- Over 50gw of solar installations in india are protected by socomec pv disconnect switches, driving sustainable growth
- Draft Karnataka Space Tech policy launched at Bengaluru Tech Summit
- एसर ने अहमदाबाद में अपने पहले मेगा स्टोर एसर प्लाज़ा की शुरूआत की
- Acer Opens Its First Mega Store, Acer Plaza, in Ahmedabad
- Few blockbusters in the last four or five years have been the worst films: Filmmaker R. Balki
दुनिया भर में बच्चों में मानसिक विक्षिप्तता का सबसे बड़ा कारण है थायरॉइड
इंदौर। क्या आप जानते हैं दुनिया भर में बच्चों में मानसिक विक्षिप्तता का सबसे बड़ा कारण है थायरॉइड। भारत में हर 2400 नवजात शिशुओं में से एक को जन्म से थायरॉइड हार्मोन की कमी पाई जाती है। वही 85 % नवजात शिशुओं में थायरॉइड के लक्षण न दिखने पर भी थायरॉइड हार्मोन की कमी होती है। यदि सही समय पर इसकी जाँच और इलाज हो जाए तो बच्चों में सामान्य बुद्धिमत्ता के स्तर को बनाए रखा जा सकता है।
विदेशों में नवजात शिशु की थायरॉइड की जाँच कराई जाती है, जिसे थायरॉइड स्क्रीनिंग कहा जाता है। हमारे देश में अधिकांश जगहों पर इस तरह की जाँच नहीं होती। इसी बात को ध्यान में रखते हुए, लोगों में थायरॉइड के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से, विश्व थायरॉइड दिवस के उपलक्ष्य में 26 मई को सुबह8 से 10 बजे तक आनंद बाजार स्थित प्रो सेनेटस जिम में इंडियन मेडिकल असोसिएशन इंदौर चैप्टर और टीम रेडिएंस द्वारा एक निशुल्क जागरूकता शिविर लगाया जाएगा।
यहाँ 200 से ज्यादा लोगों की न्यूनतम दरों पर थायरॉइड की जाँच के साथ ही हार्मोन रोग विशेषज्ञ डॉ संदीप जुल्का द्वारा थायरॉइड से जुडी भ्रांतियों का निवारण किया जाएगा। यहाँ डाइटीशियन थायरॉइड में लिए जाने वाले आहार और दिनचर्या को लेकर भी सुझाव देंगे। फिजियोथेरेपिस्ट और एक्ससरसाइज एक्सपर्ट्स की टीम वजन कम करने में उपयोगी फिजिकल एक्टिविटीज की जानकारी देंगी और जो महिला या पुरुष काम की व्यस्तता के कारण व्यायाम नहीं कर पाते उनके लिए एक्सपर्ट्स की टीम व्यस्तता के बीच फिटनेस को मेंटेन रखने के टिप्स भी देंगी।
क्या है थायरॉइड
हमारे शरीर में गर्दन के निचले हिस्से में तितली के आकार की थायरॉइड ग्रंथि होती है। इसका काम शरीर के लिए थायरॉइड हार्मोन बनाना, संग्रह करना और उसे रक्त में पहुंचना होता है। यह हार्मोन हमारे शरीर की लगभग सभी क्रियाओं को नियंत्रित करता है। शरीर में थायरॉइड हार्मोन की मात्रा कम होने की स्थिति को ‘हाइपोथायरॉइडिस्म’ और थायरॉइड हार्मोन अधिक होने को ‘हाइपरथाइरॉइडिस्म’ कहा जाता है। जन्म से थायरॉइड हार्मोन की कमी मानसिक विक्षिप्तता का सबसे बड़ा कारण है पर इसे नियमित इलाज और दवाइयों के जरिए ठीक किया जा सकता है।
प्रेगनेंसी प्लानिंग के दौरान जाँच जरुरी
हार्मोन रोग विशेषज्ञ एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ संदीप जुल्का बताते हैं कि बच्चों को थायरॉइड से बचाने के लिए प्रेगनेंसी की प्लानिंग के पहले ही थायरॉइड टेस्ट करा लेना चाहिए। ऐसे में किसी तरह की समस्या होने पर प्रेगनेंसी के पहले ही दवाइयों की मदद से थायरॉइड कंट्रोल किया जा सकता है। कई बार प्रेगनेंसी के दौरान भी माँ के शरीर में थायरॉइड हॉर्मोन असंतुलित हो जाता है इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान भी थायरॉइड की जाँच कराई जानी चाहिए।
गर्भावस्था के तीसरे महीने से शिशु का थायरॉइड विकसित होना शुरू होता है। ऐसे में माँ के हार्मोनल असंतुलन का असर गर्भस्थ शिशु पर भी हो सकता है। थायरॉइड की तीसरी जाँच होनी चाहिए शिशु के जन्म के तुरंत बाद गर्भनाल काटने से लेकर चार दिनों के बाद। इसमें नवजात के शरीर में थायरॉइड हार्मोन के असंतुलन का पता तुरंत लग जाता है, जिससे समय पर इलाज शुरू किया जा सकता है। समय पर इलाज शुरू करने और पूरा इलाज लेने पर थायरॉइड से सम्बंधित सभी लक्षण दूर हो जाते हैं।
अलग-अलग उम्र में यह होते हैं थायरॉइड के लक्षण
नवजात शिशु –
– बच्चे के मानसिक विकास में परेशानी आना।
बचपन –
– लम्बाई में वृद्धि न होना (बौनापन)
– पढ़ाई ठीक से न कर पाना
किशोरावस्था –
– बाल झड़ना
– मासिक धर्म में अनियमितता
वयस्क –
– आलस्य महसूस होना
– डिप्रेशन
– बच्चे होने में परेशानी
वृद्धावस्था –
– आलस्य महसूस होना
– डिप्रेशन
– रक्त में कोलेस्ट्रॉल का ज्यादा होना