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बारिश थमने के बाद सामने आई गंदगी की समस्या
इंदौर. शुक्रवार से जारी बारिश का दौर रविवार सुबह थमा. इस दौरान 12.5 इंच के लगभग पानी गिर गया और कुल 32.5 इंच बारिश हो गई. जो शहर की औसत बारिश 34 इंच से अब सिर्फ डेढ़ इंच पीछे है. लेकिन बारिश थमने के बाद जैसे ही नालों का जलस्तर कम हुआ बस्तियों में नई समस्याओं ने मुंह खड़ा कर लिया. कल जहां कमर तक पानी था अब वहां गंदगी पसरी थी. साथ ही बदबू भी परेशान कर रही थी. कइयों की तो ग्रहस्थी ही उजड़ गई थी. हालांकि नगर निगम ने राहत कार्य शुरू कर दिए थे.
शनिवार शाम से जारी बारिश रविवार को थम गई. हालांकि इस दौरान बारिश ने नया रिकॉर्ड बना दिया. 100 साल के उपलब्ध रिकॉर्ड में पहली बार एक दिन में 12.5 इंच पानी बरसा. अब तक कुल 32.5 इंच बारिश हो चुकी है. शहर की कुल औसत बारिश (34 से अब सिर्फ डेढ़ इंच पीछे है. 24 घंटे की बारिश के बाद ही यशवंत सागर और बिलावली 19 और 34 फीट भर गए हैं. इधर, बारिश थमने के साथ ही रविवार को सूरज भगवान को दर्शन हुए.
बादलों के बीच सूरज की लुका-छिपी करता रहा और बीच-बीच में रिमझिम फुहारें बरसती रही. लेकिन बारिश थमने के बाद नई समस्याएं खड़ी हो गई. जैसे ही नदी-नालों का जलस्तर कम हुआ, इसके किनारे बसी बस्तियों में गंदगी का आलम दिखा. हर तरफ गंदगी पसरी हुई थी और बदबू भी मार रही थी. यहां रहने वाले कई लोगों का गृहस्थी उजड़ चुकी थी. राशन का सामान भी नष्ट हो गया था. इनके सामने गृहस्थी जमाने के साथ ही खाने की दिक्कत हो गई थी.
बारिश के बाद बीमारी का डर
सिकंदराबाद, गौरी नगर, जूना रिसाला सहित कई ऐसी बस्तियां है जहां बारिश के कारण तबाही सा आलम हो गया. यहां के जनजीवन को पटरी पर आने में अभी और समय लग सकता है. सिकंदराबाद इलाके में बारिश में बस्ती से निकला नाला उफना गया था. नाले से पानी के साथ बहकर आया कीचड़ घरों की दहलीज से आकर लग गया. सड़क पर भी कीचड़ की मोटी परत जमा है और इससे बदबू उठ रही है. अब लोगों को बीमारी का डर सता रहा है.
सोचा नहीं था घरों में पानी घुस जाएगा
सिकंदराबाद बस्ती के लोगों के अनुसार जब तेज बारिश शुरू हुई तो उम्मीद नहीं थी कि हमें घर छोड़कर कहीं और जाना पड़ेगा. कॉलोनी की गलियां रात में ही डूबने लगीं थीं. बारिश लगातार हो रही थी और नाले का पानी उफनाते हुए घरों के अंदर आने लगा. सुबह पांच बजे तक कई घरों में घुटने तक पानी भर चुका था. सुबह 11 बजे तक कमर तक पानी पहुंच गया. बहाव इतना तेज था कि ऐसा लगा मानों घरों से बाहर गए तो बह जाएंगे. दोपहर में होमगार्ड के जवान रेस्क्यू के लिए आए. उन्होंने नाव और ट्यूब की व्यवस्था कर रेस्क्यू ऑपरेशन को आगे बढ़ाया. आखिरी के घर में छोटे-बच्चे और महिलाएं फंसी हुई थीं, जिन्हें टीम ने खिड़की के जरिए बाहर निकाला।