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दुर्लभ और विशेष संयोग लेकर आया सावन माह: आचार्य रामचंद्र शर्मा
शनि प्रदोष, रवि पुष्य व सोमवती हरियाली अमावस्या के विशेष योग में सावन मनेगा।
भोले की भक्ति का श्रावण मास वर्षो बाद दुर्लभ संयोग में है। सोमवार से शुरू होकर सोमवार को ही समाप्त होगा। 29 दिनों के सावन में 5 सोमवार होंगे। सावन में विष्णु (श्री हरि) योग निद्रा में रहेंगे, तो शिवजी जागेंगे। शनि प्रदोष, रवि पुष्य व सोमवती हरियाली अमावस्या के विशेष योग में सावन मनेगा।
यह जानकारी आचार्य पण्डित रामचन्द्र शर्मा वैदिक, अध्यक्ष, मध्यप्रदेश ज्योतिष एवम विद्वत परिषद ने दी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भोले की भक्ति का सावन मास भक्तों के लिए कुछ विशेष योग संयोग लेकर आ रहा है।
6 जुलाई सोमवार से सावन का श्रीगणेश सर्वार्थ सिद्धि योग में उत्तराषाढ़ा नक्षत्र व मकर राशि में हो रहा है। धर्म शास्त्रों की माने तो श्रावण मास में भगवान श्री हरि योगनिद्रा में जाते है तो आशुतोष भूत भावन मृत्युंजय अर्थात शिवजी का जागरण होता है।
इस वर्ष सावन मास 29 दिनों का होगा व शिवजी के प्रिय सोमवार से प्रारंभ होकर सोमवार को ही समाप्त हो रहा है। वर्षों वर्ष बाद इस प्रकार का दुर्लभ संयोग शिव भक्तों को मिलने जा रहा है। यह पवित सावन मास 5 सोमवार लेकर आया है।
पंचांगीय स्तिथि कृष्ण पक्ष पूरे 15 दिनों का होगा तो शुक्ल पक्ष में अष्टमी तिथि का क्षय है। ऐसे में सप्तमी व अष्टमी दोनों 27 जुलाई सोमवार को मनेगी।
इसके साथ ही इस वर्ष कुछ खास योग संयोग जैसे दोनों पक्षो में शनि प्रदोष का महायोग, रवि पुष्य व सर्वार्थसिद्धि के साथ सोमवार व हरियाली अमावस्या का दुर्लभ संयोग व सोमवार श्रावणी, रक्षा बंधन व पूर्णिमा भी शिव भक्तों को शिवजी की कृपा प्राप्त कराएगा। यह योग 20 जुलाई को निर्मित हो रहा है।
ऐसे में कैसे करें शिवार्चना व शिवजी को प्रसन्न
भगवान शिव को जलधारा विशेष प्रिय है। जलधारा शिव प्रिय:। अर्क पुष्प, विजया (भांग),केशर युक्त मलयगिरि चंदन, बिल्वपत्र, सूखे मेवे का भोग। ये आप पूरे सावनमास अथवा सोमवार को चढ़ा सकते है।
श्रावण मास में रुद्राभिषेक व षडाक्षर मंत्र ऊँ नम: शिवाय, शिव पुराण के वाचन का विशेष महत्व बताया है। इससे बाबा की असीम कृपा प्राप्त होती है। सावन मास में रुद्राभिषेक से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
दुनिया में शिव से बड़ा कोई देवता नहीं है व शिवजी से बड़ा कोई गुरु भी नहीं है। महेशान्नापरो देवो व अघोर मंत्र ऊँ नम: शिवाय से बढ़कर कोई मंत्र भी नहीं है। पूरे सावन माह में अघोर मंत्र का जप करने से चारों पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस वैश्विक महामारी से बाबा ही रक्षा कर सकते है। ऐसे दुर्लभ संयोग में आशुतोष भगवान शिव ही ऐसे देवता है जो कोरोना रूपी वायरस के विष को अपने कंठ में धारण कर इस वैश्विक महामारी से देश व दुनिया को मुक्त कर सकते हैं। यह संसार देवताओं व ग्रहों के अधीन है।
अत: प्रत्येक शिव भक्त सावन में बाबा से अभ्यर्थना करें। ऊँ नम: शिवाय नाद के साथ शिवजी आप की अन्तरात्मा की आवाज को अवश्य ही सुनेंगे व देश व दुनिया को कोरोना से मुक्ति दिलाएंगे।
सावन के प्रमुख पर्व दिन
6 जुलाई, 13 जुलाई, 20 जुलाई, 27 जुलाई व 3 अगस्त सावन सोमवार, 10 जुलाई मरुस्थली नाग पंचमी, 18 जुलाई शनि प्रदोष व मास शिव रात्रि, 19 जुलाई रवि पुष्प, 20 जुलाई सोमवती अमावस्या, हरियाली अमावस्या 23 जुलाई हरियाली तीज, 25 जुलाई देशा चारीय नाग पंचमी, 27 जुलाई तुलसी जयंती, 1 अगस्त शनि प्रदोष, 2 अगस्त व्रत की पूर्णिमा व 3 अगस्त रक्षाबंधन भद्रा के बाद, श्रावणी उपाकर्म, संस्कृत दिवस।