इंदौर बना देश का पहला वाटर प्लस शहर

स्वच्छता के क्षेत्र में इंदौर को एक और गौरवपूर्ण उपलब्धि

इंदौर. स्वच्छता में चार बार देश का सिरमौर बनने के बाद स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के तहत हुए सर्वे में इंदौर को एक और गौरवपूर्ण उपलब्धि प्राप्त हुई है. भारत सरकार द्वारा आज जारी परिणामों में इंदौर को देश का प्रथम वॉटर प्लस शहर घोषित किया गया है. वाटर प्लस सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाला इंदौर देश का पहला शहर बना है.

इंदौर संभागायुक्त तथा नगर निगम प्रशासक डॉ. पवन कुमार शर्मा ने बताया कि यह उपलब्धि स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के तहत वाटर प्लस प्रोटोकॉल की गाइडलाइन के पालन के आधार पर हुये सर्वे में प्राप्त हुई है. इंदौर में वॉटर प्लस प्रोटोकॉल का बेहतर पालन हुआ है. कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि इंदौर को देश का पहला वॉटर प्लस शहर घोषित किया गया है. नगर पालिक निगम इंदौर द्वारा शहर की कान्ह सरस्वती नदी एवं शहर में बहने वाले छोटे बड़े 25 नालों में छूटे हुए एक हजार 746 सार्वजनिक एवं 5 हजार 624 घरेलू सीवर आउट फॉल की टैपिंग कर नदी-नालों को सीवर मुक्त किया गया.

110 एमएलडी ट्रीटेड वॉटर का उपयोग कर रहे
आयुक्त नगर निगम इंदौर प्रतिभा पाल ने बताया सीवरेज ट्रीटमेंट हेतु शहर में सात एसटीपी का निर्माण कार्य किया गया. एसटीपी से 110 एमएलडी ट्रीटेड वॉटर का उपयोग किया जा रहा है. वाटर प्लस प्रोटोकॉल की गाइडलाइन अनुसार शहर में विशेष प्रकार के 147 यूरिनल के निर्माण किये गये. साथ ही तालाब, कुओं तथा समस्त वॉटर बॉडी की सफाई का कार्य भी किया गया है.

पूरे प्रदेश को गर्वः मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृह मंत्री एवं इंदौर जिले के प्रभारी मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र और नगरीय विकास व आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने इस उपलब्धि के लिये इंदौर नगर निगम के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ ही नागरिकों को बधाई दी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे स्वच्छ शहर का दर्जा प्राप्त करने के बाद अब इंदौर देश का पहला वॉटर प्लस सिटी बन गया है. यह इतिहास रचने के लिए सभी इंदौरवासियों को बधाई. आप पर, आपकी कार्यशैली और आपके अनुशासन पर पूरे प्रदेश को गर्व है.

यह थे मानक
स्वच्छ सर्वेक्षण के तहत हुए सर्वे में वाटर प्लस प्रोटोकॉल के तहत सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, कम्युनिटी और पब्लिक टायलेट (सीटीपीटी) तथा यूरीनल, सुलभ कॉम्पलेक्स, चेबरों की साफ-सफाई, नदी नालों में ड्रेनेज के पानी को मिलने से रोकने आदि के मानकों को परखा गया था.

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