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होम्योपैथिक चिकित्सा की छात्रा को पहली बार गोल्ड मेडल
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में 1996 से बीएचएमएस प्रारम्भ होकर 2019 में 23 साल बाद स्वर्ण पदक
होम्योपैथिक चिकित्सा में मिला गोल्ड मेडल, देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी, मध्य प्रदेश की पहली ऐसी यूनिवर्सिटी बन गई, जिसमें होम्योपैथी (बीएचएमएस) छात्रा को फाइनल बीएचएमएस की परीक्षा में यूनिवर्सिटी में सर्वाधिक अंक हासिल करने पर ” श्रीमती सूरज कली द्विवेदी एडवांस्ड होम्योपैथिक गोल्ड मेडल”” प्रदान किया गया।
उल्लेखनीय है कि यह गोल्ड मेडल प्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक एवं होम्योपैथिक प्रोफेसर डॉक्टर ए. के. द्विवेदीजी की माताजी श्रीमती सूरज कली द्विवेदी के नाम पर स्थापित हुआ था। होम्योपैथी चिकित्सा शिक्षा को इस विश्वविद्यालय में प्रारम्भ हुए 23 साल हो गए तब जाकर यह सम्भव हो सका।
अत्यंत हर्ष की बात है कि डॉ. डी. पी. सिंह के इसी विश्वविद्यालय का कुलपति रहते होम्योपैथिक चिकित्सा में यह गोल्ड मेडल स्थापित हुआ था और जब यह मेडल दिया गया तब डॉक्टर डी. पी. सिंह बतौर मुख्य अतिथि एवं यू.जी .सी. अध्यक्ष के रूप इस दीक्षांत समारोह में उपस्थित रहें। यह गोल्ड मेडल विश्व विद्यालय की कुलाधिपति एवं मध्य प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने भूमिका कामठे को दिया।
भूमिका कामठे गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की छात्रा है। विश्वविद्यालय में 5 होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज है, जिसमें फायनल बीएचएमएस की परीक्षा में सर्वाधिक अंक भूमिका कामठे को मिले। उक्त अवसर पर गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एस. पी. सिंह एवं प्रोफेसर डॉ. ए. के. द्विवेदी भी उपस्थित थे।
डॉ. एस. पी. सिंह ने कहा की यह गोल्ड मेडल इस विश्वविद्यालय में स्थापित कराने का पूरा श्रेय डॉ. ए. के. द्विवेदी को जाता है। उनकी माताजी श्रीमती सूरज कली द्विवेदी को नमन है, जिनके नाम पर यह गोल्ड मेडल दिया जाता रहेगा। भूमिका कामठे की माताजी श्रीमती प्रीति कामठे एवं पिता श्री विनय कामठे भी सभागार में उपस्थित थे।
उन्होंने बेटी को गोल्ड मेडल मिलने पर अत्यंत प्रसन्न्ता जाहिर की एवं विश्व विद्यालय में छात्र- छात्राओं के लिये गोल्ड मेडल स्थापित कराने के लिए डॉक्टर ए. के. द्विवेदी को धन्यवाद प्रेषित किया।