2050 तक सौ प्रतिशत नवीकरणीय उर्जा इस्तेमाल करने की जरूरत

सौर पुरुष चेतन सोलंकी की गाँधी ग्लोबल सोलर यात्रा इंदौर पहुंची

1 मिलियन से अधिक स्‍टूडेंट सोलर ऐम्‍बेसेडर्स बनाये जायेंगे 

इंदौर. भारत के सौर पुरूष (सोलर मैन), आइआइटी बॉम्‍बे के प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी द्वारा प्रारंभ की गयी गांधी ग्‍लोबल सोलर यात्रा (जीजीएसवाय) आज इंदौर शहर पहुंची। इस दौरान प्रो. सोलंकी ने इंदौर में आयआयटी इंदौर, श्री गोविन्दराम सेकसरिया तकनीक एवं विज्ञान संस्थान, चमेली देवी समूह शैक्षणिक संस्थान और प्रेस्टीज इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग के कैंपस में विद्यार्थियों से सौर उर्जा के क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने की बातचीत की और साथ ही सोलर लैंप की असेंबली करना भी दर्शाया । प्रोफ. सोलंकी ने इंदौर केन्द्रीय कारावास में कैदियों से उर्जा स्वराज और गाँधी विचारधारा के बारे में भी बात की ।

मुंबई से अपनी महत्‍वकांक्षी गांधी ग्‍लोबल सोलर यात्रा (जीजीएसवाय) के भारतीय संस्‍करण की शुरूआत प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी ने ५ जुलाई को की। इससे पहले, प्रो. सोलंकी ने दिसंबर 2018 में महात्‍मा गांधी के साबरमती आश्रम से जीजीएसवाय की शुरूआत की थी और अब तक उन्‍होंने 30 से अधिक देशों की यात्रा की है और १०१ से ज्‍यादा देशों में स्‍टूडेंट्स सोलर ऐम्‍बेसेडर वर्कशॉप का संचालन किया जाने वाला है।  

गांधी ग्‍लोबल सोलर यात्रा के भारतीय संस्‍करण में, प्रोफेसर सोलंकी 50 भारतीय शहरों की यात्रा करेंगे, जिसकी शुरूआत 5 जुलाई 2019 से हुई है। उन्‍होंने आज मुंबई में इस यात्रा के अपने भारतीय संस्‍करण की शुरूआत की और इस अवसर पर सोमैया स्‍कूल के स्‍टुडेंट्स को संबोधित किया। इसके बाद ठाकुर कॉलेज ऑफ साइंस एंड कॉमर्स के स्‍टूडेंट्स को संबोधित किया गया।

उन्‍होंने इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी बॉम्‍बे के स्‍टूडेंट्स को एक लेक्‍चर भी दिया। अभी तक 0.8 मिलियन स्‍टूडेंट्स (आठ लाख विद्यार्थी) ने इस भव्‍य वैश्विक आयोजन में भाग लेने के लिये पंजीकरण कराया है,जिसका आयोजन 2 अक्‍टूबर 2019 को किया जाने वाला है। इस वर्ष गाँधी जयंती, २ अक्टूबर २०१९ को होने वाले इस कार्यक्रम में भाग लेने के इच्छुक विद्यार्थी https://www.ggsy.in/collaborate.php पर स्वयं को रजिस्टर कर सकते हैं ।

आइआइटी बॉम्‍बे के एनर्जी साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर चेतन एस. सोलंकी ने कहा कि ”ग्राम साम्राज्‍य” के महात्‍मा गांधी के सम्‍यक दर्शन के अनुसार, ”एनर्जी स्‍वराज” को लेकर आने का समय है। एनर्जी स्‍वराज वह है, जब समुदाय खुद ऊर्जा का उत्‍पादन आरंभ करते हैं और उससे अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करते हैं। इस यात्रा के समापन के रूप में, एक स्‍टूडेंट सोलर ऐम्‍बेसेडर वर्कशॉप का आयोजन किया जाता है, जहां 1 मिलियन से अधिक स्‍टूडेंट्स को 2 अक्‍टूबर 2019 को सोलर लैम्‍प एसेम्‍बली में व्‍यावहारिक प्रशिक्षण दिया जायेगा। यह कार्यक्रम 2018 में आयोजित इसी तरह की एक वर्कशॉप पर आधारित है, जहां पर समूचे भारत के 1.30 लाख से अधिक स्‍टूडेंट्स ने इसमें भाग लिया।

मौजूदा परिदृश्‍य में दुनिया की ऊर्जा जरूरतें विरोधात्‍मक हैं, जहां पर एक ओर सर्वव्‍यापी ऊर्जा तक पहुंच उपलब्‍ध कराना जरूरी है, वहीं दूसरी ओर, ऊर्जा के अत्‍यधिक इस्‍तेमाल से जलवायु में काफी प्रतिकूल बदलाव आ रहा है। दुनिया का तापमान पहले ही लगभग 1°C तक बढ़ गया है। 2018 आइपीसीसी रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे में दुनिया को वर्ष 2050 तक, सिर्फ 31 सालों में 100 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा का इस्‍तेमाल करने की जरूरत है। इसलिये, मौजूदा ऊर्जा उत्‍पादन परिदृश्‍य और इसके डिलीवरी मैकेनिज्‍म पर फिर से विचार करने की जरूरत है।

यह नेक कार्य ‘अहिंसा’, ‘स्‍वराज’और ‘आत्‍म-निर्भरता’ के गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित है। इसकी शुरूआत 25 दिसंबर 2018 को साबरमती आश्रम से हुई थी, जोकि आजादी के लिये गांधीवादी संघर्ष का समानार्थी रहा है। प्रोफेसर सोलंकी ‘एनर्जी स्‍वराज’ के संदेश को प्रचारित करने के लिये विभिन्‍न देशों की यात्रा कर रहे हैं।

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