- Over 50gw of solar installations in india are protected by socomec pv disconnect switches, driving sustainable growth
- Draft Karnataka Space Tech policy launched at Bengaluru Tech Summit
- एसर ने अहमदाबाद में अपने पहले मेगा स्टोर एसर प्लाज़ा की शुरूआत की
- Acer Opens Its First Mega Store, Acer Plaza, in Ahmedabad
- Few blockbusters in the last four or five years have been the worst films: Filmmaker R. Balki
विज्ञान के क्षेत्र में अध्ययन, अध्यापन और शोध की जरूरत: राज्यपाल
इंदौर. राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। प्राचीन काल में भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी दुनिया में सबसे आगे थी। मगर हमने पेटेंट नहीं कराया क्योंकि उस समय पेटेंट नहीं होता था। जीरो से लेकर नौ तक की गिनती की खोज भारत में हुयी, जिसका कोई पेटेंट नहीं है। भारतीय उप महाद्वीप में प्राचीन काल में पुष्पक विमान हुआ करते थे, जो आधुनिक युग के हेलीकॉप्टर का परिष्कृत रूप था। महाभारत के संजय की दिव्य दृष्टि भी दुनिया में अद्वितीय थी। भारत का इतिहास पाँच हजार साल पुराना है। इसकी सभ्यता, संस्कृति और विज्ञान खोज भी पाँच हजार साल से चली आ रही है। श्रीमती पटेल आज राज्य स्तरीय विद्यार्थी विज्ञान मंथन शिविर के शुभारंभ के अवसर पर मॉडर्न इंटरनेशनल स्कूल परिसर में कही।
बच्चों को गर्भ से ही अच्छे संस्कार जरूरी
राज्यपाल श्रीमती पेटल ने कहा कि महाभारत में अभिमन्यु की कथा यह बताती है कि बच्चा गर्भ से ही सीखाना शुरू कर देता है। आधुनिक युग में गर्भवती माताओं को ऐसे काम करना चाहिये, जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे को अच्छे संस्कार मिले। गर्भ में पल रहे बच्चे को पौष्टिक आहार, योगा, ध्यान, गीत-संगीत और विज्ञान की शिक्षा परोक्ष रूप से मिलती रहे। गर्भवती माता को अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को अच्छा संस्कार देने के लिये स्वाध्याय करना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि भारत के वैज्ञानिकों ने खोज की है कि पेड़-पौधों में भी जीव होते है। मनुष्य के शरीर के रक्त संचार की भाँति पौधों में भी नियमित रस संचार होता रहता है। शांति, सुकून और गीत- संगीत का उन पर भी सकारात्मक असर होता है।
विद्यार्थियों को मेडिकल शिक्षा जरूरी
उन्होंने कहा कि विद्याथियों को खेल-खेल में शिक्षा देना जरूरी है। उन पर दबाव और तनाव नहीं होना चाहिये। उन्होंने कहा कि हमारे देश मे चिकित्सकों की बहुत कमी है, जिस कमी को पूरा करने के लिये विद्याथियों को मेडिकल शिक्षा दी जाये। अच्छे डॉक्टर और वैज्ञानिक बनने के लिये विद्यार्थियों को विज्ञान की शिक्षा देना जरूरी है। विज्ञान विषय में धन अधिक खर्च होता है और मेहनत भी अधिक होती है। विज्ञान हमें अच्छे-बुरे, उचित-अनुचित और सही-गलत की शिक्षा देता है। हम अध्यात्म, संस्कृति और परम्परा को विज्ञान की कसौटी पर कस सकते हैं।
इस अवसर पर कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये डॉ. एस.पी. सिंह ने कहा कि विज्ञान भारती संस्थान के देश में एक लाख 40 हजार सदस्य हैं। इसकी स्थापना 1981 में बैंगलोर में की गई । इस संस्थान का उदे्दश्य विज्ञान को बढ़ावा देना है।
भारत में ज्ञान-विज्ञान की प्राचीन परम्परा
डॉ. अनिल कोठारी ने विद्याथियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि भारत में ज्ञान-विज्ञान और खोज की प्राचीनतम परम्परा रही है। विश्व स्तर के मेघनाथ साहा, विक्रम साराभाई, एस. चंद्रशेखर, सी.वी.रमन आदि वैज्ञानिक भारत में हुये हैं। इस सम्मेलन का उदे्दश्य विज्ञान के विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना है।
इस अवसर पर डॉ. प्रदीप शर्मा ने कहा कि भारत दुनिया में प्राचीन देशों में से एक है। प्राचीन काल से यह विज्ञान, कला, संगीत और संस्कृति के क्षेत्र में समृद्ध रहा है। कार्यक्रम में डॉ. राजीव दीक्षित, श्री अनिल कारिया, श्री अनिल रावत, श्री संतोष पटेल, श्री अनिल खरे, श्री सुनील जोशी सहित अनेक गणमान्य नागरिक और बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती अनुपमा मोदी ने किया।