति को अपनाकर स्वस्थ एवं सुखी जीवन का आनंद उठा रहे हैं।

ये बात शुक्रवार को इंदौर में आयोजित एक कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक एवं लेखक डॉ. ए.के. द्विवेदी ने कही। इस मौके पर उन्होंने अपनी नई किताब “एनीमिया के लिए होम्योपैथी” की पहली प्रति मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को भेंट की। आपने मुख्यमंत्री जी को बताया कि इस पुस्तक में कैंसर से भी गंभीर बीमारी अप्लास्टिक एनीमिया से ठीक हुए लोगों की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई गई है.

पुस्तक का विमोचन करते हुए मुख्यमंत्री ने, डॉ. द्विवेदी के इस प्रयास की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए, इस प्रकार के प्रयास भविष्य में भी जारी रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इस किताब से मरीजों को अलग-अलग तरह की जानलेवा एनीमिया बीमारी को समझने और उससे उबरने में बहुत मदद मिलेगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अप्लास्टिक एनीमिया, सिकलसेल जैसी गंभीर बीमारियों से सैकड़ों मरीजों को बचाने और बोनमैरो के मरीजों को समुचित होम्योपैथी चिकित्सा प्रदान करने के लिए डॉ. द्विवेदी का सम्मान भी किया।

उपचार के साथ-साथ खान-पान पर भी विस्तारित सामग्री
उल्लेखनीय है कि “एनीमिया के लिए होम्योपैथी” डॉक्टर द्विवेदी द्वारा लिखी गई चौथी किताब है। इससे पहले उनकी तीन किताबें “कोरोना के साथ और कोरोना के बाद, मानव शरीर रचना विज्ञान और बाली की फुलवारी” प्रकाशित हो चुकी हैं। मध्य प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लिखी जा रही उनकी अगली पुस्तक भी शीघ्र प्रकाशित होने वाली है। “एनीमिया के लिए होम्योपैथी” के बारे में डॉ. द्विवेदी ने बताया कि इस किताब में सभी प्रकार के एनीमिया का होम्योपैथिक उपचार को विस्तार से समझाया गया है। इसके साथ-साथ एनीमिया के दौरान भारतीय खान-पान और रहन-सहन अपनाकर किस तरह बीमारी को मात दी जा सकती है, इसका भी विस्तृत वर्णन पुस्तक में किया गया है।

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