- उर्वशी रौतेला 12.25 करोड़ रुपये में रोल्स-रॉयस कलिनन ब्लैक बैज खरीदने वाली पहली आउटसाइडर इंडियन एक्ट्रेस बन गई हैं।
- Urvashi Rautela becomes the first-ever outsider Indian actress to buy Rolls-Royce Cullinan Black Badge worth 12.25 crores!
- 'मेरे हसबैंड की बीवी' सिनेमाघरों में आ चुकी है, लोगों को पसंद आ रहा है ये लव सर्कल
- Mere Husband Ki Biwi Opens Up To Great Word Of Mouth Upon Release, Receives Rave Reviews From Audiences and Critics
- Jannat Zubair to Kriti Sanon: Actresses who are also entrepreneurs
“राम मंदिर की प्रतीक्षारत अलौकिक दिवाली”

डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)
अयोध्या नृप मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का वन गमन सदैव के लिए सबके हृदय में राम राज्य को स्थापित कर गया। राम तो हृदय में विराजमान उच्चारण है। राम तो अनंत भावों की अभिव्यक्ति है। राम तो धर्म के मर्म के प्रदाता है। सर्वगुण के आलय प्रभु श्रीराम का हम विनय पूर्वक वंदन करते है। राम का अयोध्या आगमन और राम मंदिर में श्रीराम का आगमन पुनः उसी भावना से हृदय को उद्वेलित कर देता है। प्रसन्नता चहुं ओर विद्यमान है। प्रत्येक को विश्वास है कि रघुकुल नन्दन राजा राम है, जो प्रत्येक परिस्थिति में हमारी रक्षा करेंगे। वे इस प्रकाशपर्व में हमारे अज्ञान रूपी तिमिर का अपनी कृपा के आलोक से विनाश कर हमारे जीवन को आलौकित कर देंगे।
करे कर्मो का अनूठा दीप प्रज्वलन, तम रूपी दनुज का उन्मूलन।
महीप सीतापति का आगमन, मुमुक्षु और वैभव का आह्वान।।
राम और राम मंदिर निर्माण दोनों ही धैर्य और संघर्ष की अनूठी छाप है। श्रीराम का समय तो एक ऐसा युग है जिसके समक्ष समस्त ब्रह्मांड नतमस्तक है। राम का वनवास तो एक कोमल राजकुमार की करुण कथा का रूप है। आदर्शों की स्थापना के लिए राम ने अनेकों कष्टों को शिरोधार्य किया और राम मंदिर के निर्माण में भी भक्तजनों ने अपने प्रयासों में कोई कमी परिलक्षित नहीं होने दी। मारीच का भ्रम उत्पन्न करना तो श्रीराम की लीला का अभिनय अंग था। प्रेम की उत्कृष्ट पराकाष्ठा को प्रदर्शित करने के लिए उन्होने सीता के वियोग में वन-वन व्याकुल होकर पीड़ित स्वर में सिया को पुकारा। लक्ष्मण की मूर्छित अवस्था देखकर भावों एवं संवेदनाओं से उनका हृदय आंदोलित हो गया। मानवता के सृजक महीप राम तो गुणों की खान है। मनुष्य की अंतिम यात्रा भी राम पर ही समाप्त होती है और राम नाम ही सत्य है यह बोध कराती है। राम सर्वस्व है। राम धर्म के अलौकिक देदीप्यमान सूर्य है, जिन्होने अपने वचन का पालन कर तीनों लोकों में अपनी विजय पताका फहराई।
दीपक का मयूख प्रतीक है आस ,सूक्ष्म तरणि का अनुपम विश्वास ।
वसुंधरा का नूतन ज्योति से श्रृंगार, विभावरी में आलोक का प्रसार।।
