नींव में संस्कार नहीं होंगे, तो पतन सुनिश्चित: मयणाश्रीजी

इंदौर. मकान कितना ही सुंदर और फर्नीचर से सजाया गया हो, यदि उसकी नींव कमजोर होगी तो ऐसा मकान कभी भी भरभराकर गिर जाएगा. मनुष्य के लिए भी यही बात लागू होती है. वह चाहे जितना संपन्न, शिक्षित और प्रतिष्ठित हो, यदि नींव में संस्कार नहीं है तो उसका पतन होते देर नहीं लगेगी. आज जैन समाज को चिंता और चिंतन करने की जरूरत है कि हम कहां खड़े हैं. संस्कारों के अभाव में हमारे बच्चे ही नहीं, माता-पिता भी मोबाइल, वीडियो गेम्स, और अन्य साधनों के मोहजाल में फंस रहे हैं. यदि समय रहते हमने अपने परिवारों को संस्कारों से नहीं जोड़ा तो इसके भयावह परिणाम सामने आ सकते हैं.
ओजस्वी साध्वी मयणाश्रीजी म.सा. ने आज श्वेतांबर जैन तपागच्छ उपाश्रय ट्रस्ट एवं श्री पार्श्वनाथ जैन संघ रेसकोर्स रोड की मेजबानी में बास्केटबॉल काम्प्लेक्स में आयोजित ‘शिक्षा, संस्कार और सदाचार’ जैसे ज्वलंत विषय पर अपने बेबाक विचार रखते हुए शहर के सभी जैन घटकों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में 4 हजार से अधिक समाजबंधुओं को आगाह किया कि वे अपने बच्चों को रात 8 बजे के बाद मोबाइल फोन के उपयोग से रोकें और स्वयं भी इसका पालन करें.
उन्होंने बच्चों के दोस्तों के चयन पर ध्यान देने और उनसे दोस्ती बढ़ाने में सावधानी रखने के साथ ही समाज में पनप रही क्लब संस्कृति पर भी अंकुश लगाने का आग्रह किया. शराब, सिगरेट और तंबाकू जैसे व्यसनों की बुराईयां भी बताई और कहा कि शराब से प्रतिदिन 12 लोग, सिगरेट से हर छह सेकंड में एक मौत हो रही है. शराब के एक पैग के निर्माण में 78 हजार जीवों की हत्या होती है. दुख इस बात का है कि अब महिलाओं में भी शराब पीने का प्रचलन बढ़ रहा है.

श्रेष्ठ संस्कार देने में मां का योगदान

उन्होंने कहा कि मां ही बच्चे की पहली गुरू होती है। उसे श्रेष्ठ संस्कारों में ढालने में मां का महत्वपूर्ण योगदान होता है. पिता भी उसे दुनियादारी और व्यवहार की शिक्षा देते हैं लेकिन संस्कारों का रोपण मां से ही होता है. कार्यक्रम में समाजसेवी नेमनाथ जैन, शिखरचंद नागोरी, कल्पक जैन, शांतिप्रिय डोसी, पंकज संघवी, स्वप्निल कोठारी  सहित शहर के दिगंबर, श्वेतांबर, तेरापंथी एवं स्थानक सहित विभिन्न घटकों के प्रमुख समाजसेवी उपस्थित थे। प्रारंभ में ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. प्रकाश बांगानी, सचिव यशवंत जैन, राजीव भांडावत ने शिविर के बारे में विषय प्रवर्तन किया और अतिथियों का स्वागत किया.  शिविर में जैन समाज के बंधुओं द्वारा संचालित शिक्षण संस्थाओं एवं अस्पतालों के संचालक भी उपस्थित थे.

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