मानसिक विक्षिप्तता से बचने के लिए समय पर हो माँ और बच्चों में थायरॉइड की जाँच और इलाज

– विश्व थायरॉइड दिवस पर निशुल्क जागरूकता शिविर का आयोजन

इंदौर। भारत में हर 2400 नवजात शिशुओं में से एक को जन्म से थायरॉइड हार्मोन की कमी पाई जाती है। वही 85 % नवजात शिशुओं में थायरॉइड के लक्षण न दिखने पर भी थायरॉइड हार्मोन की कमी होती है। दुनिया भर में बच्चों में मानसिक विक्षिप्तता का सबसे बड़ा कारण है थायरॉइड। बाकि देशों में इसकी रोकथाम के लिए विशेष थायरॉइड स्क्रीनिंग प्रोग्राम चलाये जाते हैं, जिसमें जन्म के तुरंत बाद बच्चों में थायरॉइड हॉर्मोन की जाँच की जाती है।

यदि सही समय पर इसकी जाँच और इलाज हो जाए तो बच्चों में सामान्य बुद्धिमत्ता के स्तर को बनाए रखा जा सकता है। हमारे देश में अधिकांश जगह इस तरह की किसी जाँच का प्रावधान नहीं है, इस बात को ध्यान में रखते हुए विश्व थायरॉइड दिवस के उपलक्ष्य में क्लब रेडियन्स और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन इंदौर चैप्टर द्वारा आनंद बाजार स्थित प्रो सेनेटस जिम में एक निशुल्क जागरूकता शिविर लगाया गया।

इसमें न्यूनतम दरों पर थायरॉइड की जाँच करने के साथ ही डाइटीशियन और फिटनेस एक्सपर्ट्स ने थायरॉइड डाइट और एक्सरसाइज़ के जरिए थायरॉइड को कम करने के तरीके भी बताए। लोगों को यहाँ सभी डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स से रूबरू बात करने और थायरॉइड से जुडी अपनी परेशानियों का हल खोजने का मौका मिला। इस मौके पर टेबल कैलेंडर और जागरूकता लाने वाली अन्य पठनीय सामग्री का विमोचन हुआ। इस मौके पर आईएमए इंदौर चैप्टर के प्रेसिडेंट डॉ शेखर राव और सेक्रटरी डॉ बृजबाला तिवारी के साथ डॉ नीलम बरिहोख और डॉ कुमारी रायसिंघानी भी उपस्थित थी।

इस मौके पर एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ संदीप जुल्का ने बताया कि थायरॉइड की मुख्य समस्या गर्भवती महिला और नवजात बच्चों में देखी जाती है, जिसके कारण बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित होता है। यही कारण है कि हम आज से एक अभियान शुरू करने जा रहे हैं, जिसमें हम पुरे साल प्रदेश के हर महिला और बच्चों के डॉक्टर्स के पास पहुंचकर उन्हें थाइरॉइड के लक्षण बता कर जागरूक करेंगे।

हम उन्हें बताएँगे कि नवजात बच्चों के जन्म के तुरंत बाद गर्भनाल काटते वक्त और जन्म के तीसरे-पांचवें दिन थाइरॉइड की जाँच करना अनिवार्य है। हमने कुछ टेबल कैलेंडर बनवाए है, जो कि हर गायनेकोलॉजिस्ट और पीडियाट्रिशियन के टेबल पर होंगे, जिससे उनके पास आने वाले मरीज भी आगे होकर इस बारे में पूछ पाएंगे और डॉक्टर को भी सुविधा होगी।

हर महीने बदल-बदल कर उपयोग करें तेल

डाइटीशियन शशिप्रिया सिंह ने बताया कि लोगों में बहुत सारी भ्रांतियां है जैसे थायरॉइड से ग्रसित लोग कभी पतले नहीं हो सकते, इनका मोटापा कभी कण्ट्रोल नहीं होता लेकिन ऐसा नहीं है।थायरॉइड में एक संतुलित डाइट लेना बहुत जरुरी है, जिसका मतलब है कम खाने की जगह प्रोटीन और फाइबर को रोजाना के भोजन में शामिल किया जाए इवेंट में लोगों ने डाइटीशियन सेकई सवाल भी पूछे

इसमें सबसे कॉमन सवाल था की हमें तेल कौन सा इस्तेमाल करना  चाहिए? तेल हमेशा बदल –  बदल कर इस्तेमाल करना चाहिए और प्रति व्यक्ति 600ml तेल ही हर महीने खपत होनी चाहिए। तले हुए से दुरी बनाते हुए अपने रोज के नाश्ते में अंकुरित अनाज और भुने हुए चीजों को शामिल करें। फलों में केले और आम कम खाए जबकि मौसम्बी और संतरेजैसे खट्टे-रसले फलों का सेवन अधिक करें। जिनकी भूख कम हो गई है, वे फ़ूड सप्लीमेंट्स का उपयोग कर सकते हैं। 

जहाँ बैठे है वही कर सकते हैं  एक्सरसाइज़

एक्सपर्ट अंकित गौड़ ने बताया कि आप जहाँ बैठे है वही पैरों को हिलाकर या कुर्सी से बार-बार उठाकर भी  एक्सरसाइज़ कर सकते हैं। ऑफिस में पानी की बोतल खुद से दूर रखें, जब भी आपपानी लेने के लिए उठेंगे तो यह भी आपकी फिजिकल एक्टिविटी ही होगी। इस मौके पर लोगों ने अपना पीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) टेस्ट करवाया और अपनी स्वस्थ्य समस्याएं बताते हुएअपनी शरीर की देखभाल कैसे की जाए उसकी जानकारी ली। 

क्या है थायरॉइड

हमारे शरीर में गर्दन के निचले हिस्से में तितली के आकार की थायरॉइड ग्रंथि होती है। इसका काम शरीर के लिए थायरॉइड हार्मोन बनाना, संग्रह करना और उसे रक्त में पहुंचना होता है। यह हार्मोन हमारे शरीर की लगभग सभी क्रियाओं को नियंत्रित करता है। शरीर में थायरॉइड की मात्रा कम होने की स्थिति को ‘हाइपोथायरॉइडिस्म’ और अधिक होने को ‘हाइपरथाइरॉइडिस्म’ कहा जाता है।

जन्म से थायरॉइड हार्मोन की कमी मानसिक विक्षिप्तता का सबसे बड़ा कारण है पर इसे नियमित इलाज और दवाइयों के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है।

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