राम मंदिर में श्रीराम के विराजमान होने के पश्चात इस दिवाली की चमक ही अनूठी है। यह दिवाली तो हमें गर्व का अनुभव करा रही है, क्योंकि श्रीराम की कृपा से हम राम मंदिर के साक्षी बने। अपार रौनक, चमक-दमक चहुं ओर व्याप्त है। प्रत्येक द्वार-द्वार पर हर्ष-उल्लास, मुस्कान एवं खुशी बिखरी हुई है। राम मंदिर की प्रतीक्षारत दिवाली तो मन में प्रसन्नता के प्रसून को प्रफुल्लित कर देती है। राम नाम से हमारा अपनत्व का रिश्ता है। कितनी सुखद अनुभूति है कि राम मंदिर में राम हमारे मध्य है और अब मंदिर में विराजमान राम का कभी वनवास नहीं होगा। राम के प्रति श्रद्धा का भाव हमारे मन में संशयों को न्यून कर देता है। प्रकाश पर्व में परम्पराओं के स्वागत, संस्कृति की झलक, आकर्षक रंगोली एवं मिट्टी के दीयों से प्रकाशित दिवाली हममे आशा के अनेकों बीजों का अंकुरण कर देती है। राम की छवि को हमें अमावस्या की रात्रि में हमारे हृदय में प्रकाश का स्वरूप देना है। रघुनंदन के नेतृत्व में राम राज्य में चहुं ओर शांति और अनुशासन था। पुनः हमें उसी राम राज्य की स्थापना करनी है। हे राम, हमारे जीवन को भी अपने ज्ञान से आलौकित कर दो। विपदाओं के अनेकों प्रहारों को राम ने अपने धैर्य रूपी ऊर्जा के शस्त्र से नष्ट कर दिया।
हर्ष विषाद चित्त के विकल्प,कौशल्यानंदन विजयपथ के संकल्प।
भूपति राघव आत्मीक शौर्य के प्रतीक,मर्यादापूर्ण शील के रूपक।
इस जीवम में अनेक प्रकार के कलुषित विकार विद्यमान है जैसे लोभ, मोह, काम, क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष और द्वंद इत्यादि, जो हमारे मन को दूषित कर देते है। श्रीराम की कृपा इन सभी विकारों से हमें मुक्ति प्रदान करती है। जिन प्रभु की मात्र इच्छा से कार्य पूर्णता को प्राप्त कर लेते है वे प्रभु भी मानव योनि में अपनी लीला एवं मंदिर निर्माण में धैर्य की सीख देते है। हे राम, हमारे हृदय मृदुल और मधुर बना दो। स्वर को विमल वाणी से युक्त कर दो। सभी प्राणियों में राम राज्य के समान निर्झर प्रेम की अविरल धारा को प्रवाहित कर दो। दोष युक्त भाव छल, मद-माया का विनाश कर दो। हे करुणा निधान कृपालु रामचंद्र अपनी दया के नीर कण छलका दो। हृदय को पुलकित एवं पावन बना दो। निर्मल मति एवं गति प्रदान कर दो।
भारतीय संस्कृति का वैशिष्ट्य, उत्सव का ह्रदयगम प्राकट्य।
अल्पना के विपुल बहिरंग, इहलोक में हरिवल्लभा के आविर्भाव के संग ।
आस्था का प्रकाशवान,आनंदमय पर्व,आदरयुक्त मंगलभावना उत्तरोत्तर विकास के संग।
इस दीपोत्सव में नवीन दृष्टि, संबंध पटल पर अपनत्व एवं सौहाद्र के अलौकिक दीप प्रज्वलित हो। इस ज्योति पर्व में धर्म के प्रणेता श्रीराम हमारे मन को भी आशा के दीपों से जगा दो। अवध ने 14 वर्षों का वनवास देखा तो श्रीराम भक्तों ने भी राम मंदिर निर्माण में अनवरत प्रतीक्षा की। आज पुनः वही दीपावली दीप पर्व मनाने का उत्सव है। हम सभी को अंधकार से वैसे ही लड़ाई करनी है जैसे दीप करता है। राम का वनवास शून्य से बहुमूल्य होने तक का सफर था। अयोध्या आज पुनः सुसज्जित हो गई है। हर तरफ अनुपम और मनोहारी दृश्य है। रघुवर की अनवरत प्रतीक्षा की व्याकुलता अब सदैव के लिए समाप्त हो गई है। प्रति वर्ष अब नित नवीन उत्साह से राम मंदिर में दिवाली मनाई जाएगी। हम हर्षित हृदय से राघव का सुमिरन करेंगे। राम की प्रीत हो और वही हमारे मीत हो। राम नाम की निधि ही जीवन की सच्ची आजीविका है। भक्ति के उपवन में राम नाम रूपी वृक्ष ही समाहित हो। हे राम, समस्याओं के संताप का क्षय कर दो एवं सरल, सहृदय मन बना दो। राम राज्य के अनुरूप सभी प्राणियों में अक्षुण्ण स्नेह के बीजों का अंकुरण हो।