- “I WAS ALWAYS FORCED THROUGH THIS PRISM OF…”: TOM HANKS REFLECTS ON FEELING A DEEP CONNECTION WITH THE STORY OF HIS UPCOMING FILM HERE
- शर्वरी के स्टाइलिश दिवाली लुक्स ने बटोरी सुर्खियां
- Weekend ka Vaar: Salman Khan sides with Vivian Dsena, says Shrutika Arjun’s playing victim card
- A day in Somy Ali’s life, urges for support to save more lives
- Bigg Boss: Ravi Kishan Says Vivian Dsena and Friends Have the Only Genuine Bond in the House
पद्मावती की गाथा का प्रभावी मंचन
इंदौर. राजस्थान सहित तीन राज्यों के लगभग 600 लायन्स क्लब्स के तीन हजार से अधिक प्रतिनिधियों ने समापन अवसर पर शहर की नाट्य संस्था ‘रंगमंच आर्ट ऑफ ड्रामाÓ के कलाकारों द्वारा अभिनीत पद्मावती की जौहर गाथा के प्रभावी मंचन ने दर्शकों के मन में अपनी अमिट छाप छोड़ी. इस ज्वलंत और विवादित विषय को नाट्य रूपांतरण के माध्यम से कलाकारों ने राजपूतों की बहादुरी के साथ ही सौंदर्य की धनी महिला के सुदृढ़ चरित्र का भी नायाब उदाहरण प्रस्तुत किया.
संदीप दुबे द्वारा निर्देशित इस महानाट्य में पद्मावती की मुख्य भूमिका निभाई प्रतीक्षा नैय्यर ने. राणा रतनसिंह की भूमिका क्षितिजसिंह पंवार, खिलजी की भूमिका ओम यादव और राघव चेतन की भूमिका में संजय पांडे ने अपने सशक्त अभिनय से लायन्स जैसे प्रबुद्धजनों के संगठन से जुड़े दर्शकों को पूरे समय बांधे रखा. ध्वनि एवं प्रकाश, मंच की साज-सज्जा, कलाकारों की परंपरागत वेशभूषा से लेकर उस जमाने के प्रचलित शब्दों में संवाद की अदायगी ने दर्शकों को रोमांचित बनाए रखा. राजस्थान के चित्तौडगढ़़ के किलों का इतिहास काफी रोचक है. वहां के किले केवल राजपूतों की शौर्य गाथा के लिए ही नहीं, बेहद सुंदर व्यक्तित्व की धनी रानी पद्मिनी या पद्मावती के जीवन में वीरता, त्याग, सम्मान और दुश्मनों के छल-कपट से जूझने के लिए भी चर्चित रहे हैं. मेवाड़ के राजा रावल रतनसिंह की पत्नी पद्मावती के सौंदर्य के बारे में उस समय के एक तांत्रिक राघव चेतन ने दिल्ली के शासक अल्लाउद्दीन खिलजी को बताया था. खिलजी रानी के सौंदर्य पर इतना मोहित हो गया कि उसने चित्तौडगढ़़ पर आक्रमण कर दिया. पद्मावती को पाने की चाहत में खिलजी और उसकी सेना छह माह तक चित्तौड़ के किले के चारों ओर घेरा डाले जमी रही. इस बीच खिलजी ने धोखे से रतनसिंह को बंदी बनाया और बदले में पद्मावती की मांग कर डाली, लेकिन रतनसिंह की मृत्यु के पश्चात पद्मावती ने उसकी शर्त मानने के बजाय जौहर करना ज्यादा बेहतर समझा. यही नहीं पद्मावती के साथ 16 हजार अन्य महिलाओं ने भी जौहर किया. इस ज्वलंत और बहुचर्चित प्रसंग को एक नाटक के रूप में मंचित करना वाकई चुनौतीभरा काम था लेकिन इंदौर के रंगमंच आर्ट ऑफ ड्रामा के इन कलाकारों ने सीमित साधनों के बावजूद अपने अभिनय से प्रबुद्ध दर्शकों को काफी प्रभावित किया. देवी अहिल्या विवि सभागृह में हुए इस मंचन के दौरान कई बार तालियां भी बजी और भारतीय नारी के सम्मान की प्रतीक पद्मावती के जयघोष से भी सभागृह गूंजता रहा. प्रारंभ में आयोजक संस्था की ओर से लायन्स क्लब के निवृत्तमान मल्टीपल कौंसिल चेयरमेन कुलभूषण मित्तल, अरविंद चतुर, के.के. अग्रवाल, रमेश काबरा रश्मि गुप्ता, डॉ. पीयूष गांधी आदि ने सभी कलाकारों का स्वागत किया. लायन्स इंटरनेशनल के पूर्व प्रेसीडेंट अशोक मेहता एवं पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर ला. कमलेश जैन ने भी इन कलाकारों को सम्मानित किया.