युवाओं में तेजी से बढ़ रहे इनफर्टिलिटी के मामले

मदरहूड हॉस्पीटल में इनफर्टीलिटी पर सेमीनार का आयोजन

इंदौर। युवाओं में निसंतता के मामले मे तेजी से बढते जा रहे है। बिगडी़ हुई लाईफ स्टाईल , जंक फूड का सेवन और नशे की आदत के चलते इन मामलों में अचानक बढोत्री हुई है। समय पर प्रेगनेंसी प्लान न होना भी इसका एक कारण है।

उपरोक्त विचार मदरहुड हॉस्पिटल में इनफर्टिलिटी पर आयोजित सेमीनार में जानी-मानी इनफर्टिलिटी व महिला रोग विशेषज्ञ डॉ आशा बक्शी ने व्यक्त किये । उन्होने इनफर्टिलिटी के कारण ,बचाव और इलाज की आधुनिक तकनीक के बारे में बताया।

डॉ आशा बक्शी ने बताया कि कभी कभी कुछ कारणों की वजह से गर्भावस्था में परेशानियां आ जाती हैं। या जिन पर दवाइयां असर नहीं करती, उनके लिए टेस्ट ट्यूब बेबी पद्धति की नई तकनीक काम कर रही है। टेस्ट ट्यूब में प्री इंप्लांटेशन जेनेटिक स्क्रीनिंग की मदद से स्वस्थ भ्रूण का विकास होता है।

कभी-कभी शुक्राणु में स्पर्म नहीं बन रहे हैं और एफएसएच लेवल ज्यादा है ऐसे केसों में उन्होने बताया कि एरा, इक्सी, टीसा, माइक्रोटीसा इन तकनीक के माध्यम अब प्रेगनेंसी संभव हो सकती है। अब पुरुष भी अपनी कमियों को दूर कर रहे हैं। जिन पुरुषो में स्पर्म नहीं मगर टेस्टिस में शुक्राणु बन रहे हैं उनका पीसा या टीसा पद्धति द्वारा इक्सी किया जाता है। माइक्रो टीसा पद्धति से शुक्राणु ढूंढे जा सकते हैं और इक्सा पद्धति से प्रेगनेंसी कराई जा सकती है।

कार्यक्रम के दौरान डॉ अनिल बख्शी ने बताया कि इक्सी पद्धति में एक एक अंडे में सुई की मदद से स्पर्म डाल दिया जाता है। टीसा उन लोगों में किया जाता है जिनमें शुक्राणु नहीं होते। इन दोनों पद्धतियों से ज्यादा असरकारक माइक्रोटीसा पद्धति है। किसमें माइक्रोस्कोप से 25 गुना मैग्नीफाई करके स्पर्म निकाले जाते हैं। इसके कारण से स्पर्म मिलने के चांस बढ़ जाते हैं।

इन समस्याओं से बचा भी जा सकता है यदि आप खाने-पीने के साथ ही मोटापा कंट्रोल रखें, मेडिकल बीमारियों को कंट्रोल रखें,समय पर सेक्स करें और समय रहते प्रेगनेंसी प्लानिंग करें। सेमिनार में ऋतु गौर, रूपसी जयसवाल और अन्नया नीमा ने भी संबोधित किया।

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