- उर्वशी रौतेला 12.25 करोड़ रुपये में रोल्स-रॉयस कलिनन ब्लैक बैज खरीदने वाली पहली आउटसाइडर इंडियन एक्ट्रेस बन गई हैं।
- Urvashi Rautela becomes the first-ever outsider Indian actress to buy Rolls-Royce Cullinan Black Badge worth 12.25 crores!
- 'मेरे हसबैंड की बीवी' सिनेमाघरों में आ चुकी है, लोगों को पसंद आ रहा है ये लव सर्कल
- Mere Husband Ki Biwi Opens Up To Great Word Of Mouth Upon Release, Receives Rave Reviews From Audiences and Critics
- Jannat Zubair to Kriti Sanon: Actresses who are also entrepreneurs
हिमालया बेबीकेयर ने डाॅक्टरों और नवजात शिशुओं की माताओं के साथ इंटरैक्टिव सेशन का आयोजन किया

इंदौर. भारत के होम ग्रोन बेबी केयर ब्रांड हिमालया बेबीकेयर ने इंदौर में एक हेल्थ केयर एजुकेशन प्रोग्राम ‘माई बेबी एण्ड मी‘ का आयोजन किया। इस प्रोग्राम का आयोजन माताओं को टीकाकरण, नवजात शिशुओं की सेहत की जांच और हाल ही में बच्चे को जन्म देने वाली माताओं के लिये प्रसव के बाद देखभाल की अहमियत पर शिक्षित करने के लिये किया गया।
बच्चों की सेहत और विकास संबंधित चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुये हिमालया ने यह पहल की है। इस पहल के अंतर्गत शहर के डाॅक्टरों के साथ इस इंटरैक्टिव सत्र के माध्यम से माताओं को शिक्षित किया गया।

50 से अधिक माताएं इस कार्यक्रम का हिस्सा बनी और डॉ ब्रजबाला तिवारी, प्रसूति-स्त्रीरोग विशेषज्ञ, डॉ विनीता अग्रवाल, बाल रोग विशेषज्ञ, डॉ सामवेदिता मालवीय, डाइटीशियन, और डॉ निधि मथनकर, फिजियोथेरेपिस्ट ने उन्हें संबोधित किया । उन्होंने कार्यक्रम में इन माताओं से बातचीत भी की।
डॉ विनीता अग्रवाल ने कहा, ‘‘नियमित रूप से स्वास्थ्य की जाँच नवजात षिषुओं के लिए महत्वपूर्ण है। वैक्सीनेषन बच्चों को गंभीर बीमारियों से सुरक्षित करने का सबसे प्रभावषाली तरीका है। ‘माई बेबी एण्ड मी’ पोस्टनैटल केयर, पोस्टपार्टम फैमिली प्लानिंग एवं स्तनपान के बारे में महत्वपूर्ण संदेषों का प्रसार करने का अवसर देता है।’’
डॉ ब्रजबाला तिवारी ने कहा, ‘‘नियोनैटल की पूरी अवधि यानी की जन्म से 28 दिन तक के बाद का समय, अधिक खतरे का होता है और यह समयावधि मां और उसके नवजात शिशु दोनों के लिये बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है।
फलों, सब्जियों और दालों से भरपूर सेहतमंद आहार का सेवन करना मां के स्वास्थ्य के लिये महत्वपूर्ण है, क्योंकि उसे अपने शिशु को स्तनपान कराना होता है। स्वस्थ आहार लेने से मां को ऐक्टिव बने रहने और अपने शिशु की अच्छी तरह से देखभाल करने और रोग प्रतिरोधक प्रणाली को बेहतर तरीके से काम करने में भी मदद मिलती है।‘‘
मालिश की तकनीक बताई
एक इंटरैक्टिव सत्र के साथ, हिमालया बेबीकेयर द्वारा एक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान माताओं को गर्भावस्था के बाद के दर्द प्रबंधन और शिशु की मालिश से संबंधित तकनीकों के बारे में बताया गया और गर्भावस्था केे पूर्व और बाद एक स्वस्थ आहार को बनाए रखने का महत्व बताया, जो माँ और बच्चे दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं. फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. निधि माथनकर ने बताया कि प्रेगनेंसी में मदर एक्टिव रहती है तो बच्चा भी एक्टिव होता है. वरना वो आलसी हो सकता है. इस दौरान वॉकिंग जरूरी है. सिर्फ वेट लिफ्टिंग को छोड़ महिलाएं अन्य काम कर सकती है. वहीं बच्चों की ज्यादा रगड़कर मालिश नहीं करना चाहिए.
बच्चे को मैदा न खिलाएं
डाइटिशिशियन संवेदिता मालवीय ने बताया कि माताओं को डिलेवरी के कम से कम लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए नहीं तो कांस्टीपेशन की शिकायत होती है. इंदौर दौरान उन्होंने हाइकैलोरी, प्रोटीन और न्यूट्रीशन की बहुत आवश्यकता होती है इसलिए यह उन्हें अच्छी मात्रा में लेना चाहिए. गुड़ और चने के लड्डू इस दौरान काफी फायदेमंद होते हैं. इससे सभी आवश्यकत प्रोटीन, विटामिन मिल जाते हैं. माताओं को दालें, दूध और दूध से बने उत्पाद, ताजी सब्जियां तथा फल लेना चाहिए. वहीं बच्चों को मैदे से जुड़ी चीजें नहीं खिलाना चाहिए.
श्री चक्रवर्ती, बिजनेस हेड, हिमालया बेबीकेयर एंड हिमालया फॉर मॉम्स, द हिमालया ड्रग कंपनी ने कहा, ‘‘माता-पिता के पास आमतौर पर अपने बच्चे की सेहत, सोने के तरीकों, शिशु की मालिश इत्यादि के संबंध में कई सवाल होते हैं और वे इनका सही जवाब ढूंढने की कोशिश करते रहते हैं।
‘माई बेबी एंड मी‘ पहल माताओं के लिये एक मंच है, जहां पर वह डाॅक्टरों और दूसरी मांओं के साथ चर्चा करती हैं। इसके माध्यम से उन्हें अपनी सेहत और अपने बच्चे की स्वास्थ्य संबंधित चिंताओं का समाधान करने का मौका मिलता है।
‘माई बेबी एंड मी‘ के माध्यम से हमारा इरादा माताओं को शहर के प्रमुख डाॅक्टरों के साथ बातचीत करने का अवसर उपलब्ध कराना है। ये डाॅक्टर्स उन्हें उनकी समस्याओं का समाधान एवं आश्वासन प्रदान करते हैं।‘‘