जहां सत्य व भक्ति का समन्वय, वहां भगवान का वास

इन्दौर. मनोरमागंज स्थित गीता भवन में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन मंगलवर को वृंदावन के भागवताचार्य महामण्डलेश्वर आचार्य स्वामी प्रणवानंद सरस्वतीजी महाराज ने अपने श्रीमुख से गोवर्धन पूजा की दिव्य कथा विस्तार पूर्वक सुनाई. जिसे सुनकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। कथा व्यास ने बाल कृष्ण की अनेकों बाल लीलाओं का वर्णन करने के पश्चात गोवर्धन पूजा एवं इन्द्र के मान मर्दन की दिव्य कथा विस्तार से सुनाई. इस अवसर पर भगवान गिरिराज जी महाराज के समक्ष सुंदर छप्पन भोग के दर्शन भी कराए गए।
गीता भवन भक्त मंडल एवं अखण्ड प्रणव योग वेदांत पारमार्थिक न्यास से जुड़े प्रदीप अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि गीता भवन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में प्रतिदिन भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है. यहां प्रतिदिन कथा में चरित्र-चित्रण के माध्यम से भी कलाकार अपने मनोहारी प्रस्तुतियां देकर सभी को आनंदित कर रहे हैं. वृंदावन के भागवताचार्य महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी प्रणवानंद सरस्वतीजी महाराज ने सभी मातृशक्तियों को संबोधित करते हुए कहा कि एवं भक्ति का समन्वय होता है, वहां भगवान का आगमन अवश्य होता है।
गाय की सेवा एवं महत्व को समझाते हुए बताया कि प्रत्येक हिन्दू परिवार में गाय की सेवा अवश्य होनी चाहिए क्योंकि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है. गोवर्धन भगवान की पूजा सभी भक्तों को आचार्य द्वारा विधि विधान से कराई गई. कथा व्यास ने अपने सुरीले कंठ से संगीत की मधुर स्वर लहरियों पर मैं तो गोवर्धन कूं जाऊं मेरे वीर नांप मानै मेरो मनुवा, श्री गोवर्धन महाराज-महाराज तिहारे माथे मुकुट विराज रयौ आदि अनेकों मनमोहक भजन सुनाकर भक्तों को झूमने एवं नृत्य करने को विवश कर दिया।
मंगलवार को श्रीमद् भागवत कथा में व्यासपीठ का पूजन रश्मि मनोज रामनानी परिवार सहित सभी भक्तों ने किया। श्रीमद् भागवत कथा में 25 जुलाई को रूकमणी विवाह का प्रसंग आयोजित किया जाएगा।