अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर केंद्रीय जेल में 3000 कैदियों ने किया योग, 3 नाइजीरियन कैदियों ने भी की सहभागिता

एडवांस योग एवं नेचुरोपैथी हॉस्पिटल तथा आयुष मेडिकल वेलफेयर फाउंडेशन ने किया आयोजन

इंदौर। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर केंद्रीय जेल इंदौर में भी योग का आयोजन किया गया। एडवांस योग एवं नेचुरोपैथी हॉस्पिटल तथा आयुष मेडिकल वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा जेल में कराए इस योग कार्यक्रम में 3000 कैदियों ने अलग-अलग बैरक में एक साथ योग किया।इस अवसर पर पूर्व से ही केंद्रीय जेल में बंद तीन नाइजीरियन कैदी भी शामिल हुए और योग किया।

योग दिवस के मौके पर केंद्रीय जेल में योग कार्यक्रम सुबह आयोजित किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय जेल अधिक्षक श्रीमती अलका सोनकर ने संबोधित करते हुए कहा कि शरीर के सभी अंगों को जोड़े तो हम जितना अपना स्वास्थ लाभ ले सकते हैं उतना बाहर से नहीं ले सकते। 24 घंटे ईश्वर ने हमें दिए हैं। पूराने समय के लोग 100 साल तक जीते थे। क्योंकि वे लोग नियमित रूप से सारे काम करते थे। शुद्ध खाते थे, शुद्ध रहते थे। नियमित रूप से 4 बजे उठकर योग, प्राणायम, ध्यान सबकुछ करते थे क्योंकि उनके अंदर वे डॉक्टर को पालते थे। लेकिन आज हमनें बीमारियों को पाल लिया है। वस्तु स्थिति बदल गई हमनें हमारे अंदर के डॉक्टर को अलग कर दिया है। बीमारियों को पालने से आज हमारी उम्र घटती जा रही है।

पहले के लोग 100 साल तक जीते थे लेकिन आज हमें 50 साल के बाद डर सा लगने लगा है कि कब कोई चटक जाए। हम 50+50 यानि 100 साल कैसे जी सकते हैं उसके लिए हमें प्रतिदिन सुबह एक घंटा अपने लिए देना होगा। हम नाहकर ऊपर से खुद को चमका सकते हैं, अच्छे कपड़े पहन सकते हैं लेकिन भगवान ने हमारे अंदर जो छोटे-छोटे कई सिस्टम दिए हैं उनकी सफाई कौन करेगा उसकी सफाई और धुलाई केवल योग और ध्यान के माध्यम से हो सकती है। सुबह की ताजी हवा लेने से जीवन बनेगा। जो व्यक्ति नियमित ध्यान और योग करता है उसके जीवन में चिड़चिड़ापन नहीं आता है। भगवान ने संसार में मनुष्य को ही एक चीज दी है और वो है मुस्कुराहट जिस पर कोई टैक्स नहीं लगता इसलिए जीवन में मुस्कुराते रहें।

योग केवल साधारण व्यायाम नहीं वो हमारे मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है – डॉ. द्विवेदी

वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड, केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि योग केवल साधारण व्यायाम न होकर हमारे मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। योग, प्राणायम एवं ध्यान हमारे दैनिक जीवन का अंग होना चाहिए। मुझे जानकारी दी गई है जेल में नियमित रूप से योग कराया जाता है यह बहुत ही सरहानीय होती है। क्योंकि जेल में आने वाला व्यक्ति कही न कही मन में पश्चाताप अथवा गिलानी होती है कि हमने यह क्या किया जो हमें यहां आना पड़े लेकिन इस पश्चाताप का निवारण योग, प्राणायम व ध्यान से किया जा सकता है।

योग कार्यक्रम में जेल में पहले से बंद 3 नाइजिरियन कैदियों ने भी योग किया। तीनों नाइजीरियन कैदियों ने योग को लेकर अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वे कभी भी इस तरह के किसी योग कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए हैं। लेकिन आज योग करके उन्हें अत्यंत मानसिक शांति का अनुभव हुआ है और अंदर का आत्मबल भी बेहतर हुआ है। तीनों कैदियों ने सभी से नियमित योग करने का आह्वान भी किया। उद्बोधन के पश्चात सभी ने योग के विभिन्न आसन किए।

वहीं केंद्रीय जेल अधीक्षक श्रीमती अलका सोनकर जी ने एडवांस योग एवं नेचयुरोपैथी हॉस्पिटल के योगाचार्य श्री दीपक उपाध्याय, श्री राकेश यादव, डॉ. विवेक शर्मा, डॉ. जीतेंद्र पूरी, श्री विनय पाण्डेय, श्री जीतेंद्र जायसवाल, श्री रवि जी को मोमेंटों प्रदान कर सम्मानित किया तथा जेल में प्रत्येक माह के तीसरे शनिवार को निःशुल्क चिकित्सा शिविर लगाने एवं प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर कैदियों के लिए इस तरह के आयोजन में विशेष सहयोग प्रदान करने के लिए जेल अधिक्षक श्रीमती सोनकर ने वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड, केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी को सम्मानित किया एवं उनके सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।

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