श्रेई फाउंडेशन ने सबसे बड़े आध्यात्मिक सम्मेलन का डिजिटल आयोजन किया

कोलकाता. श्रेई फाउंडेशन द्वारा आयोजित वर्ल्डग कॉन्लुान एंस ऑफ ह्यूमैनिटी, पावर एंड स्प्रिचुएलिटी (कॉन्लुडे एंस) के 13 वें संस्करण ने वैश्विक लीडर्स के विविध डिजिटल जमावड़े को प्रेरित किया जिन्होंने महामारी के इस दौर में आध्यात्मिकता के महत्व पर चर्चा की। पिछले सभी 12 कॉन्फ्लुएंसेज में भी अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों, बुद्धिजीवियों और उद्योगपतियों की उपस्थिति देखी गई थी।

कॉन्फ्लुएंस के 13वें संस्करण ने शांति, मूल्यों, सहिष्णुता, सहानुभूति, धार्मिकता के साथ कड़ी मेहनत, मानवता के कल्याण के लिए एक ऐसे समय में काम किया जब मानव जाति एक अभूतपूर्व चुनौती का सामना कर रही थी। कॉन्फ्लुएंस डिजिटल रूप से आयोजित दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिकता सम्मेलनों में से एक है।

ब्रह्माकुमारी के मोटिवेशनल स्पीकर सिस्टर शिवानी, आध्यात्मिक लीडर और लेखक श्री कमलेश पटेल, अंतर्राष्ट्रीय प्रेरक स्पीकर श्री शिव खेड़ा, इक्वाडोर के पूर्व राष्ट्रपति एचई रोसालिया आर्टिगा, प्रख्यात गायिका श्रीमती अनुराधा पौडवाल, अभिनेता और प्रेरक वक्ता श्री आशीष विद्यार्थी, ऑक्सफोर्ड के पूर्व बिशप बिशप लॉर्ड रिचर्ड हैरीज, ग्रीस के पेलोपोन्नी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर डॉ थानोस क्रिमाडिस, उन विशिष्ट अतिथियों में शामिल थे जिन्होंने डिजिटल रूप से इस सम्मेेलन में भाग लिया।

इस अवसर पर श्रेई फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. हरि प्रसाद कनोरिया ने कहा: “एक दशक से अधिक समय से कॉन्फ्लुएंस प्रबुद्धता के भीतर सेवा के मानवीय मूल्यों को बढ़ावा दे रहा है। कोविड -19 के प्रकोप के बाद मानवता को अभूतपूर्व चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। मेरा मानना है कि महामारी के इस दौर में आध्यात्मिकता हमें मजबूत बने रहने के लिए इम्युूनिटी प्रदान करेगी। “

उन्होंने कहा, “यदि कोई आध्यात्मिकता के मार्ग का अनुसरण करता है तो न केवल उसकी मानसिक और भावनात्मक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि यह शक्ति और साहस को भी प्रज्ज्वलित करेगा और एक मजबूत इम्युेन सिस्टाम भी बनाएगा। यह बीमारी के जोखिम को कम करेगा, और आपमें अधिक से अधिक आत्म-विश्वास लेकर आएगा। आत्म-विश्वास वर्तमान माहौल में सकारात्मक बने रहने में मदद करता है।

पहली बार हमने कॉन्फ्लुएंस को डिजिटल रूप से आयोजित किया है और इसकी प्रतिक्रिया अभूतपूर्व रही है। इस वर्ष के कॉन्फ्लुएंस के माध्यम से हम अपने भाइयों, बहनों और युवाओं को प्रेम, मानवता की सेवा का एक संदेश देना चाहते हैं कि वे मानवता के लिए भक्ति, निडरता, सकारात्मकता, देखभाल और आत्मजागरण के साथ काम करें”।

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