ऐतिहासिक इमारतें इंजीनियरों के लिए शोध का विषय

हिस्ट्री एंड हेरिटेज ऑफ इंडियन स्ट्रक्चर नेशनल सेमीनार
इन्दौर. किसी भी राष्ट्र की समृद्धि में उसकी ऐतेहासिक ईमारतों का भी महत्व होता है. भारत देश में विभिन्न संस्कृतियों और कालों की ऐसी ही इमारतें मौजूद है जो दुनिया भर के इंजीनियरों के लिए शोध का विषय है.
यह बात विशिष्ट अतिथि के रूप में विशेषज्ञ डॉ. ए.जी. कोठारी ने कही. वे  इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड साइन्स आईपीएस एकेडमी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा आयोजित नेशनल सेमिनार सृजन 2018 हिस्ट्री एंड हेरिटेज ऑफ इंडियन स्ट्रक्चर के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने आगे कहा कि सैकड़ों सालों पहले कम संसाधनों के साथ जो इमारतें बनाई गई थी वो आज भी आश्चर्यचकित करती है. भारी पत्थरों को उचांई तक ले जाने, उसकी नक्काशी, वास्तु जैसे तमाम पहलू इंजीनियरों के लिए एक राज है जिन्हें जितना खोजा जाए कम है. उन्होंने कहा कि राष्ट्र के सतत विकास के लिए रचनात्मकता की अहम भूमिका होती है तथा विधार्थियों को इस हित के प्रति हमेशा अग्रसर रहना चाहिए.

विरासतों का सहेजन का आह्वान

इस सेमिनार में आए देशभर में इंजीनियर और शोधकर्ताओं ने देश की ऐतिहासिक विरासतों को सहजने के लिए भावी इंजीनियरों का आह्वान किया. संस्था प्रमुख डॉ. अर्चना कीर्ति चौधरी ने कहा कि सेमिनार विधार्थियों मे तकनीकि विकास के साथ राष्ट्र के निर्माण में एक अलग ऊंचाई प्रदान करेगा. डॉ. ए.जी. कोठारी ने विधार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए हेरिटेज स्ट्रक्चर और उनके संरक्षण के महत्व के बारे में भी बताया.
सेमिनार के अवसर पर विभाग द्वारा अप्रैल 2019 में आयोजित की जाने वाली प्रमुख वर्कशॉप नींव टेक्नीकल पेपर प्रेजेंटेशन फॉर स्टूडेंट्स के पोस्टर को भी लॉन्च किया गया.छह दिनों तक चलने वाले इस सेमीनार में विभिन्न कार्यक्रम होंगे. विभाग के शिक्षकों की उपस्थिति में सेमिनार की विभिन्न गतिविधियो की जानकारी विभाग प्रमुख प्रो. स्वातिलेखा गुहा बोध द्वारा दी गई. आभार प्रो. सोनम यादव द्वरा माना गया.

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