जीवन का सच क्या है और इसे सन्तुलित कैसे बनाएं

इंदौर. इलेक्ट्रिकल इंजिनयरिंग का गेयर बदल कर सच की खोज में मैं निकल गया जो मुझे परमहंस योगानंदजी की एक  किताब में मिला। मैंने इस किताब के बाद जीवन के कई गम्भीर बातों को समझ लिया। ये जीवन का सच क्या है और इसे सन्तुलित कैसे बनाए।

इन विचारो के साथ योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया के तत्वावधान में रविंद्रनाट्यगृह में परमहंस योगानंदजी की आध्यात्मिक शिक्षाओं पर आधारित व्याख्यान में गुरुवार को श्री परमहंत योगानंद के संन्यासी शिष्य स्वामी शुद्धानंदगिरीजी ने उपस्थित लोगों को ध्यान भी करवाया।

वे क्रिया योग ध्यान द्वारा जीवन में संतुलन एवं सामंजस्य कैसे लाये” विषय पर हुए व्याख्यान पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने उपस्थित लोगों को साइंस ऑफ रिल्जियन और होली साइंस किताब के बारे में भी बताया। उन्होंने संसार में जीवन की स्थिरता क्या है इसका उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तर कमल के पत्ते पर पानी की स्थिरता है उसी प्रकार संसार में जीवन की स्थिरता है।

इसलिए जीवन में डरने और निराश होने के बजाय स्वयं को पहचाने। क्योंकि आप जीवन को जितना पहचानेंगे उतना ही आप जीवन में परिपूर्ण होते जाएंगे। इसके पूर्व स्वामी शुद्धानंदजी ने कार्यक्रम की शुरुआत ओम… ओम…ओम…के ऊर्जावान उच्चारण से की। कार्यक्रम की शुरुआत में योगदा सत्संग ध्यान केंद्र इंदौर के अध्यक्ष भुवनेश प्रभाकर शास्त्री ने स्वामी शुद्धानंदजी का स्वागत किया। स्वामीजी के साथ रांची से शिलानंदजी भी आए है।

स्वामी शुद्धानंदजी ने कहा गीता में कृष्ण ने भी कहा है न तो कम खाए न ज्यादा, न कम सोए न ज्यादा, न कम काम करे न ज्यादा और इस भाव को अपने जीवन मे लाने के लिए योग साधना सबके लिए कारगर है।  सफलता क्या चीज़ है? 

इस प्रशन के जवाब में उन्होंने बताया संतुलित जीवन जीना सफलता है शारीरक, मानसिक और आध्यात्मिक रोग से मुक्त होना और परमानंद को प्राप्त होना ही सफलता है। मुख्य अतिथि शिवसिंह मेहता, डॉ. संदीप श्रीवास्तव, श्री श्रवण गर्ग, डॉ. भरत रावत थे। अतिथियों का स्वागत केंद्र की वरिष्ठ डिवोटी परविजजीनवाला ने किया और संचालन श्री अभिषेक पारीक ने किया।

विचारों में लाए बदलाव

मेंटल इंजीनियरिंग क्या है जब आप अपने नकारात्मक विचार को सकारात्मक रूप से बदल लें आप अपने गुस्से,डर, घबराहट निराश भाव से लड़ने लगें, करियर में असफलता को सफल बनाने लगे इसे ही मेंटल इंजिनयरिंग कहते है। आप अपने विचारों को बदलने लगें तो आपका जीवन बदल जाएगा। 

गहरी सांसों में छिपा तनाव मुक्ति का राज

तनाव मुक्त होने के लिए लंबी सांस खिंच के शरीरी को तनाव में लाए और सांस को मुह से छोड़ दे 3 बार के बाद अपनी सामान्य सांस पर अचेत रहते हुए ध्यान केंद्रित रखे,गती धीमी होने के बाद सामान्य अवस्था मे आए।

ध्यान के समय इन बातों का रखे ध्यान

– मेरुदंड को सीधा कर के बैठना

– शरीर को हल्का करना है

– दिमाग को स्थिर करे हर तरह के विचार को रोक ले

– दोनों आंखों को ऊपर चढ़ा के दोनों भोंवो के बीच रखें 

– सांस और मन को रखे काबू

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