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बहुत सुरक्षित हैं कोरोना से बचाव की होम्योपैथिक दवाइयाँ
कोरोना से बचाव के लिए, आर्सेनिक एल्बम दवा को आयुष मंत्रालय, भारत सरकार से संबद्ध केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच) दिल्ली जैसी संस्था प्रस्तावित कर चुकी है। मैंने आरआर कैट के वैज्ञानिकों से निवेदन किया कि वो इस दवा पर शोध कर स्थिति स्पष्ट करें ताकि मरीज इसे बेहिचक इस्तेमाल कर अपनी इम्यूनिटी बढ़ा सकें। इसमें कुछ दिक्कत हो तो भी बताएं ताकि हम इसे और सुरक्षित बनाने के उपायों पर विचार कर सकें। वहां के वैज्ञानिकों ने रिसर्च के पश्चात स्पष्ट किया कि आर्सेनिक एल्बम मेडिसिन इज सेफर देन ड्रिंकिंग वाटर. यह खुलासा किया है प्रख्यात होम्योपैथिक डॉक्टर ए.के. द्विवेदी ने।
उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों के मुताबिक आर्सेनिक एल्बम दवा में महज 2 पीपीबी (पार्ट्स पर बिलियन) आर्सेनिक है। जबकि पीने के पानी में इसकी मात्रा लगभग 6 पीपीबी होती है और डब्ल्यूएचओ की गाइड लाइन के अनुसार 10 पीपीबी आर्सेनिक की मात्रा सुरक्षित मानी जाती है। आरआर कैट के इन वैज्ञानिकों की रिसर्च विश्व स्तर की जानी-मानी मैगजीन इंटरनेशनल जनरल ऑफ होम्यो साइंस में पब्लिश भी हो चुकी है। यह आर्टिकल ऑनलाइन भी उपलब्ध है। इसे नेट पर एनालिसिस ऑफ आर्सेनिक एल्बम 30 से सर्च किया जा सकता है।
यह दवा बड़ों के साथ-साथ बच्चों के लिये भी बहुत उपयोगी है। मगर उन्हें इसकी समुचित मात्रा सुयोग्य चिकित्सक के दिशानिर्देशन में ही दी जानी चाहिए। इस दवा को वयस्क व्यक्ति के साथ साथ बच्चे और किशोर भी ले सकते हैं। उम्र के अनुसार दवा की क्वांटिटी कम-ज्यादा की जा सकती है। फिलहाल देश में 15 साल से अधिक उम्र के लोगों के वैक्सीनेशन का सिलसिला जारी है। ऐसे में जिन लोगों को अब तक वैक्सीन नहीं लगी है, वो यह दवा लेकर कोरोना के खिलाफ अपनी इम्यूनिटी मजबूत बना सकते हैं।
पहली लहर के बाद मरीजों के साथ-साथ अपने परिवार और सर्कल के सैकड़ों लोगों पर आर्सेनिक एल्बम के जादुई असर को देखने के बाद मुझे लगा कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए इस दवा का जन-जन तक पहुंचाया जाना जरूरी है। इसलिए मैंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी चौहान को पत्र लिखकर इस दवा के फायदों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उनसे इसे हर खासोआम तक तक सहजता से मुहैया कराने की अपील की। जिसे स्वीकारते हुए उन्होंने आर्सेनिक एल्बम को पूरे प्रदेश में वितरित किए जाने के लिए आदेशित किया। हमारे केंद्र से भी हजारों लोगों को इस दवा का निःशुल्क वितरण किया गया।
पहली लहर के दौरान भी मैंने सांसद शंकर लालवानी, तत्कालीन प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट, तत्कालीन कमिश्नर आकाश त्रिपाठी, कलेक्टर मनीष सिंह और तत्कालीन मेडिकल कॉलेज डीन ज्योति बिंदल को पत्र लिखकर निवेदन किया था कि कोरोना के ऐसे मरीज जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने के बावजूद इस बीमारी से निजात नहीं मिल रही है उन्हें एलोपैथिक दवाओं के साथ आर्सेनिक एल्बम भी दिया जाए, क्योंकि इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है और ये इम्यूनिटी मजबूत करने में अहम रोल अदा करती है। मेरे प्रस्ताव पर आकाश जी ने तत्काल स्वीकृति प्रदान कर ऐसे मरीजों में आर्सेनिक एल्बम वितरित करने के लिए अधिकारियों को अधिकृत भी कर दिया।
सेंट्रल जेल के तत्कालीन अधीक्षक राकेश कुमार मांगरे के विशेष आग्रह पर हमने “एडवांस होम्यो हेल्थ सेंटर” के बैनर तले सेंट्रल जेल के कैदियों में भी आर्सेनिक एल्बम दवा का वितरण किया। श्री मांगरे के मुताबिक इस दवा के वितरण से पहले सेंट्रल जेल के 24 कैदियों के कोरोना पॉजिटिव होने की रिपोर्ट थी। लेकिन हम लोगों द्वारा दवा वितरण के बाद बाकी करीब 2500 कैदियों में से कोई भी इस संक्रमण की चपेट में नहीं आया। जबकि जेलों में सामान्यतः कैदी एक साथ, पास पास ही रहते हैं। इस नेक काम में डॉ. वैभव चतुर्वेदी का सहयोग विशेष रूप से सराहनीय और उल्लेखनीय रहा।