अंगदाता बचा सकता है 8 व्यक्तियों का जीवन 

इन्दौर लेखिका संघ की पुस्तक का विमोचन
इंदौर. अंगदान को महादान कहा गया है. हमारे शहर इंदौर में पिछले 34 माह में करीब 35 बार ग्रीन कॉरिडोर बनाकर करीब 210 व्यक्तियों को नया जीवन मिला है. इसी से प्रेरित होकर इंदौर लेखिका संघ की सदस्यों के मन में अंगदान की भ्रान्तियों, मर्मस्पर्शी कहानियों एवं चिकित्सकीय आयामों को लेकर एक पुस्तक प्रकाशन का विचार आया और अध्यक्ष मंजुला भूतडा, संध्या रॉय चौधरी, सचिव  विनीता तिवारी के प्रयासों और लेखिका संघ की सदस्यों की लेखनी से एक पुस्तक का प्रकाशन संभव हो पाया.
इसका विमोचन आज एक कार्यक्रम में प्रेस क्लब में सम्पन्न हुआ. कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. जनक पलटा मिगिलीगन थी. अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं राष्ट्रकवि सत्यनारायण सत्तन ने की. विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. अमित जोशी, चीफ़ ऑर्गन ट्रांसप्लांट ऑफीसर, शेल्बि हॉस्पिटल इंदौर और मुस्कान ग्रुप के प्रमुख सेवादार जीतू बगानी उपस्थित थे. डॉ. जनक पलटा ने कहा कि हमें जीना कैसे है, ये हमारा विकल्प है. मेरा पूरा अधिकार मेरे शरीर पर है और उसे देने का अधिकार मेरा है. तुम साथ में क्या लाए थे, क्या ले जाओगे? मौत रहस्य भी है और अटल भी है. इसलिए अपने शरीर का सदुपयोग करें और देहदान कर औरों को जीवन प्रदान करें.

अंधविश्वास रोकें तो महर्षि दधिचि का याद करें

डॉ. अमित जोशी ने कहा कि मरने के बाद हमारे सभी अंगों को खाक में मिल जाना है कितना अच्छा हो कि मरने के बाद ये अंग किसी को जीवनदान दे सकें. धार्मिक अंधविश्वास ऐसा करने से रोके तो महान ऋषि दधिचि को याद कीजिये, जिन्होंने समाज की भलाई के लिए अपनी हड्डियाँ दान कर दी थीं. अंग प्रतिरोधक व्यक्ति के जीवन में अंगदान करने वाला व्यक्ति एक ईश्वर की भूमिका निभाता है. अपने अच्छे क्रियाशील अंगों को दान करने के द्वारा कोई अंग दाता 8 से ज्यादा जीवन को बचा सकते हैं.

अंगदान का महत्व बताया

कवि सत्तन जी ने कहा जीवन में दान का बहुत महत्व है. महर्षि दधीचि ने जब अपनी अस्थियां दान की तब जाकर इंद्रा ने दुर्जनों का संहार किया. उन्होंने अंगदान महादान पुस्तस्क की तारीफ करते हुए कहा कि लेखिका संघ का ये प्रयास अंगदान के क्षेत्र में निश्चित ही क्रांति लाएगी. अपने ओजस्वी भाषण में उन्होंने अनेक पौराणिक उदाहरणों से अंगदान के महत्च को रेखांकित किया. जीतू बागानी ने बताया पिछले 34 माह में करीब 35 बार ग्रीन कॉरिडोर बनाकर करीब 210 व्यक्तियों को नया जीवन मिला है. इंदौर को एक मेडिकल हब के रूप में जाना जा रहा है. सरस्वती वंदना चंद्रा सायता  ने प्रस्तुत की.अतिथि परिचय सुषमा दुबे और सुषमा व्यास ने दिया. संचालन संध्या रॉय चौधरी ने किया ,पुस्तक परिचय मंजुला भूतड़ा ने दिया तथा आभार विनीता तिवारी ने  माना.

Leave a Comment