मैं तेरी अटरीया की सोन चिरैय्या

 इंदौर. नेहरू पार्क में सजी अखंड संडे की मुशायरे की 1143 वीं महfफल में खूब रंग जमा। कार्यक्रम वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरेरामजी वाजपेई के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ।

बिगड़ते वर्तमान परिवेश पर उन्होंने सुनाया- उजियारे की चाहत थी सिर्फ  अंधेरा पाया है/ भीड़ भरी इस दुनिया में सिर्फ  साथ हमारे साया है/ जो कहते थे की बिना तुम्हारे हम तो नहीं रह पायेंगे/ मेरी आँखों के आगे ही उनका मन भरमाया है।  

मुकेश इन्दौरी ने- हमारे साथ चलते हैं खुशी $गम/ यही तो जि़ंदगी का सिलसिला है $गज़ल सुनाई। श्याम बाघोरा ने व्यंगात्मक रचना- सबसे बड़ा चौकीदार ईश्वर है/ हर इक व्यक्ति के कर्मों पर उसकी नज़र है/ उसकी चौकसी से पूरी दुनिया बेख़बर है।

भीम सिंह पंवार ने बेटियों के दर्द को गीत के माध्यम से व्यक्त कर दाद बटोरी- मैं तेरी अटरीया की सोन चिरैय्या/ न उड़ा कुछ और दिन रहने दे मैय्या / माँ तेरी ममता की बात निराली है. अश्$फाक हुसैन, अनूप सहर, अभिषेक स्वामी, रामनाथ मालवीय, रमेश धवन आदि ने रचना पाठ किया. संचालन मुकेश इन्दौरी ने किया. आभार श्याम बाघोरा ने माना.

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